Explainer : न्यूज़क्लिक के खिलाफ क्या है मामला? यहां जानिए इससे जुड़े तथ्य और आरोप

न्यूज़क्लिक के ख़िलाफ़ मामला उस 38 करोड़ रुपये से जुड़ा है जो न्यूज़ पोर्टल को कथित तौर पर विदेशी फंडिंग के रूप में प्राप्त हुआ था.

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न्यूज़क्लिक के संस्थापक प्रबीर पुरकायस्थ (फाइल फोटो)

समाचार पोर्टल न्यूज़क्लिक, कथित विदेशी निवेश मानदंडों के उल्लंघन और चीन लिंक के लिए जांच के दायरे में है. इसके संस्थापक, प्रबीर पुरकायस्थ और एचआर प्रमुख अमित चक्रवतर्ती को दिल्ली पुलिस ने आतंकवाद विरोधी कानून - गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम - के तहत मंगलवार को गिरफ्तार किया था. ये गिरफ़्तारियां न्यूज़क्लिक और उनके पत्रकारों पर छापे के एक दिन बाद हुईं. न्यूयॉर्क टाइम्स की जांच में आरोप लगाया गया कि समाचार पोर्टल को चीनी प्रचार को बढ़ावा देने वाले नेटवर्क से धन प्राप्त हुआ था.

न्यूज़क्लिक के ख़िलाफ़ आरोप

न्यूज़क्लिक और संस्थापक के खिलाफ मामला 17 अगस्त, 2023 को दर्ज किया गया था और इसके अधिकारियों के खिलाफ यूएपीए लगाया गया. मीडिया संगठन पर आतंकवादी गतिविधियों, आतंकी फंडिंग और आपराधिक साजिश का आरोप लगाया गया है. इस पर दो समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने का भी आरोप है. यह मामला 38 करोड़ रुपये पर आधारित है जो समाचार पोर्टल को कथित तौर पर विदेशी फंडिंग के रूप में प्राप्त हुआ था. प्रवर्तन निदेशालय के सूत्रों का कहना है कि चीनी संस्थाओं ने चीनी समर्थक सामग्री का प्रचार करने के लिए न्यूज़क्लिक में धन का निवेश किया.

सूत्रों का कहना है कि न्यूज़क्लिक को कथित तौर पर अप्रैल 2018 में यूएस-आधारित मेसर्स वर्ल्डवाइड मीडिया होल्डिंग्स एलएलसी से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के रूप में 9.6 करोड़ रुपये प्राप्त हुए, जिसने 11,510/शेयर के बढ़े हुए प्रीमियम पर इसके शेयर खरीदे. कंपनी की स्थापना 2017 में चीन निवासी नेविल रॉय सिंघम के सहयोगी जेसन पफ़ेचर द्वारा की गई थी, जो कथित तौर पर चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के संपर्क रखने वाले व्यक्ति है. सूत्रों का कहना है कि उन्होंने कथित तौर पर 'वामपंथी विचारधारा' को बढ़ावा देने के लिए न्यूज़क्लिक में पैसा लगाया.

न्यूज़क्लिक को कथित तौर पर 2018 और 2022 के बीच दो अमेरिकी-आधारित संस्थाओं से ₹ 28 करोड़ का निर्यात प्रेषण भी प्राप्त हुआ. सूत्रों का कहना है कि लेकिन वह जांच के दौरान अमेरिकी कंपनियों को सेवाएं निर्यात करने का कोई सबूत पेश नहीं कर सकी. उनका कहना है कि 38 करोड़ रुपये के विदेशी फंड के अपारदर्शी स्रोत का पता नेविल रॉय सिंघम से लगाया गया है.

धन का उपयोग कैसे किया गया

विदेशी फंड के अलावा इसका अंतिम उपयोग भी जांच एजेंसियों की जांच के दायरे में है. एजेंसियों के मुताबिक अब तक की जांच से पता चला है कि न्यूज़क्लिक ने कथित तौर पर भीमा कोरेगांव मामले के आरोपी कार्यकर्ता को वेतन के रूप में ₹ 21 लाख का भुगतान किया था. मानवाधिकार कार्यकर्ता के परिवार के सदस्यों को भी कथित तौर पर वेतन के रूप में 24 लाख रुपये मिले.

न्यूज़क्लिक ने कथित तौर पर पत्रकार को वेतन के रूप में ₹ 40 लाख का भुगतान किया, जो 2018 से संगठन के सलाहकार हैं. एक अन्य पत्रकार, को ₹ 23 लाख वेतन मिला. सूत्रों का कहना है कि जांच से यह भी पता चला है कि संस्थापक ने कथित तौर पर अमेरिका स्थित एक रक्षा कंपनी के निवेश से एक कंपनी बनाई थी. कंपनी के निवेश और मामलों को भी जांच के दायरे में लाया गया है.

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न्यूज़क्लिक ने आरोपों का खंडन किया

न्यूज़क्लिक ने कहा कि यह 2021 से विभिन्न केंद्रीय एजेंसियों द्वारा लक्षित है लेकिन अभी तक कोई मनी लॉन्ड्रिंग शिकायत दर्ज नहीं की गई है. इसने कहा कि उसके कार्यालयों और अधिकारियों के आवासों पर प्रवर्तन निदेशालय, दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा और आयकर विभाग द्वारा छापे मारे गए हैं. “फिर भी, पिछले दो वर्षों में, प्रवर्तन निदेशालय न्यूज़क्लिक पर मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज नहीं कर पाया है.” 

संगठन ने कहा कि यह एक स्वतंत्र समाचार वेबसाइट है और इन दावों से इनकार किया है कि यह किसी चीनी इकाई या प्राधिकरण के आदेश पर समाचार प्रकाशित करता है. "न्यूज़क्लिक अपनी वेबसाइट पर चीनी प्रचार का प्रचार नहीं करता है. न्यूज़क्लिक अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित सामग्री के संबंध में नेविल रॉय सिंघम से निर्देश नहीं लेता है,"

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प्रेस संस्थाओं ने कार्रवाई की निंदा की

कई प्रेस संगठनों ने न्यूज़क्लिक पर कार्रवाई की निंदा की है और स्वतंत्र मीडिया और स्वतंत्र प्रेस के महत्व पर जोर दिया है. पत्रकार संगठनों ने भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ को भी पत्र लिखकर उनसे हस्तक्षेप की मांग की है. कुछ राजनीतिक दल भी छापे का शिकार हुए न्यूज पोर्टल और पत्रकारों के समर्थन में सामने आए हैं.

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