चुनावी बॉन्ड को लेकर SC में दिग्गज वकीलों के बीच हुई गरमा-गरम बहस, SBI को भी लगी फटकार

Electoral Bonds : औद्योगिक निकायों ने बॉन्ड विवरण का खुलासा करने के खिलाफ वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी के जरिए दायर की अपनी अंतरिम याचिका पर तत्काल सुनवाई करने का अनुरोध किया था. सुप्रीम कोर्ट ने इस पर सुनवाई से इन्कार कर दिया.

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उच्चतम न्यायालय ने एक मार्च 2018 से 11 अप्रैल 2019 तक बेचे गए चुनावी बॉन्ड की जानकारियों का खुलासा करने का अनुरोध करने वाली याचिका पर सुनवाई करने से भी इनकार कर दिया.
नई दिल्ली:

उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने सोमवार को तीसरी बार भारतीय स्टेट बैंक (SBI) को फटकार लगाते हुए उसे ‘‘चुनिंदा'' रवैया न अपनाने और 21 मार्च तक चुनावी बॉन्ड योजना से संबंधित सभी जानकारियों का ‘‘पूरी तरह खुलासा'' करने को कहा. उच्चतम न्यायालय ने चुनावी बॉन्ड से संबंधित सभी जानकारियों का खुलासा करने को कहा, जिसमें विशिष्ट बॉन्ड संख्याएं भी शामिल हैं. विशिष्ट बॉन्ड संख्या से खरीददार और प्राप्तकर्ता राजनीतिक दल के बीच राजनीतिक संबंध का खुलासा होगा.

भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पांच सदस्यीय पीठ ने कहा कि इसमें ‘‘कोई संदेह नहीं'' है कि एसबीआई को बॉन्ड की सभी जानकारियों का पूरी तरह खुलासा करना होगा. पीठ में न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बी आर गवई, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल हैं. पीठ ने कहा कि निर्वाचन आयोग एसबीआई से जानकारियां मिलने के बाद अपनी वेबसाइट पर तुरंत इन्हें अपलोड करे.

बीते शुक्रवार को न्यायालय ने देश के सबसे बड़े बैंक को अपने निर्देशों के अनुपालन में विशिष्ट अक्षरांकीय संख्या (यूनीक अल्फा-न्यूमेरिक नंबर) का खुलासा न करने के लिए ‘कारण बताओ' नोटिस जारी किया था और कहा था कि एसबीआई उन संख्याओं के खुलासे के लिए 'कर्तव्यबद्ध' था. पीठ ने सोमवार को एसबीआई की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे की दलीलों पर गौर किया कि बैंक को उसके पास उपलब्ध चुनावी बॉन्ड की सभी जानकारियों का खुलासा करने में कोई आपत्ति नहीं है. पीठ ने कहा, ‘‘आदेश को पूरी तरह से प्रभावी बनाने और भविष्य में किसी भी विवाद से बचने के लिए, एसबीआई के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक बृहस्पतिवार (21 मार्च) को शाम पांच बजे से पहले एक हलफनामा दाखिल कर यह बताए कि एसबीआई ने चुनावी बॉन्ड की उसके पास उपलब्ध सभी जानकारियों का खुलासा कर दिया है और कोई भी जानकारी छिपायी नहीं है.''

औद्योगिक निकायों की याचिका खारिज
सुनवाई के दौरान न्यायालय ने एसबीआई से बॉन्ड संख्याओं समेत चुनाव बॉन्ड से संबंधित सभी संभावित सूचनाओं का खुलासा करने को कहा. पीठ ने सुनवाई के दौरान मौखिक रूप से कहा, ‘‘हमने एसबीआई से सभी जानकारियों का खुलासा करने के लिए कहा था, जिसमें चुनावी बॉन्ड संख्याएं भी शामिल हैं. एसबीआई विवरण का खुलासा करने में चुनिंदा रुख न अपनाए.'' उसने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने चुनावी बॉन्ड मामले में अपने फैसले में बैंक से बॉन्ड के सभी विवरण का खुलासा करने को कहा था तथा उसे इस संबंध में और आदेश का इंतजार नहीं करना चाहिए. उच्चतम न्यायालय ने साथ ही चुनावी बॉन्ड मामले में औद्योगिक निकायों, उद्योग मंडल एसोचैम और भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) की गैर-सूचीबद्ध याचिकाओं पर सुनवाई करने से इन्कार कर दिया. औद्योगिक निकायों ने बॉन्ड विवरण का खुलासा करने के खिलाफ वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी के जरिए दायर की अपनी अंतरिम याचिका पर तत्काल सुनवाई करने का अनुरोध किया था.

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"हम इसकी अनुमति नहीं देंगे"
साल्वे ने पीठ से कहा कि ऐसा नहीं लगना चाहिए कि बैंक अदालत के साथ ‘‘खिलवाड़'' कर रहा है, क्योंकि उन्हें चुनावी बॉन्ड की जानकारियों का खुलासा करने में कोई दिक्कत नहीं है. इस मामले में याचिकाकर्ता गैर लाभकारी संगठन (एनजीओ) की ओर से पेश अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने दावा किया कि प्रमुख राजनीतिक दलों ने दानदाताओं का विवरण नहीं दिया है, केवल कुछ दलों ने दिया है. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दावा किया कि ये प्रायोजित एनजीओ ‘‘आंकड़ों में हेरफेर'' कर रहे हैं. उच्चतम न्यायालय ने चुनावी बॉन्ड विवरण का खुलासा करने संबंधी उसके फैसले की समीक्षा करने का अनुरोध करने वाले ‘सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन' (एससीबीए) के अध्यक्ष व वरिष्ठ अधिवक्ता आदेश सी अग्रवाल के पत्र पर विचार करने से भी इनकार कर दिया. सीजेआई ने कहा, ‘‘एक वरिष्ठ अधिवक्ता होने के अलावा, आप एससीबीए के अध्यक्ष हैं. आप प्रक्रिया जानते हैं. आपने मेरी स्वत: संज्ञान संबंधी शक्तियों को लेकर पत्र लिखा है. इसका उल्लेख करने का औचित्य क्या है? ये सभी प्रचार संबंधी चीजें हैं. हम इसकी अनुमति नहीं देंगे.'' सीजेआई ने अग्रवाल से कहा, ‘‘मुझे और कुछ कहने के लिए मजबूर न करें.''

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सॉलिसिटर जनरल ने बनाई दूरी
सॉलिसिटर जनरल मेहता ने केंद्र सरकार की ओर से कहा, ‘‘अग्रवाल ने जो भी लिखा है, मैं अपने आप को पूरी तरह उससे अलग करता हूं. इसकी बिल्कुल भी आवश्यकता नहीं है.'' उन्होंने यह भी कहा कि चुनावी बॉन्ड पर उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद ‘‘केवल सरकारी स्तर पर ही नहीं बल्कि दूसरे स्तर पर भी बेबुनियादी बयानबाजी शुरू हो गयी हैं. मेहता ने कहा कि अदालत में पेश लोगों ने प्रेस को साक्षात्कार देना, अदालत को ‘‘जानबूझकर शर्मिंदा'' करना शुरू कर दिया है और इससे असमानता का माहौल पैदा हो गया है. उन्होंने सोशल मीडिया पोस्ट्स का भी उल्लेख किया और कहा कि ये शर्मिंदा करने के उद्देश्य से किए गए. उन्होंने कहा कि केंद्र का कहना यह है कि वे काले धन पर रोक लगाना चाहते हैं.

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"हम संविधान के अनुसार फैसला करते हैं"
इस पर सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, ‘‘सॉलिसिटर, हम सिर्फ निर्देशों के क्रियान्वयन को लेकर चिंतित हैं. न्यायाधीश होने के नाते हम संविधान के अनुसार फैसला करते हैं. हम कानून के अनुसार काम करते हैं. हम पर भी सोशल मीडिया और प्रेस में टिप्पणियां की जाती हैं.'' उच्चतम न्यायालय ने एक मार्च 2018 से 11 अप्रैल 2019 तक बेचे गए चुनावी बॉन्ड की जानकारियों का खुलासा करने का अनुरोध करने वाली याचिका पर सुनवाई करने से भी इनकार कर दिया.

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