कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल (Ahmed Patel) की बेटी मुमताज पटेल ने एनडीटीवी के साथ खास बातचीत में अपने पिता की पारंपरिक सीट भरूच को लेकर बात की. दरअसल, कांग्रेस ने गठबंधन के तहत भरूच सीट AAP को गिफ्ट कर दी है. मुमताज (Mumtaz Patel) कांग्रेस नेतृत्व के फैसले से दुखी हैं, लेकिन उन्होंने ये भी कहा कि वह कांग्रेस के लिए काम करती रहेंगी और वह पार्टी के निर्णय का सम्मान करती हैं. बता दें कि दिवंगत अहमद पटेल की बेटी मुमताज पटेल अपनी परंपरागत सीट पर काफी लंबे समय से काम कर रही थीं. भरूच सीट पर अहमद पटेल का परिवार करीब 45 साल से मेहनत कर रहा है. इस सीट से अहमद पटेल ने तीन बार जीत हासिल की थी.1977, 1980 और 1984 के लोकसभा चुनाव में अहमद पटेल जीते थे.1975 में इमरजेंसी के दौरान जब पूरे देश में कांग्रेस विरोधी लहर थी, तब भी अहमद पटेल ने यहां से जीत हासिल की थी. अब 1989 से यहां कांग्रेस को जीत नहीं मिली है.
आपको क्यों लगता है भरूच सीट कांग्रेस को मिलनी चाहिए थी..
ये बात है कि 1989 से हम ये लोकसभा सीट नहीं जीते हैं. इमरजेंसी के दौरान भी यहां से जीते थे. मेरे पिता सालों से यहां के लोगों के लिए काम कर रहे थे. सिर्फ चुनाव जीतने ही सब कुछ नहीं होता. मेरे पिता ने भरूच के लिए बहुत काम किया है... यहां कांग्रेस के लॉयल वोटर हैं, जो हमेशा कांग्रेस को वोट करते रहे हैं.
वो सीट क्या मुमताज पटेल को जानी चाहिए थी?
नहीं, मैंने कभी ऐसा नहीं कहा. मैंने कभी टिकट की बात की ही नहीं. चुनाव लड़ने की बात होती तो मुझे विधानसभा लड़ने के लिए कहा गया था...ये सब 2024 चुनाव लड़ने के लिए नहीं कर रहे थे. हम सिर्फ यहां मेहनत कर रहे थे... ये मेहनत 2024 में नहीं तो आगे जाकर रंग लाती. हमारी कोशिश थी कि एक दिन ये सीट कांग्रेस के लिए जीतकर लाएं.
आप अपने एनजीओ के जरिए भी इस क्षेत्र के विकास के लिए काफी काम कर रही हैं....?
मेरे पिता ने एनजीओ और दूसरे तरीकों से यहां के लिए काम किया. जब वे चुनाव नहीं भी लड़े, तो भी करते रहे. नेशनल लेवल पर कांग्रेस की उन पर बड़ी जिम्मेदारी थी. उनके जाने के बाद ये जिम्मेदारी हमारे कंधों पर आई. मैं धीरे-धीरे काम करके पार्टी को मजबूत बनाने की जिम्मेदारी निभा रही हूं.
किसी सीट पर कोई काम करता है, लोगों के सुख-दुख बांटता हैं... आपने यहां के लिए काम किया... टिकट ना मिलने से दुख तो हुआ ही होगा?
मैंने टिकट नहीं मांगा, लेकिन पार्टी कहती तो चुनाव लड़ते. चुनाव के बाद हम फिर ग्राउंड पर आ जाएंगे और काम करेंगे. टिकट की बात नहीं, अलायंस की बात हुई थी कि ये सीट कांग्रेस को मिले.
क्या आपको लगता है कि दिल्ली में कुछ ऐसे नेता हैं, जो चाहते हैं कि अहमद पटेल के परिवार से कोई आगे न बढ़े...?
जितना मैं समझती हूं, ऐसा नहीं लगा. मैं कांग्रेस परिवार के बीच बढ़ी हुई हूं, उनसे मेरा इमोशनल कनेक्शन ज्यादा है. राजनीति में तो मैं 2 साल से ही आई हूं.. मुझे ऐसा नहीं लगा.
क्या आप पार्टी नेतृत्व और राहुल गांधी व प्रियंका गांधी के संपर्क में हैं?
जी हां, मैं राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के संपर्क में हूं. इस सीट और अलायंस को लेकर बातचीत हुई थी.
ये सीट अलायंस के पास चली गई तो आपको दुख तो हुआ ही होगा?
हां दुख हुआ, तकलीफ भी हुई. इस सीट पर अभी भी कोशिश कर रहे हैं... भरूच का काडर काफी कंफ्यूजन में है या फिर कहें बगावत के मूड में है. हालांकि मैं इस निर्णय का आदर करती हूं. मैंने बात की थी कि इस सीट को अलायंस में मत दीजिए. अब मुझे नाराज काडर को भी संभालना है, पार्टी लाइन को भी लेकर चलना है. बहुत बैलेंस करना पड़ रहा है.
आपको क्या लगता है कि कांग्रेस के इसी रवैये की वजह से कई नेता पार्टी छोड़ रहे हैं?
अब जो पार्टी छोड़कर जाते हैं उनके व्यक्तिगत कारण होते हैं. सोशल मीडिया पर मेरे लिए भी बोल रहे हैं कि बीजेपी में चली जाएंगी. इस तरह के निर्णय लेने आसान नहीं होते, बहुत बारीकियां होती हैं. मैं कांग्रेस से इमोशनली जुड़ी हुई हूं.
कभी भी दिमाग में आया कि चलो ये सब छोड़ देती हूं?
नहीं, कभी नहीं...
आपके भाई का रिएक्शन काफी तीखा था इस मुद्दे पर?
मेरा छोटा भाई है... नाराज है... सीख जाएगा