कर्नाटक हाईकोर्ट ने सोमवार को कर्नाटक में आवारा पशुओं को लेकर राज्य सरकार के रुख पर सख्ती दिखाई और कहा कि वह कर्नाटक में आवारा पशुओं की देखभाल के लिए ‘गौशालाओं' के निर्माण को लेकर राज्य सरकार द्वारा उसके समक्ष दायर अनुपालन हलफनामे से संतुष्ट नहीं है. इसके साथ ही कोर्ट ने सवाल किया कि क्या किसी भी जिले में कोई गौशाला स्थापित की गई है. अदालत ने कर्नाटक सरकार को चिन्हित भूमि पर गौशालाओं के निर्माण के लिए जरूरी कदम उठाने और जून में अगली सुनवाई पर इस संबंध में एक स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया.
उच्च न्यायालय ने कहा, “हम गौशालाओं के निर्माण के लिए राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के संबंध में अनुपालन हलफनामे या दस्तावेजों में दिए गए विवरण से संतुष्ट नहीं हैं.” मुख्य न्यायाधीश ऋतुराज अवस्थी और न्यायमूर्ति एसआर कृष्ण कुमार की खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा, “इन परिस्थितियों में हम राज्य सरकार को निर्देश देते हैं कि वह 25 मार्च 2022 के अनुपालन हलफनामे के संलग्नक आर2 में प्रस्तुत दस्तावेजों में चिह्नित भूमि पर गौशालाएं स्थापित करने के लिए उचित कदम उठाए. साथ ही सुनवाई की अगली तारीख पर इस संबंध में एक स्थिति रिपोर्ट दाखिल करे.”
खंडपीठ उच्च न्यायालय न्यायिक सेवा समिति की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें राज्य सरकार को कर्नाटक पशुधन रोकथाम एवं संरक्षण अधिनियम की धारा-19 के तहत हर जिले में एक गौशाला स्थापित करने का निर्देश देने की मांग की गई थी.
उच्च न्यायालय ने कहा, “आदेश पर अमल करते हुए राज्य सरकार ने दस्तावेजों के साथ अनुपालन हलफनामा दाखिल किया है. विद्वान एजी ने बताया है कि कर्नाटक के हर जिले में गौशालाओं की स्थापना के लिए जमीन की पहचान की गई है और इस संबंध में धन भी आवंटित किया गया है.”
हालांकि, अदालत ने कहा कि यह दर्शाने के लिए कोई सामग्री पेश नहीं की गई है कि दस्तावेजों में बताए गए अनुसार किसी भी जिले में कोई गौशाला स्थापित की गई है या नहीं. उच्च न्यायालय ने मामले को जून के पहले सप्ताह में अगली सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का आदेश दिया.
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