मियां-बीवी राजी, तो खत्म शादी, मुस्लिमों में 'मुबारात' क्या है?

Mubarat In Muslims: मुस्लिमों में तलाक देने के अलग-अलग प्रावधान हैं. जिसमें मुबारात भी शामिल है, जिसमें पति या फिर पत्नी दोनों ही तलाक के लिए अपील कर सकते हैं.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
मुबारात को लेकर गुजरात हाईकोर्ट का फैसला
फटाफट पढ़ें
Summary is AI-generated, newsroom-reviewed
  • गुजरात हाईकोर्ट ने मुस्लिम विवाह को मुबारात के जरिए मौखिक सहमति से खत्म करने को मान्यता दी है
  • फैमिली कोर्ट के आदेश को निरस्त करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि तलाक के लिए लिखित समझौता जरूरी नहीं है
  • हाईकोर्ट ने कुरान, हदीस और मुस्लिम पर्सनल लॉ के आधार पर मौखिक मुबारात को वैध माना
क्या हमारी AI समरी आपके लिए उपयोगी रही?
हमें बताएं।

गुजरात हाईकोर्ट ने मुस्लिम शादी को खत्म करने के एक मामले में कहा है कि मुस्लिम विवाह को ‘मुबारात' के जरिये मौखिक आधार पर और बिना लिखित समझौते के खत्म किया जा सकता है. जस्टिस एवाई कोगजे और जस्टिस एनएस संजय गौड़ा की बेंच ने राजकोट की एक फैमिली कोर्ट के उस आदेश को निरस्त करते हुए यह टिप्पणी की, जिसमें एक मुस्लिम दंपति की तरफ से  ‘मुबारात' के जरिए शादी तोड़ने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया गया था. ऐसे में जानते हैं कि ये पूरा मामला क्या है और मुस्लिमों में मुबारात क्या होता है.

लिखित समझौता नहीं है जरूरी- हाईकोर्ट

हाईकोर्ट की बेंच ने मामला फिर से फैमिली कोर्ट को भेजते हुए निर्देश दिया कि वह तीन महीने की अवधि में इस पर कार्यवाही पूरी करे. हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट के इस रुख से असहमति जताई कि शादी तोड़ने के लिए लिखित समझौता जरूरी है. कोर्ट ने कुरान, हदीस और मुस्लिम पर्सनल लॉ का हवाला देते हुए कहा कि अगर मुस्लिम दंपति आपसी सहमति से विवाह खत्म करना चाहते हैं, तो इसके लिए लिखित समझौता जरूरी नहीं है. 

आधार-PAN या वोटर आईडी नहीं तो क्या? जानें कैसे साबित कर सकते हैं अपनी नागरिकता

हाईकोर्ट ने दिया ये तर्क

हाईकोर्ट ने कहा, 'यह तर्क दिया गया कि फैमिली कोर्ट ने यह गलत माना कि अलग होने का समझौता केवल लिखित रूप में ही होना चाहिए, जबकि शरीयत मौखिक समझौते को भी मान्यता देता है.' धार्मिक ग्रंथों और मुस्लिम पर्सनल लॉ का हवाला देते हुए हाईकोर्ट ने कहा, "ऐसा कोई संकेत नहीं है, जिससे यह पता चले कि ‘मुबारात' के लिए लिखित समझौता जरूरी है और न ही ऐसा कोई प्रचलन है कि आपसी सहमति से खत्म किए गए निकाह को दर्ज करने के लिए कोई रजिस्टर बनाकर रखा जाता हो. 'मुबारात' के लिए आपसी सहमति की अभिव्यक्ति ही विवाह समाप्त करने के लिए पर्याप्त है."

क्या है पूरा मामला?

दरअसल गुजरात के राजकोट निवासी एक मुस्लिम दंपति ने वैवाहिक मतभेद के चलते फैमिली कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने शादी को ‘मुबारात' के जरिये खत्म किए जाने की मांग की थी. दंपति के अनुसार, ‘मुबारात' को मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) एप्लिकेशन अधिनियम, 1937 के तहत तलाक के एक मान्य रूप में मान्यता प्राप्त है.

मुस्लिमों में क्या होता है मुबारात?

मुस्लिमों में तलाक देने के अलग-अलग प्रावधान हैं. जिसमें मुबारात भी शामिल है, जिसमें पति या फिर पत्नी दोनों ही तलाक के लिए अपील कर सकते हैं. ‘मुबारात' इस्लाम में तलाक का एक ऐसा तरीका है, जिसमें पति-पत्नी आपसी सहमति से शादी खत्म कर सकते हैं. इसमें पति और पत्नी दोनों ही तलाक के लिए इच्छुक होने चाहिए. इसी तरह का एक प्रावधान 'खुला' भी है, जिसमें प्रस्ताव पत्नी की तरफ से आता है. इसमें पत्नी अपने पति को कुछ पैसे या संपत्ति देकर आपसी सहमति से तलाक ले सकती है.  
 

Featured Video Of The Day
India ने F-16 गिराये, US ने मुहर लगाई! Operation Sindoor पर WORLD EXCLUSIVE Report | Kachehri