यूपी की 'देवरिया' लोकसभा सीट पर क्या तीसरी बार खिलेगा कमल, जानें कैसा है यहां का माहौल

यूपी के देवरिया लोकसभा सीट पर पिछले दो बार से बीजेपी को जीत मिली रही है. 2014 में यहां से कलराज मिश्रा चुनाव जीते थे. वहीं 2019 में रामपति राम त्रिपाठी यहां से चुनाव जीत संसद पहुंचे थे.

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देवरिया लोकसभा सीट पर एक जून को मतदान है.
देवरिया:

Lok Sabha Election 2024: उत्तर प्रदेश-बिहार के बॉर्डर पर स्थित देवरिया में गर्मी भी प्रचंड है और चुनावी गर्मी भी यहां बढ़ गई है. देवरिया सीट पर लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण (Lok Sabha election 2024 Phase 7) में एक जून को मतदान होना है. माना जा रहा है कि देवरिया सीट पर सीधी टक्कर बीजेपी और कांग्रेस के बीच है. इंडिया अलायंस में ये सीट कांग्रेस को गई है. वहीं बीजेपी ने यहां मौजूदा सांसद का टिकट काटकर नया प्रत्याशी मैदान में उतारा है.

कौन-कौन है मैदान में?

यूं तो नामांकन करने वालों में कई नाम हैं लेकिन माना जा रहा है कि देवरिया की लड़ाई मुख्य तौर पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच है. बीजेपी ने मौजूदा सांसद रमापति राम त्रिपाठी का टिकट काटकर पूर्व सांसद श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी के बेटे शशांक मणि त्रिपाठी को मैदान में उतारा है. वहीं कांग्रेस ने पूर्व विधायक और पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता अखिलेश प्रताप सिंह को टिकट दिया है. बीएसपी से संदेश यादव देवरिया से उम्मीदवार हैं.

क्या हैं देवरिया के आंकड़े

देवरिया लोकसभा सीट पर पिछले दो बार से बीजेपी को जीत मिल रही है. 2014 में यहां से कलराज मिश्रा चुनाव जीते थे. वहीं 2019 में रामपति राम त्रिपाठी यहां से चुनाव जीत संसद पहुंचे थे. देवरिया में कुल 17 लाख 20 हज़ार वोटर्स हैं. इनमें लगभग आधे पिछड़ी जाति के मतदाता हैं, वहीं लगभग बीस प्रतिशत सवर्ण आबादी है जिसमें बहुतायत ब्राह्मण हैं. देवरिया में दलित और मुस्लिम आबादी 15-15 फ़ीसदी आंकी जाती है.

यहां के मुद्दे क्या हैं?

बिहार से सटा देवरिया ज़िला पिछड़े ज़िलों में शुमार है. नौकरी रोज़गार से लेकर बुनियादी विकास ही यहां चुनावी मुद्दे माने जाते हैं. सड़कों के विकास, लाइट, पानी और सौंदर्यीकरण के मामले में हाल फ़िलहाल के सालों में शहर का विकास ज़रूर हुआ है लेकिन लोगों के लिए नौकरी रोज़गार के स्थाई साधन का ना होना कहीं ना कहीं यहां के लोगों के लिए परेशानी का सबब है. पर्यटन के लिहाज़ से भी देवरिया में कोई ख़ास आकर्षक स्थल नहीं होना भी रोज़गार की कमी का बड़ा कारण माना जाता है.

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