स्वीडन (Swedish Woman) की 41 वर्षीय महिला पेट्रीसिया एरिक्सन (Patricia Eriksson) इन दिनों भारत के नागपुर में अपनी जन्म देने वाली मां (Biological Mother) की तलाश कर रही हैं, जिन्होंने उन्हें 4 दशक पहले गोद दे दिया था. एरिक्सन का जन्म फरवरी 1983 को नागपुर के डागा अस्पताल में हुआ था और इसके ठीक एक साल बाद स्वीडिश जोड़े ने उन्हें गोद ले लिया था. वैसे ये एरिक्सन की नागपुर की दूसरी यात्रा है. इस मामले में कई चुनौतियों का सामना करने के बावजूद वह अपनी जन्म देने वाली को खोजने के लिए दृढ़ संकल्प हैं. वह अपने गोद लेने वाले माता-पिता की आभारी हैं, लेकिन वह अपनी जन्म देने वाली मां से मिलने की इच्छा रखती हैं.
रिपोर्टर ने जब उनसे उस पल के बारे में पूछा कि उन्हें इस बात का अहसास कब हुआ कि जिन्होंने उन्हें पाला है वह उनकी जन्म देने वाली मां नहीं हैं, इसके जवाब में एरिक्सन ने कहा कि स्कूल में बच्चे बात करते थे कि उनकी नाक या बाल उनकी मां या पिता जैसे हैं, तब मुझे एहसास हुआ कि मैं तो ऐसा नहीं बोल सकती. एक बच्चे के नजरिए से आप अपनी तुलना अपनी मां से नहीं कर सकते. आपको ऐसी स्थिति में रखा जाता है जहां आप किसी और की तरह नहीं दिखते हैं. यहां से मेरी सोच शुरू हुई. मुझे उम्मीद है कि आगे बेहतर ही रहेगा....
एडवोकेट अंजलि पवार ने लगाई ये गुहार
एडवोकेट अंजलि पवार पेट्रीसिया की मां की तलाश में उनकी मदद कर रही हैं. उन्होंने कहा कि जो कोई भी 1983 में शांति नगर में रहता था या शांता और रामदास के बारे में जानता है तो उन्हें आगे आना चाहिए और हमारी मदद करनी चाहिए. पेट्रीसिया अपनी मां से एक बार मिलना चाहती है.
स्विस महिला विद्या फिलिपोन भी मुंबई में मां को तलाश रही थीं...
यह पहली बार नहीं है कि किसी दूसरे देश की महिला भारत में अपने जन्म देने वाले माता-पिता की तलाश कर रही है. पिछले साल दिसंबर में भी स्विस महिला विद्या फिलिपोन भी मुंबई में अपनी जन्म देने वाली मां की तलाश कर रही थीं. 2023 तक वह लगभग एक दशक तक अपनी मां को खोजती रहीं. उनके पास एकमात्र सुराग उनकी मां का अंतिम नाम और पता था, जो अब मौजूद नहीं है. फिलिपोन का जन्म 8 फरवरी 1996 को हुआ था और उनकी मां ने उन्हें मिशनरीज ऑफ चैरिटी में छोड़ दिया था. फिर उन्हें 1997 में एक स्विस जोड़े ने गोद ले लिया और स्विट्जरलैंड ले आए.