VIDEO: अयोध्‍या में ढहने की कगार पर है मुगलकाल में बना यह राममंदिर, कब होगा जीर्णोद्धार

मंदिर के पुजारी कहते हैं कि उनका परिवार 18वीं सदी से इस मंदिर में रह रहा है. मंदिर में भगवान की प्रतिमा है, पूजा भी होती है और यहां पर हर ओर प्राचीन इतिहास नजर आता है.

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मंदिर के दाहिने ओर का हिस्‍सा भी पूरी तरह से जर्जर हो चुका है.

अयोध्‍या:

अयोध्या (Ayodhya) प्रशासन ने इस ऐतिहासिक और धार्मिक शहर में पुराने मंदिरों और कुंडों के जीर्णोद्धार और उन्हें फिर से पुनर्जीवित करने के लिए अहम परियोजना शुरू की है. इस योजना के तहत अब तक कई महत्वपूर्ण मंदिरों और कुंडों का जीर्णोद्धार किया गया है. हालांकि अयोध्‍या में अब भी ऐसे कई ऐतिहासिक मंदिर हैं, जो जर्जर हालात में हैं. अगर ऐसे मंदिरों का जीर्णोद्धार करने की कोशिश नहीं की गई तो यह ऐतिहासिक धरोहरें हमेशा के लिए विलुप्‍त हो जाएंगी. अयोध्या में स्थित हनुमानगढ़ी मंदिर के कुछ ही दूरी पर 18वीं शताब्दी में बना राम जानकी बासी मंदिर है. मुगलकालीन इस मंदिर का सामने का हिस्सा पूरी तरह से जर्जर हो चुका है. 

मंदिर के पुजारी कहते हैं कि उनका परिवार 18वीं सदी से इस मंदिर में रह रहा है. मंदिर में भगवान की प्रतिमा है, पूजा भी होती है और यहां पर हर ओर प्राचीन इतिहास नजर आता है. एनडीटीवी के साथ खास बातचीत में मंदिर के पुजारी संतोष पांडे ने बताया कि यहां पर उनके परिवार की सातवीं पीढ़ी पूजा कर रही है. 

1830 में बनकर तैयार हुआ था यह मंदिर 

पांडे बताते हैं कि करीब 1785 में मंदिर का निर्माण शुरू हुआ था और यह मंदिर 1830 में बनकर तैयार हुआ. उन्‍होंने कहा कि मंदिर का पुनर्निर्माण होना चाहिए. उन्‍होंने कहा कि अंदर से मंदिर का पुनर्निर्माण कराया गया है, लेकिन बाहर से इसे ठीक नहीं करा पाए हैं.  

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मंदिर परिसर में घुसते ही यहां पर निर्माण के समय के चित्र आज भी यहां आने वालों को आकर्षित करते हैं. उन्‍होंने बताया कि यहां लगे एक चित्र में मछलियां बनी हुई हैं. परिवार का कहना है कि अवध के राजचिह्न की तर्ज पर ही यह मछलियां बनाई गई हैं, जिन्‍हें शुभ माना जाता है. 

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साथ ही परिवार ने बताया कि यहां पर मंदिर निर्माण के समय की सुंदर कलाकृतियां बनी हैं. इन्‍हें रागी और गुड के मिश्रण को मिलाकर बनाया जाता था. परिवार ने बताया कि उन्‍होंने इसमें 2018 में फिर से पेंट कराया गया है. साथ ही उन्‍होंने बताया कि मंदिर का निर्माण गेरूए रंग में किया गया था. 

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पूरी तरह से जर्जर हो चुका है दाहिना हिस्‍सा 

मंदिर में दूसरी मंजिल पर जाने के लिए सीढ़ियां भी मौजूद हैं. हालांकि इनकी हालत इतनी जर्जर है कि यहां जाना तक संभव नहीं है. वहीं मंदिर के दाहिने ओर का हिस्‍सा भी पूरी तरह से जर्जर हो चुका है. साथ ही यहां पर लकड़ी से निर्मित करीब 300 साल पुरानी चौकी भी रखी है. 

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परिवार के सदस्‍यों ने बताया कि यहां पर विद्यार्थी भी रहते थे और उन्‍हें पढ़ाया जाता था. 

परिवार का मालिकाना हक बना रहे : पुजारी 

पुजारी संतोष पांडे ने कहा कि पुरानी व्यवस्था बनी रहनी चाहिए. इस मंदिर को पुनर्जीवित करने के दौरान हमारे परिवार का मालिकाना हक बना रहे. यह जरूरी है. यह अयोध्या का इतिहास है, इसे बचाना चाहिए. वहीं उनकी मां का कहना है कि यह मंदिर हम किसी को नहीं देंगे, इसमें हमारा परिवार 18वीं सदी से रह रहा है. 

पुनर्निर्माण के लिए 146 पुरानी इमारतों की पहचान

अयोध्या के डीएम नीतीश कुमार कहते के मुताबिक, 146 पुरानी इमारत की पहचान पुनर्निर्माण के लिए की गई है. प्रशासन पुराने मंदिरों को फिर से पुननिर्माण करने के लिए पहल कर रहा है. उन्‍होंने कहा, "हम पुराने मंदिरों को रीक्रिएट करने की कोशिश कर रहे हैं. पर्यटन विभाग इसकी फंडिंग कर रहा है. हम पुराने मंदिरों के स्वरूप को बदलेंगे. 146 पुरानी इमारत की पहचान की गई है. 37 मंदिर और 30 कुंडों पर काम चल रहा है".

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