भारतीय नौसेना में 21 नवंबर को मुंबई में देसी स्टेल्थ गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर विशाखापट्टनम शामिल होने जा रही है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में डिस्ट्रॉयर को शामिल किया जाएगा. इससे नौसेना की ताकत काफी बढ़ जाएगी. इसे भारत में तैयार सबसे शक्तिशाली युद्धपोतों में से एक माना जा सकता है. विशाखापट्टनम को नौसेना डिजाइन निदेशालय ने डिजाइन किया गया है. मझगांव डॉकयार्ड लिमिटेड, मुंबई ने इसे बनाया है. यह नौसेना के प्रोजेक्ट पी 15 बी का हिस्सा है. बड़ी बात यह भी है कि युद्धपोत में 75 फीसदी हिस्सा पूरी तरह से स्वदेशी है.
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इस क्लास के तीन और युद्धपोत 35.000 करोड़ की लागत से बनाए जाने हैं. इस शानदार युद्धपोत की लंबाई 163 मीटर है. चौड़ाई 17 मीटर और वजन 7400 टन है. इसकी स्पीड 30 नॉटिकल माइल्स की है. इसमें सतह से सतह पर मार करने वाली एमआरसैम मिसाइल और सतह से हवा में मार करने वाली ब्रह्मोस मिसाइल जैसे अत्याधुनिक हथियार हैं. यह आधुनिक निगरानी रडार से सुसज्जित है जो जहाज के तोपखाने हथियार प्रणालियों को लक्ष्य डेटा प्रदान करता है. जहाज की पनडुब्बी रोधी युद्ध क्षमताएं स्वदेशी रूप से विकसित रॉकेट लॉन्चर, टॉरपीडो लॉन्चर और एएसडब्ल्यू हेलीकॉप्टरों द्वारा प्रदान की जाती हैं. युद्धपोत परमाणु, जैविक और रासायनिक (एनबीसी) युद्ध स्थितियों के तहत लड़ने के लिए लैस है.
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इसका नाम पूर्वी तट पर आंध्र प्रदेश के ऐतिहासिक शहर विशाखापट्टनम के नाम 'सिटी ऑफ डेस्टिनी' पर रखा गया है. हिंद महासागर क्षेत्र में बदलते हालात को देखते हुए आईएनएस विशाखापट्टनम के आने से नौसेना सामरिक तौर पर काफी मजबूत हो जाएगी. साथ में चुनौतियां का सामना बेहतर ढंग से कर पाएगी.
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