सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में हिजाब मामले में सुनवाई के दौरान वकील सलमान खुर्शीद (Salman Khurshid) ने कहा कि इस्लाम में अनिवार्य और गैर-अनिवार्य जैसी कोई बात नहीं है. कुरान में जो कुछ है वह अनिवार्य है और पैगंबर ने जो व्याख्या की है वह भी अनिवार्य है. खुर्शीद ने बुर्का, हिजाब और जिलबाब की तस्वीरों को दिखाकर उनके बीच के अंतर को अदालत को बताया. खुर्शीद ने अदालत में कहा कि संस्कृति महत्वपूर्ण है क्योंकि संस्कृति पहचान की ओर ले जाती है. खुर्शीद ने कहा कि क्या मुझे ड्रेस कोड की सदस्यता लेनी होगी? लेकिन क्या इसका मतलब यह है कि मैं इसके अलावा कुछ भी नहीं पहन सकता जो मेरी संस्कृति या धर्म के लिए महत्वपूर्ण हो?
सलमान खुर्शीद ने कहा कि जब हम गुरुद्वारा जाते हैं तो लोग हमेशा अपना सिर ढक कर रखते हैं. यह संस्कृति है. कुछ देशों में लोग मस्जिदों में अपना सिर नहीं ढकते हैं, लेकिन भारत में हर कोई सिर ढकता है. यह संस्कृति है. खुर्शीद ने कहा कि मैं निर्धारित वर्दी पहनूंगा. लेकिन सवाल यह है कि क्या मैं कुछ और पहन सकता हूं जो मेरी संस्कृति के लिए महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि अगर मैं सेना में हूं तो मुझे निर्धारित वर्दी पहननी होगी.अगर मैं बार काउंसिल का सदस्य हूं तो मुझे निर्धारित यूनिफार्म पहननी होगी. मैं निर्धारित यूनिफॉर्म पहनूंगा. लेकिन सवाल यह है कि क्या मैं कुछ और पहन सकता हूं जो मेरी संस्कृति के लिए महत्वपूर्ण है. पुट्टस्वामी फैसले का हवाला देते हुए कहा कि परिधान और दिखने की पसंद भी निजता का एक पहलू है. अबइस मामले पर सुनवाई बुधवार को होगी.
सोमवार को जस्टिस हेमन्त गुप्ता ने कि 16 सितंबर तक सुनवाई पूरी करने के संकेत दिए. कर्नाटक स्कूल-कॉलेज में हिजाब की अनुमति मांग रहे याचिकाकर्ताओं को बुधवार 14 सितबर तक दलील पूरी करने के लिए कहा गया. साथ ही राज्य सरकार को अपना पक्ष रखने के लिए 2 दिन का समय दिया गया है.