मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आधिकारिक आवास के नवीनीकरण पर कुल 52.71 करोड़ रुपये की लागत आई है सरकारी सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली सरकार के सतर्कता निदेशालय की ओर से उपराज्यपाल को सौंपी गई 'तथ्यात्मक रिपोर्ट' में यह बात कही गई है.
लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के रिकॉर्ड के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि 52.71 करोड़ रुपये में घर के निर्माण पर 33.49 करोड़ रुपये और मुख्यमंत्री के लिए एक कैंप कार्यालय पर 19.22 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं. आम आदमी पार्टी (आप) ने एक बयान में कहा कि यह 'दुर्भाग्यपूर्ण' है कि पिछले नौ वर्षों में केजरीवाल की छवि खराब करने के अपने सभी प्रयासों में विफल रहने के बाद, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अब मुख्यमंत्री आवास को निशाना बना रही है.
बयान में कहा गया है, “ रिपोर्ट में ऐसा कुछ भी नहीं है जिससे यह कहा जा सके कि कोई अपराध किया गया है. यह पहली बार है कि दिल्ली में मुख्यमंत्री के लिए एक आधिकारिक रिहायशी परिसर बनाया गया है, जिसमें मुख्यमंत्री आवास, एक कार्यालय सचिवालय, एक सभागार और स्टाफ क्वार्टर शामिल हैं.”
रिपोर्ट में कहा गया है कि तत्कालीन पीडब्ल्यूडी मंत्री ने मार्च 2020 में अतिरिक्त आवास व्यवस्था का प्रस्ताव दिया था जिसमें एक ड्राइंग रूम, दो बैठक कक्ष और 24 लोगों की क्षमता वाला एक भोजन कक्ष शामिल है. साथ में मौजूदा ढांचे में बदलाव कर ऊपर एक मंजिल डालने का भी प्रस्ताव दिया था.
रिपोर्ट कहती है कि पीडब्ल्यूडी ने छह फ्लैग स्टाफ रोड पर स्थित मौजूदा ढांचे को इस आधार पर गिराने का प्रस्ताव दिया कि यह 1942-43 में बना पुराना ढांचा था और इसकी मियाद 1997 में पूरी हो चुकी है.
पीडब्ल्यूडी ने सिफारिश की थी कि परिसर के भीतर अतिरिक्त निर्माण किया जा सकता है और मौजूदा बंगले को बैरिकेडिंग से अलग किया जा सकता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि एक बार निर्माण पूरा हो जाने के बाद मुख्यमंत्री और उनका परिवार नए बंगले में स्थानांतरित हो सकता है और मौजूदा बंगले को गिराया जा सकता है.
भाजपा द्वारा मुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास के नवीनीकरण में अनियमितताओं के आरोपों के बीच उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने अप्रैल में मुख्य सचिव नरेश कुमार को सभी संबंधित फाइलों को सुरक्षित रखने और एक तथ्यात्मक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था.
विशेष सचिव (सतर्कता) वाईवीवीजे राजशेखर ने रिपोर्ट पर हस्ताक्षर किए हैं और इसे 12 मई को उपराज्यपाल को सौंपा गया था. इसके एक दिन पहले ही उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली में सेवाओं पर नियंत्रण के मामले में फैसला आम आदमी पार्टी की सरकार के हक में दिया था.
रिपोर्ट के मुताबिक, पीडब्ल्यूडी ने शुरू में अनुमान लगाया था कि निर्माण पर 15-20 करोड़ रुपये खर्च होंगे. 8.61 करोड़ रुपये का पहला टेंडर 20 अक्टूबर, 2020 को दिया गया था और इसमें नए भवन के निर्माण का जिक्र नहीं था. इसमें यह भी बताया गया कि वित्त विभाग के 2020 के एक आदेश के खिलाफ कोविड-19 महामारी के दौरान निर्माण कार्य किया गया था. आदेश में केवल आपातकालीन प्रकृति के व्यय की इजाजत थी.
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