जेल से सरकार चलाने पर रोक वाला बिल कहां है, जानिए कांग्रेस की दुविधा और सरकार की नई पहल

मॉनसून सत्र खूब हंगामेदार रहा. मोदी सरकार पूरे जोश के साथ भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए एक बिल लाई. जेपीसी के लिए भी तैयार हो गई, मगर सभी विपक्षी दलों ने उसमें शामिल नहीं होने का फैसला ले लिया. अब सरकार नई पहल करने जा रही है.

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  • विपक्ष के दल JPC का बहिष्कार कर रहे हैं और इसे विपक्षी राज्यों की सरकारों को अस्थिर करने की साजिश मानते हैं.
  • किरेन रिजिजू कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं से जेपीसी सदस्यों के नाम जल्द देने के लिए बातचीत करेंगे.
  • 130वें संविधान संशोधन के तहत 30 दिनों तक जेल में रहने वाले PM, CM या मंत्री का पद स्वतः समाप्त हो जाएगा.
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तीस दिनों तक जेल में बंद प्रधानमंत्री, मंत्री और मुख्यमंत्रियों की ऑटोमैटिक बर्खास्तगी वाले संविधान संशोधन विधेयक पर जेपीसी का गठन खटाई में है. वैसे तो यह जेपीसी संसद का मॉनसून सत्र खत्म होते ही बनाए जाने की बात थी, लेकिन अभी तक इसका गठन नहीं हो सका है. दरअसल, इस जेपीसी में शामिल होने पर विपक्ष में आम राय नहीं है. अब सरकार ने इस गतिरोध को सुलझाने के लिए पहल करने का फैसला किया है.

सरकार क्या करने जा रही

सूत्रों के मुताबिक, जल्दी ही संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू इस बारे में कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं से चर्चा करेंगे. वे उनसे जेपीसी के लिए कांग्रेस के सदस्यों के नाम जल्द देने का अनुरोध करेंगे. दरअसल, इंडिया ब्लॉक में शामिल कई दल इस जेपीसी का बहिष्कार करने का फैसला कर चुके हैं. उनका कहना है कि यह विधेयक विपक्ष के शासन वाले राज्यों के मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों को फंसाने और उनकी सरकारों को अस्थिर करने के लिए लाया जा रहा है. कांग्रेस ने शुरुआत में जेपीसी में शामिल होने की बात कही थी, लेकिन अब सहयोगी दलों के रुख के कारण वह दुविधा में है. 

कांग्रेस क्यों दुविधा में

कांग्रेस का यह भी कहना है कि सरकार जेपीसी में भी विपक्ष की बात नहीं सुनती है. इसके लिए वक्फ संशोधन बिल पर बनी जेपीसी का उदाहरण दिया जा रहा है, जहां विपक्ष का एक भी संशोधन नहीं माना गया. कांग्रेस का कहना है कि सरकार हर समिति में अपनी मर्जी चलाना चाहती है. कांग्रेस के सामने दुविधा यह भी है कि अगर वह इस जेपीसी में शामिल नहीं होती है तो बीजेपी को यह कहने का मौका मिल जाएगा कि भ्रष्टाचार से लड़ाई के लिए कांग्रेस गंभीर नहीं है. वहीं तृणमूल कांग्रेस समाजवादी पार्टी, आम आदमी पार्टी जैसे दल इस बिल और जेपीसी के सख्त खिलाफ हैं. 

ये बिल क्यों जरूरी

मॉनसून सत्र में 20 अगस्त को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संविधान में 130वें संशोधन का बिल रखा था. यह विधेयक कहता है कि यदि प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या कोई मंत्री गंभीर अपराध (जिसमें न्यूनतम 5 साल की सजा का प्रावधान हो) में लगातार 30 दिन जेल में रहते हैं, तो 31वें दिन उनका पद स्वतः समाप्त माना जाएगा. हालांकि रिहाई होने के बाद उन्हें फिर से इस पद पर नियुक्त किया जा सकेगा. शाह के मुताबिक, ऐसा इसलिए किया जाना जरूरी है ताकि जेल से सरकार न चलाई जा सके. यह बिल पेश करते समय स्वयं गृह मंत्री ने ही इसे संयुक्त संसदीय समिति में भेजने का प्रस्ताव रखा था. समिति को अपनी रिपोर्ट शीतकालीन सत्र में देनी है, लेकिन अभी तक समिति का गठन ही नहीं हो सका है.

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