बिहार में जातिगत गणना कराने के लिए राज्य कैबिनेट ने 500 करोड़ रुपये जारी किए हैं. लेकिन इस मुद्दे पर सर्वसम्मति के बाद भी बीजेपी असहज दिख रही है. भले अभी गणना के स्वरूप पर अंतिम फ़ैसला नहीं हुआ है. लेकिन आज बिहार बीजेपी ने रोहिंग्या और बांग्लादेशियों को छांटने के अलावा ये भी सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि कोई अगड़ी जाति का मुसलमान पिछड़ी जाति में शामिल ना हो. सर्वदलीय बैठक में बीजेपी ने भी जातिगत जनगणना का समर्थन किया था लेकिन अब बीजेपी की तरफ से नई मांग रखी गयी है.
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने कहा है कि इस गणना से रोहिंग्या और बांग्लादेशियों को कोई आवरण न मिल जाए, छद्म नागरिकता सीमांचल में एक बहुत बड़ी समस्या है.इसका ध्यान बिहार सरकार को रखना चाहिए.हालांकि जायसवाल ने खुद माना है कि फ़िलहाल गणना में क्या क्या सवाल होंगे और उसके अंतिम स्वरूप पर निर्णय होना बाक़ी है.
लेकिन पार्टी के सांसद राकेश सिन्हा ने तो यहां तक कह दिया हैं कि इससे समाज में संघर्ष बढ़ेगा.हालांकि मुख्य मंत्री नीतीश कुमार का कहना है कि असल में इसके बहाने सब लोगों की आर्थिक स्थिति का भी पता चल जायेगा.नीतीश कुमार ने कहा है कि जातिगत जनगणना का बहुत अच्छा नतीजा आयेगा. ये सबके पक्ष में हैं किसी के ख़िलाफ़ नहीं हैं. यह विकास के लिए किया जा रहा है. फ़िलहाल नीतीश इस मुद्दे पर कम से कम अन्य दलों ख़ासकर तेजस्वी यादव के समर्थन से भाजपा को झुकाने में कामयाब रहे हैं हालांकि इस मुद्दे पर जब मुख्य मंत्री नीतीश कुमार से पूछा गया तो उनका कहना था कि हर कुछ सर्वसम्मति से हो रहा हैं और भविष्य मान भी इस विषय पर सबसे रायशुमारी का काम जारी रहेगा.
इधर बीजेपी की तरफ से आ रहे बयानों के बाद राष्ट्रीय जनता दल ने ट्वीट कर हमला बोला है. राजद की तरफ से ट्वीट कर कहा गया है कि आख़िर पार्टी के नेताओं को इतनी मिर्ची क्यों लग रही है.
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