सेना में भर्ती के लिए केंद्र सरकार की अग्निपथ योजना (Agnipath scheme) को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की सुनवाई के दौरान जस्टिस डीवाय चंद्रचूड (Justice DY Chandrachud) की एक मजाकिया टिप्पणी ने सभी के चेहरे पर मुस्कान ला दी. अग्निपथ योजना की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली जनहित याचिका की दलीलों का जवाब देते हुए जस्टिस चंद्रचूड ने हल्के-फुल्के अंदाज में कहा, "आप 'वीर' हो सकते हैं लेकिन आप 'अग्निवीर' नहीं हैं." जस्टिस चंद्रचूड़ का यह कमेंट एडवोकेट शर्मा की ओर से दी गई जोशीली दलीलों के बाद इस बात पर ध्यान दिलाने के लिए थी कि अधिवक्ता इस मामले में पीड़ित पक्ष नहीं है लेकिन उसने जनहित याचिका दाखिल की है.
गौरतलब है कि शर्मा को विभिन्न मुद्दों में जनहित याचिका दायर करने के लिए जाना जाता है. बाद में एनडीटीवी से बात करते हुए शर्मा ने कहा कि जस्टिस चंद्रचूड़ की टिप्पणी 'मेरी कड़ी मेहनत और प्रयासों की सराहना' करने के लिए थी. उन्होंने कहा, "जस्टिस चंद्रचूड़ ने ऐसा इसलिए कहा कि अग्निपथ योजना के खिलाफ याचिका दायर करने वाला मैं पहला व्यक्ति था." अदालत दरअसल शर्मा, हर्ष अजय सिंह और रवींद्र सिंह शेखावत द्वारा दायर तीन अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी. गौरतलब है कि सरकार की ओर से अग्निपथ योजना के ऐलान के बाद देशभर में प्रदर्शन शुरू हुए थे. योजना के अंतर्गत 17.5 से 21 वर्ष के बीच के लोगों को चार साल की अवधि के लिए सशस्त्र बलों में भर्ती किया जाएगा, इसके बाद बिना ग्रैच्युटी और पेंशन लाभ के इनमें से अधिकांश के लिए सेवानिवृत्ति होगी.
गौरतलब है कि अग्निपथ योजना को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने आज एक महत्वपूर्ण फैसला लिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अग्निपथ योजना के खिलाफ सभी याचिकाओं पर सिर्फ दिल्ली हाइकोर्ट ही सुनवाई करेगा. अग्निपथ योजना के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दायर की गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने अपने पास लंबित तीनों याचिकाओं को भी दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई के लिए ट्रांसफर कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद कोई सुप्रीम कोर्ट आ सकता है. इससे पहले सरकार की तरफ से कहा गया कि कई हाईकोर्ट में इसे चैलेंज किया गया है. Solicitor General ने कहा कि दिल्ली हाई कोर्ट में भी याचिका दाखिल की गई है और हम चाहते हैं की सभी को एक साथ सुना जाए. इसपर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा,”आप एक ट्रांसफर पीटिशन दायर करिए...हम हाईकोर्ट को सभी याचिकाएं सुनवाई करने को भेज देंगे.”
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