ट्रेड टैरिफ पर भारत को आंख दिखा रहे ट्रंप जरा खुद भी देख लें आईना, झूठ और भ्रम में जी रहा अमेरिका

Donald Trump On Indian Economy: भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर डोनाल्ड ट्रंप ने बड़ा बयान दिया और इसे एक डेड इकनॉमी बताया, अब इसे तमाम एक्सपर्ट्स निराशा में दिया गया बयान बता रहे हैं.

विज्ञापन
Read Time: 7 mins

US-India Relations: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं. चुनाव जीतने के बाद से ही वो भारत समेत दुनियाभर के देशों को ट्रेड धमकी दे रहे हैं. ट्रंप भारत पर लगातार इस बात का दबाव बना रहे हैं कि वो रूस के साथ अपने व्यापारिक रिश्ते खत्म करे और अमेरिका को ही प्राथमिकता दे. हालांकि भारत ने हर बार की तरह इस बार भी साफ किया है कि वो अपने स्टैंड में बदलाव नहीं करेगा. ऐसे में ये जानना जरूरी है कि अमेरिका और भारत में से किसे किसकी ज्यादा जरूरत है. साथ ही ये भी जानेंगे कि आखिर ट्रेड की इस जंग में किसका पलड़ा भारी है और ट्रंप की झुंझलाहट का असली कारण क्या है. आइए ट्रंप को आईना दिखाने वाले इन तमाम बड़े सवालों का जवाब जानते हैं. 

क्यों भारत से चिढ़ रहे हैं ट्रंप?

सबसे पहले ये जानना जरूरी है कि डोनाल्ड ट्रंप को अचानक भारत से इतनी दिक्कत क्यों होने लगी है. पिछले कुछ सालों में भारत ने ऐसा क्या किया है, जिससे अमेरिका के राष्ट्रपति इतना भड़क गए हैं. इसके पीछे कई बड़े कारण हैं, जिनसे भारत अमेरिका की नजरों में कांटे की तरह चुभने लगा है.

रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत: पिछले कुछ सालों में भारत ने दुनियाभर के देशों से हथियारों की खरीद में कटौती की है. रूस से भारत सबस ज्यादा हथियार खरीद रहा है, लेकिन इसमें भी कमी हुई है. वहीं भारत अब अमेरिका से भी हथियार नहीं खरीद रहा है. इसके पीछे कारण है कि भारत खुद हथियार बनाने लगा है और मेड इन इंडिया मिसाइलों से लेकर फाइटर जेट बनाए जा रहे हैं.  

ब्रिक्स के डॉलर छोड़ने का डर: ट्रंप को इस बात का भी डर है कि अगर ब्रिक्स डॉलर की जगह किसी और करेंसी में व्यापार करना शुरू करता है तो ये अमेरिका के लिए एक बड़ा झटका होगा, जिससे उनकी अर्थव्यवस्था में भूचाल आ सकता है. ट्रंप खुले तौर पर ये कह चुके हैं कि ब्रिक्स बुनियादी तौर पर अमेरिका विरोधी दलों का एक गुट है और भारत भी उसका सदस्य है. उन्होंने कहा कि ये डॉलर पर हमला है और हम किसी को भी ऐसा करने की इजाजत नहीं देंगे, तो भारत का मसला ब्रिक्स से भी जुड़ा है और ट्रेड से भी. 

कुल मिलाकर ट्रंप बेबस और परेशान हैं और निराशा में आकर अजीबोगरीब बयान देने लगे हैं. डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने की बात कही, साथ ही भारत की इकनॉमी को डेड इकनॉमी तक बता दिया. 

भारत ने रूस से तेल खरीदना नहीं किया है बंद, MEA सूत्रों ने ट्रंप के दावों को किया खारिज

Advertisement

क्या होती है डेड इकनॉमी?

अब क्लाउड नाइन में जा चुके ट्रंप ने भले ही भारत की अर्थव्यवस्था को डेड इकनॉमी का नाम दिया हो, लेकिन इसमें भारत कहीं भी फिट नहीं बैठता है. डेड इकनॉमी उसे कहा जाता है, जिस देश के पास किसी भी तरह का कोई कारोबार नहीं होता है. यानी जिस देश में बड़ी कंपनियां कारोबार करने से बचती हैं. साथ ही व्यापार भी लगातार कम होता रहता है और रोजगार की भारी कमी होती है. कुल मिलाकर जिस देश का आर्थिक विकास थम गया हो, उसे इस नाम से पुकारा जाता है. 

अब भारत की अर्थव्यवस्था की सेहत की अगर बात करें तो ये लगातार सुधर रही है और जल्द भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है. फिलहाल भारत दुनिया की चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था है. जीडीपी ग्रोथ की बात करें तो ये पिछले चार सालों में भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट 6 प्रतिशत से ज्यादा रही. साल 2023 में ये ग्रोथ 9.2% तक जा पहुंची थी. वहीं अमेरिका की बात करें तो 2022 से 2025 के बीच अमेरिका का जीडीपी ग्रोथ रेट 3 प्रतिशत से ऊपर नहीं गया. भारत में नौकरीपेशा लोगों की बात करें तो ये अमेरिका की कुल आबादी से करीब दो गुना है. यानी भारत किसी भी तरह से डेड इकनॉमी वाले क्राइटेरिया में फिट नहीं बैठता है. 

Advertisement

अगर आपको भारत की बढ़ती इकनॉमी और ताकत के बारे में विस्तार से पढ़ना है तो आप नीचे दी गई हेडलाइन पर क्लिक कर पूरी जानकारी ले सकते हैं. - 

ट्रंप साहब- भारतीय इकनॉमी डेड नहीं है, चमकता सितारा है, ऐसा हम नहीं, दुनिया कहती है

डेड इकनॉमी तो फिर समझौते की कोशिश क्यों?

अब उस दूसरे सवाल पर आते हैं कि अगर ट्रंप की नजरों में भारत वाकई में मरी हुई अर्थव्यवस्था है तो वो क्यों भारत के साथ समझौता या फिर कोई डील करना चाहते हैं? इसका जवाब सीधा है कि ट्रंप ये अच्छे से जानते हैं कि भारत आने वाले कुछ सालों में दुनिया के लिए कितने बड़े मौके के तौर पर सामने आने वाला है. उनकी ये धमकियां और दबाव सिर्फ नेगोशिएशन पावर को बढ़ाने के लिए हैं. 

Advertisement

हाल ही में इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड यानी IMF ने भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर अनुमान लगाया है कि वित्त वर्ष 2025-26 में भारतीय अर्थव्यवस्था  6.5% की दर से बढ़ सकती है. ये रिपोर्ट जरूर ट्रंप और उनके अधिकारियों को मिली होगी, लेकिन इसके बावजूद वो भारत में व्यापार के रास्ते खोलने के लिए तमाम तरह के हथकंडे अपना रहे हैं.

पाकिस्तान से युद्ध के बीच आत्मनिर्भर बना भारत

ऐसा नहीं है कि डोनाल्ड ट्रंप पहले अमेरिकी राष्ट्रपति हैं, जिन्होंने भारत के साथ ऐसा किया हो. इससे पहले भी अमेरिका के कई प्रेसिडेंट ऐसा कर चुके हैं. 1965 के भारत-पाक युद्ध में जब भारत की हालत 1962 में चीन के साथ हुए युद्ध के बाद खराब थी और वो पूरी तरह अमेरिका से आने वाले अनाज पर निर्भर था, तब युद्ध के बीच अमेरिकी प्रेसिडेंट लिंडन बेन्स जॉनसन ने भारत को अनाज देने से इनकार कर दिया था. जिसका नतीजा ये हुआ कि पूरा देश एकजुट हो गया और भारत में एक हरित क्रांति की शुरुआत हुई. तब तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादु शास्त्री ने साफ किया कि भारत किसी के आगे हाथ नहीं फैलाएगा. इसके अलावा 1998 में हुए परमाणु परीक्षण के बाद भी अमेरिका ने भारत पर कई प्रतिबंध लगाए, लेकिन भारत ने आगे बढ़ने के अलावा दूसरा रास्ता नहीं चुना.

Advertisement

अमेरिका पर कितना निर्भर है भारत? 

डेयरी सेक्टर में अमेरिका की नो एंट्री: डोनाल्ड ट्रंप की बातों से ऐसा लग रहा है कि अगर भारत नहीं झुका तो उसे खाने के लाले पड़ सकते हैं, लेकिन असल में ऐसा बिल्कुल भी नहीं है. भारत की अमेरिका पर निर्भरता की बात करें तो ये काफी कम है. अमेरिका पिछले काफी वक्त से भारत को दूध और इससे बने प्रोडक्ट बेचने की कोशिश कर रहा है, लेकिन भारत उसे एग्रीकल्चर और डेयरी सेक्टर में छूट देने के मूड में नहीं है. क्योंकि इससे भारतीय किसानों और लोगों पर असर पड़ेगा.

डिफेंस सेक्टर में भी झटका: अब अगर युद्ध में काम आने वाले हथियारों की बात करें तो इस मामले में भी भारत अब अमेरिका पर निर्भर नहीं है. अमेरिका अपनी तकनीक को भारत के दुश्मन देशों के साथ भी साझा करता है, ऐसे में भारत उसके बजाय रूस पर ज्यादा भरोसा करता है और मेड इन इंडिया हथियारों पर जोर दिया जा रहा है. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक भारत ने F-35 स्टील्थ जेट खरीदने वाले प्रस्ताव को भी ठुकरा दिया है.  

आर्थिक अपराध के लिए मिलेगा नोबेल?

डोनाल्ड ट्रंप खुद को दुनिया के सामने ऐसे पेश कर रहे हैं जैसे वो हाइड एंड सीक खेल रहे हों. क्योंकि एक तरफ उन्होंने दुनियाभर के देशों के सामने ट्रेड वॉर जैसी स्थिति पैदा कर दी है, वहीं दूसरी तरफ खुद के लिए नोबेल प्राइज के सपने भी देख रहे हैं. वो दुनिया को जबरदस्ती ये बताने की कोशिश कर रहे हैं कि वो सबसे बड़े शांति दूत हैं और अगर वो नहीं होते तो अब तक दुनिया के कई देश युद्ध में तबाह हो चुके होते. फिलहाल शांति दूत तो पता नहीं, लेकिन दुनिया और इतिहास उन्हें उनके आर्थिक अपराध के लिए जरूर याद रखने वाला है. 

Featured Video Of The Day
Zubeen Garg Death का सच? CM के आदेश पर फिर होगा पोस्टमॉर्टम! | Zubeen Garg Second Postmortem News