राज्‍यसभा में अपने पहले दिन उप राष्‍ट्रपति ने न्‍यायपालिका को याद दिलाई 'लक्ष्‍मण रेखा'

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा, 'हमें इस बात को ध्यान में रखने की जरूरत है कि लोकतांत्रिक शासन में किसी भी संवैधानिक ढांचे की बुनियाद संसद में परिलक्षित होने वाले जनादेश की प्रमुखता को कायम रखना है... यह चिंताजनक बात है कि इस बहुत ही महत्वपूर्ण मुद्दे पर संसद का ध्यान केंद्रित नहीं है.'

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राज्यसभा में बतौर सभापति अपने पहले संबोधन में उपराष्ट्रपति धनखड़ ने राष्ट्रीय न्यायिक आयोग (NJAC) कानून का जिक्र किया.
नई दिल्ली:

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ (Vice President Jagdeep Dhankhar)ने एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) पर निशाना साधा है. राज्यसभा में बतौर सभापति अपने पहले संबोधन में उपराष्ट्रपति धनखड़ ने राष्ट्रीय न्यायिक आयोग (NJAC) कानून का जिक्र किया. NJAC बिल के लिए 99वां संवैधानिक संशोधन विधेयक संसद के दोनों सदनों से पारित किया गया था. इस बिल को 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था. उपराष्ट्रपति ने इसे संसदीय संप्रभुता के साथ गंभीर समझौता करार दिया. उन्होंने कहा, 'ये उस जनादेश का असम्मान है, जिसके संरक्षक उच्च सदन (राज्यसभा) और लोकसभा है.'

उपराष्ट्रपति ने कहा, 'लोकतांत्रिक इतिहास में  ऐसी कोई मिसाल नहीं मिलती, जहां नियमबद्ध तरीके से किए गए संवैधानिक उपाय को इस तरह न्यायिक ढंग से निष्प्रभावी कर दिया गया हो.' 2015 में पारित विधेयक ने सरकार को न्यायिक नियुक्तियों में एक भूमिका दी, जो दो दशकों तक कॉलेजियम प्रणाली के माध्यम से सर्वोच्च न्यायालय का उद्गम था.

जगदीप धनखड़ ने कहा, 'हमें इस बात को ध्यान में रखने की जरूरत है कि लोकतांत्रिक शासन में किसी भी संवैधानिक ढांचे की बुनियाद संसद में परिलक्षित होने वाले जनादेश की प्रमुखता को कायम रखना है... यह चिंताजनक बात है कि इस बहुत ही महत्वपूर्ण मुद्दे पर संसद का ध्यान केंद्रित नहीं है.'

धनखड़ ने यह भी कहा कि संसद द्वारा पारित एक कानून, जो लोगों की इच्छा को दर्शाता है, को सुप्रीम कोर्ट ने ‘‘रद्द'' कर दिया और ‘‘दुनिया को ऐसे किसी भी कदम के बारे में कोई जानकारी नहीं है.''उपराष्ट्रपति ने संविधान के प्रावधानों का हवाला देते हुए कहा कि जब कानून से संबंधित कोई बड़ा सवाल शामिल हो तो अदालतें भी इस मुद्दे पर गौर फरमा सकती हैं.

भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की उपस्थिति में यहां एल एम सिंघवी स्मृति व्याख्यान को संबोधित करते हुए धनखड़ ने रेखांकित किया कि संविधान की प्रस्तावना में ‘‘हम भारत के लोग'' का उल्लेख है और संसद लोगों की इच्छा को दर्शाती है. उन्होंने कहा कि इसका मतलब है कि शक्ति लोगों में, उनके जनादेश और उनके विवेक में बसती है. धनखड़ ने कहा कि 2015-16 में संसद ने एनजेएसी अधिनियम को पारित कर दिया. उन्होंने कहा, “हम भारत के लोग-उनकी इच्छा को संवैधानिक प्रावधान में बदल दिया गया. जनता की शक्ति, जो एक वैध मंच के माध्यम से व्यक्त की गई थी, उसे खत्म कर दिया गया. दुनिया ऐसे किसी कदम के बारे में नहीं जानती.”

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