विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर एनडीटीवी से बात की. उन्होंने कहा कि मंदिर बनाने के समय हमने तय किया कि मंदिर पत्थर का बनेगा. इसमें ना लोहा लगेगा, ना सीमेंट का इस्तेमाल होगा, क्योंकि लोहा और सीमेंट का इस्तेमाल करने से मंदिर की आयु 100 साल के करीब रहेगी, जबकि हमारा मंदिर तो 1000 साल तक रहेगा.
आलोक कुमार ने बताया कि हमने मंदिर के प्लिंथ के लिए जो पत्थर सोचा था, वो पानी सोखने वाला पत्थर था, लेकिन वो पानी छोड़ता भी था और इस प्रक्रिया में टूटता भी था. तब हमने तय किया ग्रेनाइट का इस्तेमाल किया जाए. अब एक भव्य और विशाल मंदिर की पहली मंजिल तैयार हो गई है, जहां रामलला का जन्म हुआ था, उस स्थान पर रामलाल विराजेंगे.
वहीं रामलला की मूर्ति को लेकर विहिप के अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष ने कहा कि जो मूर्तियां 1949 से पूजित हो रही है, वो पूजित होती रहेंगी. साथ ही हमने तय किया है कि भगवान राम को 40 फीट दूर से भी आम श्रद्धालु देख सकेंगे, उन्हें करीब 20 सेकंड का समय दिया जाएगा, इसीलिए हमने सोचा कि इसके लिए 5 फीट से ऊंची एक मूर्ति हो तो वो दूर से भी अच्छे से दिखेगी.
उन्होंने बताया कि तीन ऐसे समूह के लोग जो पीढ़ियों से मूर्ति ही बनाते हैं, उन्होंने तीन मूर्ति बनाई. उनमें से एक मूर्ति 17 जनवरी को नगर भ्रमण पर जाएगी, फिर वैदिक विधान से पूजन शुरू होगा. 22 जनवरी को 12 बजकर 20 मिनट पर मूर्ति के आंखों की पट्टी खोली जाएगी और पूरे विश्व में रहने वाले हिंदुओं की श्रद्धा से उस मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठित हो जाएगी.
वहीं मंदिर निर्माण को लेकर फंडिंग के सवाल पर आलोक कुमार ने बताया कि हमारे पास तीन विकल्प थे, पहला सरकार फंडिंग करें, दूसरा कुछ बिजनेस हाउस की मदद ली जाए और तीसरा सारे समाज के पास जाएं. लेकिन हमने तय किया कि हम सीधे समाज में आम लोगों के पास जाएंगे.
उन्होंने बताया कि हम 42 दिन की अवधि में साढे 12 करोड़ परिवारों के पास, यानी करीब 65 करोड़ लोगों के पास गए और लोगों ने 3300 करोड़ रुपये राम मंदिर के निर्माण के लिए समर्पित कर दिए.
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