प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) अपने विजन के लिए जाने-जाते हैं. उनका काम करने का तरीका और आम लोगों की समस्याओं को पहचानने का हुनर उन्हें बाकी राजनेताओं से अलग करता है. पीएम मोदी ने देश की बागडोर संभालने और गुजरात के मुख्यमंत्री बनने से पहले एक लंबा वक्त यात्राओं में बिताया है. उनकी यह यात्राएं बहुत ही कम उम्र में शुरू हो गई थीं, जिन्होंने उनके व्यक्तित्व और काम करने के तरीके को पूरी तरह से बदल दिया था. खुद पीएम मोदी के शब्दों में, "मैं परिव्राजक रहा हूं. मैंने खड़े-खड़े यात्राएं की हैं, बसों में सफर किया है और पैदल घूमा हूं." पीएम मोदी बताते हैं कि उन्होंने देश के 90 फीसदी से ज्यादा जिलों में रात्रि मुकाम किया है. एनडीटीवी के एडिटर इन चीफ संजय पुगलिया को दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में पीएम मोदी ने यात्राओं के कारण अपने जीवन में आए महत्वपूर्ण बदलाव की कहानी को बयां किया है.
पहले भी कई मौकों पर यात्राओं का जिक्र कर चुके हैं PM मोदी
पीएम मोदी ने विभिन्न मौकों पर अपनी यात्राओं के बारे में खुद बताया है. केदारनाथ में करीब डेढ़ महीने तक रहकर पूजा अर्चना और एकांत में साधना का जिक्र पीएम मोदी अपने भाषण में कर चुके हैं. पीएम मोदी देश के जिस भी हिस्से में जाते हैं, वहां से जुड़ी अपनी यादों को साझा करना नहीं भूलते हैं. अपने राजनीतिक जीवन के शुरू होने से पहले पीएम मोदी देश का एक बड़ा हिस्सा घूम चुके थे. वहीं राजनीति में आने के बाद भी पीएम मोदी की यात्राओं का सिलसिला अब तक अनवरत जारी है.
कलकत्ता से केदारनाथ : PM मोदी की आध्यात्म की तलाश
नरेंद्र मोदी 1968 की एक सुबह वडनगर से झोला उठाकर आध्यात्म की तलाश में कलकत्ता के लिए निकल गए थे. पीएम मोदी संन्यास लेने के इरादे से बेलूर मठ पहुंचे थे लेकिन रामकृष्ण मिशन के स्वामी विरेश्वरानंद ने उन्हें दीक्षा देने से इनकार कर दिया क्योंकि उस वक्त उन्होंने ग्रेजुएशन नहीं किया था और रामकृष्ण मिशन के नियमों के मुताबिक संन्यास के लिए यह जरूरी था.
इसके बाद मोदी गुवाहाटी चले गए और वहां से नैनीताल और अल्मोड़ा की ओर निकल गए. मोदी ने अपनी इस यात्रा के दौरान केदारनाथ से करीब तीन किमी की दूरी पर स्थित गरुड चट्टी पहुंचे थे. मोदी रोजाना केदारनाथ मंदिर जाते थे और पूजा-अर्चना करते थे. उन्होंने करीब डेढ़ महीने यहां एकांत में साधना की थी. पीएम मोदी 2017 में एक बार फिर केदारनाथ पहुंचे थे और अपनी पहली यात्रा के साक्षी तीर्थ पुरोहित श्रीनिवास पोस्ती से भी मिले थे. पीएम मोदी ने इस मौके पर दिए अपने भाषण में पुराने दिनों की चर्चा की थी.
पीएम मोदी ने करीब दो साल तक उत्तर-पूर्वी भारत की यात्रा करते बिताए थे.
सीटों का जुगाड़ करने का बताया था दिलचस्प किस्सा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ महीनों पहले भारत मंडपम में पहले राष्ट्रीय रचनाकार पुरस्कार कार्यक्रम को संबोधित करते हुए दिलचस्प किस्सा सुनाया था और बताया था कि वे अपनी ट्रेन यात्राओं के दौरान सीट का जुगाड़ करते थे. पीएम मोदी ने बताया कि उस वक्त ट्रेन में बहुत भीड़ होती थी और मैं बहुत यात्राएं किया करता था. उन्होंने बताया कि वे अनारक्षित डिब्बे में सफर करता था. सीट नहीं मिलने पर मैं ज्योतिषी की तरह हाथ देखना शुरू कर देता था और लोग मुझे सीट दे देते थे.
मेरे पास अनुभव का बहुत बड़ा खजाना है : PM मोदी
पीएम मोदी ने इंटरव्यू के दौरान अपनी सीखने की ललक के बारे में बताते हुए कहा, "जीवन भर मैं अपने आपको विद्यार्थी मानता हूं. इसलिए मैं एकेडमिक वर्ल्ड से सीखने का प्रयास करता हूं कि वो क्या सोचते हैं. मैं जो ब्यूरोक्रेट्स की जो दुनिया है, उनको समझने का प्रयास करता हूं."
जापान यात्रा से सीखने का पीएम मोदी ने सुनाया किस्सा
पीएम मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री रहते अपनी जापान यात्रा का जिक्र करते हुए कहा, "मैं एक बार जापान गया था. बहुत साल पहले की बात है. तब मैं सीएम था. जापान में मेरे पास कुछ समय था, तो मैंने सोचा की बाहर जाते हैं. हम पैदल ही जा रहे थे, तो फुटपाथ पर मैंने देखा कि गोल-गोल कुछ था. मैंने ऐसा कभी नहीं देखा था, तो मेरे मन में प्रश्न उठा और मैंने किसी से पूछा कि यह क्या है? तो उन्होंने बताया कि जो प्रज्ञा चक्षु लोग होते हैं, इनके चलने के लिए नीचे ये रखा जाता है. तब मैंने उसको स्टडी किया, बस स्टैंड आया, तो उनके लिए मोड़ था. मैंने मोबाइल फोन पर वहां की फोटो ली. उस समय भी मैं मोबाइल फोन कैमरे वाला रखता था, क्योंकि मेरा शौक टेक्नोलॉजी में रहा है. इसके बाद जैसे ही मैं अहमदाबाद रात में लगभग 10 बजे पहुंचा, मैंने अपने सिटी कमिश्नर को फोन किया. मैंने फोन पर पूछा कि जो हमारे फुटपाथ बनाने का काम चल रहा है, वो पूरा हो गया क्या? तो वह बोले कि थोड़ी-बहुत बन गई है. मैंने उनसे कहा कि ऐसा करो कि सुबह आ जाना, मुझे तुम्हें कुछ बताना है. मैंने उसके प्रिंट आउट निकाल कर रखे थे, वो सुबह आए तो मैंने उन्हें बताया कि फुटपाथ पर हम ये काम करेंगे, ताकि प्रज्ञाचक्षु लोगों को सहूलियत हो. इस तरह से कोई भी चीज सीखने का मन मेरा हमेशा रहता है."
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