मुंबई (Mumbai) में अचानक बिगड़ी हवा और अक्टूबर की तपती गर्मी ने वायरल बीमारियों (Viral Diseases) में बढ़ोतरी दर्ज कराई है. सर्दी-बुखार से शुरू हुई तकलीफ, सांस की दिक्कत और फिर गंभीर अवस्था बच्चों और शारीरिक रूप से कमजोर लोगों के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है. डॉक्टरों के मुताबिक, क्लाइमेट चेंज होने के कारण कुछ वायरस की ग्रोथ बहुत बढ़ जाती है और जिसका इम्यून सिस्टम बिगड़ा रहता है, उन पर वायरस जल्दी हमला करता है.
मुंबई में 17 साल की एक मरीज करीब दो हफ्ते तक वेंटिलेटर पर रहने के बाद चल बसीं. उन्हें शुरुआत में बुखार हुआ था. सांस की तकलीफ हुई और देखते ही देखते शरीर पर कुछ ऐसे गहरे दाग दिखने लगे थे. इंफेक्शन पूरे शरीर में फैल चुका था.
मुंबई के केजे सौमैया अस्पताल के बालरोग विशेषज्ञ इंटेसिविस्ट डॉ. इरफान अली ने कहा कि उसे रेस्पिरेटरी दिक्कत थी. एडमिट होते ही एक्सरे हुआ तो बच्ची का एक्सरे बहुत खराब निकला. उन्होंने बताया कि निमोनिया का मामला था. इन्फ्लुएंजा बी पॉजिटिव निकला, बाकी डीआईसी (Disseminated intravascular coagulation) की समस्या थी, जिसमें पूरे शरीर में ब्लीडिंग होती है. ड्राई गैंगरीन भी डेवलप हुआ.
मुंबई में 1 से 22 अक्टूबर के बीच डेंगू के 737 मामले दर्ज किए गए हैं. इनमें मलेरिया के 680, स्वाइन फ्लू के 51 और गैस्ट्रोएंटेराइटिस के 263 मामले सामने आए हैं. वहीं रोजाना औसतन 4-5 मरीज डेंगू के भी सामने आ रहे हैं. इस महीने स्वाइन फ्लू यानी H1N1 के मामलों में तीन गुना बढ़ोतरी हुई है.
महाराष्ट्र में 1 जनवरी से 25 अक्टूबर तक इन्फ्लुएंजा के 3,066 मरीज मिले हैं. इनमें से 29 की मौत हो चुकी है और इस वक्त इन्फ्लुएंजा के 62 मरीज अस्पताल में भर्ती हैं.
मुंबई में इस बार अक्टूबर के महीने में तापमान 34-36 डिग्री तक है. इसके लिए शहर के अनियमित मौसम और दूषित हवा को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है.
मुंबई के बड़े अस्पतालों में शामिल केजे सोमैया अस्पताल में गंभीर अवस्था वाले बच्चे रेफर होकर आते हैं. डॉ. इरफान अली के पास जब एक चार साल का बच्चा पहुंचा तो उसकी हालत बेहद नाजुक थी, दस दिन तक वेंटिलेटर पर रहने के बाद वह अब डिस्चार्ज होने वाला है.
इम्यून सिस्टम कमजोर तो खतरा ज्यादाडॉ. इरफान अली ने बताया कि मौसम में काफी बदलाव हुआ है. बीते दस दिनों में काफी गर्मी बढ़ी है. पिछले कुछ दिनों से हमारे पास ऐसे कई मरीज आ रहे हैं, जो तेज बुखार सर्दी खांसी की शिकायत के साथ आ रहे हैं. कुछ को भर्ती करने की जरूरत पड़ती है, ब्लड टेस्ट करते हैं तो प्लेटलेट्स डब्ल्यूबीसी काउंट कम होता है और आगे डेंगू मलेरिया के लिए टेस्टिंग की तो डेंगू इन्फ्लुएंजा के काफी पॉजिटिव मरीज मिल रहे हैं. उन्होंने कहा कि क्लाइमेट चेंज होने के कारण कुछ वायरस की ग्रोथ बहुत बढ़ जाती है और जिसका इम्यून सिस्टम कमजोर है, उन पर वायरस जल्दी हमला करता है.
डेंगू-मलेरिया-इन्फ्लुएंजा के मामलों में इजाफाडेंगू-मलेरिया-इन्फ्लुएंजा के लगातार बढ़े मामलों के बीच मुंबई में लोगों को अजीब तरह का काफी समय तक रहने वाला बुखार भी हो रहा है, जिससे चकत्ते और गुलाबी धब्बे भी शरीर पर हो रहे हैं. कई दिनों तक शरीर तोड़ने वाले रहस्यमय बुखार से मुंबई के डॉक्टर भी हैरान हैं.
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