पश्चिम बंगाल राशन घोटाला : बकीबुर रहमान की तीन शेल कंपनियों, इन्‍हीं के जरिया चल रहा था पूरा गोरखधंधा

पश्चिम बंगाल राशन घोटाले में आरोपी बकीबुर रहमान ने बताया कि शेल कंपनियों का पैसा लोन के रूप में फूड एंड सप्लाई मंत्री ज्योतिप्रिया मल्लिक को जा रहा है और वो इसके लाभार्थी हैं, क्योंकि लोन वापस नहीं लिया गया.

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पश्चिम बंगाल पुलिस ने राशन घोटाले को लेकर 22 फरवरी 2020 से लेकर 2022 तक कई केस दर्ज किए...
नई दिल्‍ली:

पश्चिम बंगाल राशन घोटाले (West Bengal Ration Scam) में बड़ा खुलासा हुआ है. प्रवर्तन निदेशालय (ED) के सूत्रों के मुताबिक, जांच के दौरान आरोपी बकीबुर रहमान (Bakibur Rahman) की तीन शेल कंपनियों का पता चला, जिसमें डमी डायरेक्टर थे. इन्‍हीं के जरिए राशन की खरीद-फरोख्त हो रही थी. ये तीन कंपनिया हैं- हनुमान रियलकॉन प्रा. लिमिटेड, ग्रेसियस इनोवेटिव प्रा. लिमिटेड और ग्रेसियस क्रिएशन प्रा. लिमिटेड. इन तीन कंपनियों में अवैध तरीके से 20 करोड़ से ज्यादा रुपये आए. ये पैसा ज्यादातर कैश में आया. 

बकीबुर रहमान ने बताया कि इन कंपनियों का पैसा लोन के रूप में फूड एंड सप्लाई मंत्री ज्योतिप्रिया मल्लिक को जा रहा है और वो इसके लाभार्थी हैं, क्योंकि लोन वापस नहीं लिया गया. इस संबंध में आगे की जांच से पता चलता है कि तीन कंपनियों के पहले निदेशक और शेयरधारक ज्योतिप्रिया मल्लिक की पत्नी मनिदीपा मल्लिक और उनकी बेटी प्रियदर्शिनी मल्लिक थीं.

इन कंपनियों में बोगस शेयर प्रीमियम और अनाज के व्यापार से मिले फायदे के नाम पर पैसा जमा किया गया. कंपनियों से 20 करोड़ से ज्यादा रुपया बकीबुर रहमान के साले के बैंक एकाउंट में गया. 26 अक्टूबर को छापेमारी के दौरान ऐसे 16 करोड़ रुपये सीज किये गए. छापेमारी के दौरान ईडी ने ज्योतिप्रिया मल्लिक के घर से इन कम्पनियों के स्टांप बरामद किए. उनके घर में काम करने वालों के बयान दर्ज हुए,उन्होंने भी बताया की इन कम्पनियों में डायरेक्टर मल्लिक के परिवार के लोग हैं.

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छापेमारी के दौरान एक नंबर के सामने MIC नाम से लिखा मिला, जिसको 68 लाख का पेमेंट दिया हुआ दिखाया गया. वो दरअसल, मिनिस्टर ऑफ इंचार्ज था जो असल में फूड एंड सप्लाई मिनिस्टर थे. उसने बताया कि ये पैसे बकीबुर रहमान के कहने पर मंत्री को दिए गए. बकीपुर रहमान ने मल्लिक और उसके परिवार के लिए फ्लाइट के टिकट भी बुक कराए इसके भी सबूत मिले. 

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आगे की जांच के दौरान यह भी पता चला कि नवंबर 2016 से मार्च 2017 के दौरान मोनादीपा मल्लिक के आईडीबीआई बैंक खाते में 6.03 करोड़ रुपये जमा किए गए थे. नवंबर 2016 के दौरान प्रियदर्शनी मलिक के आईडीबीआई बैंक खाते में 3.79 करोड़ रुपये जमा किए गए थे. 4 अप्रैल 2016 को ज्योतिप्रिया मल्लिक ने पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में जो एफिडेविट फाइल किया था, उसमें अपनी पत्नी के खाते में केवल 45 हजार रुपये दिखाए थे, जबकि अगले ही साल उनके खाते में 6 करोड़ से ज्यादा आ गए. 

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ज्योतिप्रिया मल्लिक के ठिकानों पर छापेमारी के दौरान एक "मैरून रंग की डायरी" रखी हुई पाई गई, जिसमें भारी मात्रा में सिलसिलेवार तरीके से कैश और रसीदों की पूरी जानकारी थी. इस डायरी में एमआईसी ज्योति प्रिया मल्लिक को 'बालूदा' के नाम से जाना जाता है और तीन कंपनियों के नाम बताए गए हैं, एनपीजी का नाम था और लेनदेन के बारे में जानकारी थी. 

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जब्त डायरी में दिखाया गया कि 'बालुदा' यानी एमआईसी को कैश कैसे मिला, जो ज्योतिप्रिया मल्लिक और उसकी तीन कंपनियों में जमा किया गया था, जिन्हें पहले शारदा आर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड (ग्रेसियस क्रिएशन प्राइवेट लिमिटेड), शारदा फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड (ग्रेसियस इनोवेटिव प्राइवेट लिमिटेड) और हनुमान रियलकॉन प्राइवेट लिमिटेड के नाम से जाना जाता था.

ऐसे हुई घोटाले की शुरुआत...
पश्चिम बंगाल पुलिस ने इस घोटाले को लेकर 22 फरवरी 2020 से लेकर 2022 तक कई केस दर्ज किए. पीडीएस राशन अवैध तरीके से बेचते और इनके कई वितरक गिरफ्तार किए गए. ये राशन पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन स्कीम के तहत वेस्ट बंगाल पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम के जरिए सप्लाई होना था. राशन सप्लाई की जिम्मेदारी सरकार ने एनपीजी राइस मिल्स प्राइवेट लिमिटेड को दी थी. इसका डायरेक्टर बकीबुर रहमान था. छापेमारी के दौरान एक शख्स के यहां से डायरी मिली, जिसमें खरीद-फरोख्त का विवरण था. उस शख्स ने बताया की वो अवैध तौर पर पिछले 8-10 सालों से पीडीएस राशन की खरीद-फरोख्त कर रहा है. एक और शख्स ने बताया कि उसके पास पीडीएस राशन बेचने का लाइसेंस है, लेकिन वो इस राशन को ओपन मार्केट में बेचता है. ये पूरा राशन एनपीजी राइस मिल्स प्राइवेट लिमिटेड से आ रहा था, जो मिल मल्लिक की मिलीभगत से खुले बाजार में अवैध तरीके से बेचा जा रहा था. फ्लोर के मैनेजर ने अपने बयान में बताया कि वो सरकारी वितरकों को 20-40 प्रतिशत कम राशन सप्लाई करता है और ये राशन प्राइवेट दुकानदारों को जाता है. सबूत के तौर पर कई रजिस्टर जब किए गए, जिसमें पेमेंट और ऐसे वितरकों की पूरी जानकारी थी. ईडी ने यहां से पश्चिम बंगाल सरकार के अलग-अलग विभागों के 100 से ज्यादा स्टांप बरामद किए. आरोपी बकीबुर रहमान ने भी माना की वो कई साल से इस गोरखधंधे में लगा है. बकीबुर रहमान को 14 अक्टूबर 2023 को गिरफ्तार कर लिया, वो ज्योतिप्रिया मल्लिक का बेहद करीबी है.

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