इंदिरा गांधी के गुरु धीरेंद्र ब्रह्मचारी की पूरी दौलत सरकार के खाते में चली जाएगी? पूरा मामला समझिए

हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार के वकील से कहा कि वह इस बात की जानकारी दें कि राज्य सरकार धीरेंद्र ब्रह्मचारी (Dhirendra Brahamachari) और उनके द्वारा बनाई गई सोसायटी की छोड़ी गई संपत्ति को कब अपने कब्जे में लेगी.

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धीरेंद्र ब्रह्मचारी संपत्ति विवाद.(फोटो-धीरेंद्र मेमोरियल फाउंडेशन)
नई दिल्ली:

पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के 'गुरु' रहे धीरेंद्र ब्रह्मचारी की पूरी दौलत (Dhirendra Brahamchari Property Case) क्या सरकार के खाते में चली जाएगी, यह सवाल हर किसी के जहन में उठ रहा है. दरअसल एक सन्यासी की मौत के बाद उसकी संपत्ति राजागमन के तहत राज्य सरकार के खाते में चली जाती है. धीरेंद्र ब्रह्मचारी के मामले में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार से पूछा है कि क्या वह  योग गुरु धीरेंद्र ब्रह्मचारी के आश्रम और संपत्ति को अपने कब्जे में ले रही है, इस सवाल का जवाब अदालत ने मांगा है. हाई कोर्ट के मुताबिक, धीरेंद्र ब्रह्मचारी ने सन्यास ले लिया था, इसलिए उनकी छोड़ी गई पूरी संपत्ति राज्य को जानी थी. इस मामले पर हाई कोर्ट 29 मई को सुनवाई करेगा. 

क्या सरकार के पास जाएगी धीरेंद्र ब्रह्मचारी की संपत्ति?

अदालत ने हरियाणा सरकार के वकील से कहा कि वह इस बात की जानकारी दें कि राज्य सरकार धीरेंद्र ब्रह्मचारी और उनके द्वारा बनाई गई सोसायटी की छोड़ी गई संपत्ति को कब अपने कब्जे में लेगी.

अदालत ने कहा, " यह बताना जरूरी है कि धीरेंद्र ब्रह्मचारी एक संन्यासी थे, उन्होंने एक सोसायटी की स्थापना की थी, उन्होंने संसार से संन्यास लेने का ऐलान किया था." अदालत ने कहा कि ऐसी स्थिति में इस तरह के व्यक्ति के पीछे छोड़ी गई संपत्ति या उस स्थापना को, उसकी मौत के बाद बिना स्वामित्व वाली संपत्ति के रूप में लिया जाना चाहिए.

इंदिरा गांधी के 'गुरु' की संपत्ति पर क्या है HC की राय?

हाई कोर्ट ने कहा, सामान्य तौर पर, स्वामी धीरेंद्र ब्रह्मचारी और उनकी तरफ से स्थापित सोसायटी की पूरी संपत्ति राजागमन के तहत राज्य सरकार के पास चली जानी चाहिए. जस्टिस राजबीर सहरावत ने अपर्णा आश्रम सोसायटी और एक अन्य द्वारा दायर अदालत की अवमानना ​​याचिका पर सुनवाई करते हुए ये आदेश पारित किए हैं. याचिका 16 दिसंबर, 2016 के आदेश (सिविल सूट संख्या 125/2004 में पारित) की अवमानना ​​का आरोप लगाते हुए दायर की गई है. इसके तहत कुछ लोगों को सोसायटी का उचित प्रबंधन नहीं करने के लिए दोषी ठहराया गया था और इसके बावजूद, वे समाज से संबंधित जमीन बेच रहे हैं.

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इससे पहले अप्रैल 2023 में, हाई कोर्ट ने कुछ निजी कंपनियों द्वारा दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया था. इन कंपनियों ने साल 2020 में  डिप्टी कमिश्नर (डीसी) गुड़गांव के कंपनी के पक्ष में  विवादास्पद संपत्ति की बिक्री विलेख को रद्द करने आदेश के खिलाफ योग गुरु के आश्रम से संबंधित विवादास्पद जमीन खरीदी थी. 

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क्या है धीरेंद्र ब्रह्मचारी संपत्ति विवाद?

बता दें कि धीरेंद्र ब्रह्मचारी का मौत के बाद उनके एक रिश्तेदार और किराएदार सिलोखरा गांव में प्रॉपर्टी पर मालिकाना हक को लेकर कानूनी लड़ाई सड़ रहे है. अदालत में विचाराधानी मामला सिलोखेड़ा में 24 एकड़ जमीन का है. एक वक्त था, जब इस जमीन पर एक हवाई पट्टी थी, जिसका स्वामित्व 1980 के दशक से अपर्णा आश्रम के संस्थापक और इंदिया गांधी के करीब रहे योग गुरु धीरेंद्र ब्रह्मचारी के पास था. जून 1994 में एक विमान दुर्घटना में उनकी मौत के बाद से संपत्ति को लेकर कुछ लोगों के बीच विवाद पैदा हो गया. 

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धीरेंद्र ब्रह्मचारी ने 1983-84 के बीच अपर्णा आश्रम (सोसाइटी) को रजिस्ट्रार ऑफ सोसाइटीज, दिल्ली के साथ रजिस्टर्ज कराने में अहम भूमिका निभाई थी. खुद को सोसायटी का प्रतिनिधि बताने वाले दो लोगों ने 27 दिसंबर, 2020 को करीब 55 करोड़ रुपये में उस जमीन को दिल्ली की चार कंपनियों के पक्ष में ट्रांसफर कर दिया था. हालांकि डीसी गुड़गांव ने सेल डीड रद्द कर दी थी. डीसी के आदेश के खिलाफ अपील को पिछले साल अप्रैल में हाईकोर्ट ने बरकरार रखा था.
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