मुंबई के आरे में पेड़ काटने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने चेतावनी दी कि अगर आरे में अंडरटेकिंग का उल्लंघन कर पेड़ों की कटाई हुई तो हम इसका सख्त संज्ञान लेंगे. मुंबई मेट्रो रेल कॉरपोरेशन ने फिर भरोसा दिलाया कि वहां पेड़ों की कटाई नहीं की जा रही है. सुप्रीम कोर्ट ने इस हलफनामे को रिकॉर्ड पर लिया है. सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को दो दिनों के भीतर अतिरिक्त दस्तावेज दाखिल करने को कहा है. अब इस मामले में 30 अगस्त को सुनवाई होगी. फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने आरे में विकास कार्य रोकने के आदेश देने से इनकार कर दिया है. कहा कुछ दिनों में सुनवाई होनी है.
जस्टिस यू यू ललित ने कहा कि मुंबई मेट्रो रेल कॉरपोरेशन ने पिछली सुनवाई में भरोसा दिया था कि आगे फिलहाल पेड़ों की कोई कटाई नहीं होगी. लेकिन याचिकाकर्ता कह रहे हैं कि वहां पर विकास कार्य चल रहा है और लेवलिंग हो रही है. मुंबई मेट्रो रेल कॉरपोरेशन की ओर से कहा गया कि वो कोई पेड़ नहीं काट रहे हैं. मुंबई मेट्रो रेल कॉरपोरेशन के निदेशक ने अंडरटेकिंग भी दी है. वो इस अंडरटेकिंग के तहत बाध्य हैं.
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पांच अगस्त को मुंबई मेट्रो रेल कॉरपोरेशन ने सुप्रीम कोर्ट में भरोसा दिया था कि आरे में फिलहाल कोई पेड़ नहीं काटा जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा फिलहाल कोई अंतरिम आदेश जारी करने की जरूरत नहीं. मुंबई मेट्रो रेल कॉरपोरेशन ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था, आरे में 2019 के बाद कोई पेड़ काटे नहीं जा रहे. आगे भी पेड़ नहीं काटे जाएंगे. केवल झाड़ियां और खतपरवार की छंटाई हुई है.
SG तुषार मेहता ने कहा था वहां पर कोई पेड़ काटा नहीं जा रहा है. पिछले तीन साल में वहां पर कुछ झाड़ियां खरपतवार आदि उग आए हैं केवल उनकी छटाई हुई है. मैंने 07-10-2019 को आश्वासन दिया था कि पेड़ों को काटने के संबंध में सुनवाई की अगली तारीख तक यथास्थिति बनाए रखी जाएगी. उससे पहले 4,000 पेड़ काटे गए थे. 07-10-2019 के उस अदालत के आदेश के बाद उसके बाद कोई पेड़ नहीं काटा गया. वहीं याचिकाकर्ता की ओर से पेश सीयू सिंह ने कहा पहले सुप्रीम कोर्ट में सॉलिसिटर जनरल ने भरोसा दिया था कि आगे पेड़ नहीं काटे जाएंगे. लेकिन अब वहां अंधाधुंध पेड़ काटे जा रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट इस मामले में दखल दे.
इस मामले की सुनवाई के लिए बेंच बदली गई है पहले इस मामले को जस्टिस डी वाई चंद्रचूड के पास भेजा गया था . दरअसल 2019 में, सुप्रीम कोर्ट ने ऋषभ रंजन कानून के छात्र द्वारा लिखे गए एक पत्र का संज्ञान लिया था, जिसमें भारत के मुख्य न्यायाधीश से आरे में पेड़ों की कटाई पर रोक लगाने के लिए निर्देश जारी करने और इसे एक जनहित याचिका में बदलने का आग्रह किया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने आगे पेड़ों की कटाई पर रोक लगाते हुए यथास्थिति बरकरार रखने का फैसला दिया था.
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