किसान नेता और स्वराज इंडिया पार्टी के प्रमुख योगेंद्र यादव ने किसान आंदोलन खत्म होने के बाद के भविष्य पर NDTV को दिए इंटरव्यू में अपनी बातें रखी. गुरनाम सिंह चढ़ूणी के पार्टी बनाकर चुनाव लड़ने के ऐलान पर योगेंद्र यादव ने कहा कि आजाद देश है, हर इंसान का हक चुनाव लड़े औैर राजनीति में हिस्सा ले. अफसोस इस बात का है कि चढ़ूणी जी ने पंजाब जाकर पार्टी बनाने और चुनाव लड़ने की घोषणा की, लेकिन पंजाब से संगठनों से बातचीत नहीं की, न ही कोई राय ली. एकतरफा फैसले की घोषणा करना आंदोलन की एकता को मजबूत नहीं करता है.
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उन्होंने कहा कि राजनीति करनी चाहिए लेकिन छोटी नहीं बड़ी राजनीति करनी चाहिए. इतने बड़े आंदोलन से कोई 2-4 विधायक बन जाए, कोई एक मुख्यमंत्री बन जाए, ये एक सस्ता और हल्का काम होगा. गहरा काम होगा कि इस आंदोलन से चुनावी राजनीति का ऐजेंडा बदलें. सबसे बड़ी राजनीति होगी कि किसान इस देश के लोकतंत्र, सेक्युलरिज्म को बचाने के किसान खड़े हो.
यादव ने कहा कि इस आंदोलन में हमने जय किसान आंदोलन के नाते हिस्सा लिया, न कि स्वराज इंडिया पॉलिटिकल पार्टी के नाते नहीं किया. अब पंजाब और यूपी चुनाव के दौरान दिख जाएगा कि कौन लोग थे जो केवल छोटा राजनीतिक लाभ उठाने के लिए आंदोलन कर रहे थे और कौन लोग थे आंदोलन के लिए प्रतिबद्ध होकर कार्य कर रहे थे.
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उन्होंने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चे के नाम पर किसी को चुनाव नहीं लड़ना चाहिए. इस पूरे आंदोलन की विरासत का कोई चुनाव में इस्तेमाल करेगा तो वो गलत होगा. यादव ने कहा कि उनकी चिंता किसान आंदोलन की चिंता है. किसान आंदोलन की एकता न टूटे इस बात का डर है बस. किसानों की एकता खत्म न हो.
योगेंद्र यादव ने कहा कि यूपी के बारे में सोचना होगा. केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा खुलेआम घूम रहे हैं. अजय मिश्रा को बचाने वाले कौन हैं, इस पर बात करना जरूरी है. मैं चाहता हूं सरकार अब अजय टेनी को न हटाए और यूपी की 400 सीटों पर घुमाएं. जहां-जहां जाएंगे, किसानों का खून खौलेगा और पांच हजार वोट कटवाकर आएंगे. जैसे पश्चिम बंगाल में एकमत से फैसला लिया गया कि बीजेपी को हराना है, वैसा ही यूपी पर भी ऐसा हो. इस वक्त इस देश के लोकतंत्र पर हमला हो रहा है, किसानों को संभालना है. हिन्दू-मुस्लिम के नाम पर राजनीति हो रही है.