कोर्ट तय नहीं, जज भी नदारद - बस, लंबित पड़ा है उन्नाव रेप पीड़िता का केस

इसी साल 15 अप्रैल को CBI की विशेष अदालत के जज वत्सल श्रीवास्तव का ट्रांसफर भी गोरखपुर कर दिया गया था...

कोर्ट तय नहीं, जज भी नदारद - बस, लंबित पड़ा है उन्नाव रेप पीड़िता का केस

कुलदीप सिंह सेंगर को जनाक्रोश फैल जाने के बाद ही अप्रैल, 2018 में गिरफ्तार किया गया था...

खास बातें

  • पीड़िता के परिवार के मुताबिक केस वापस लेने के लिए दबाव डाला जा रहा है
  • परिवार का आरोप है, सेंगर और उसके लोगों की ओर से मिल रही हैं धमकियां
  • परिवार की केस को UP से बाहर ट्रांसफर करने की अर्ज़ी SC में लंबित है
नई दिल्ली:

उत्तर प्रदेश के उन्नाव की रेप पीड़िता, जो तीन दिन पहले हुए सड़क हादसे में गंभीर रूप से ज़ख्मी होने के बाद से ज़िन्दगी और मौत के बीच झूल रही है, और उसके परिवार का आरोप है कि यह एक्सीडेंट रेप के आरोपी जेल में बंद BJP विधायक कुलदीप सिंह सेंगर ने ही करवाया था, के मामले में सामने आया है कि पीड़िता के परिवार द्वारा इस केस को उत्तर प्रदेश से बाहर स्थानांतरित करने के लिए दी गई अर्ज़ी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है.

पीड़िता और उसके परिवार ने देश के प्रधान न्यायाधीश (CJI) रंजन गोगोई को कुलदीप सिंह सेंगर और उसके द्वारा भेजे गए लोगों की ओर से मिल रही धमकियों के बारे में खत लिखा था. उनका आरोप था कि उन पर केस वापस लेने के लिए बहुत ज़्यादा दबाव डाला जा रहा है. CJI ने शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री को खत से जुड़ी सारी जानकारी दाखिल करने का निर्देश दिया है.

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इस खत को BJP-शासित उत्तर प्रदेश (UP) में इस केस की तफ्तीश में की जा रही देरी के सबूत के तौर पर देखा जा रहा है. गौरतलब है कि UP की योगी आदित्यनाथ सरकार पर इससे पहले भी चार बार विधायक रह चुके कुलदीप सिंह सेंगर को लेकर नर्म रुख अख्तियार करने के आरोप लग चुके हैं.

पीड़िता का आरोप है कि कुलदीप सिंह सेंगर और उसके सहायकों ने वर्ष 2017 में उसके साथ रेप किया था, जब वह उनके पास नौकरी मांगने गई थी. उसने अपने आरोप अप्रैल, 2018 में सार्वजनिक किए थे, जब उसने धमकी दी कि अगर पुलिस ने उसका केस दर्ज नहीं किया, तो वह लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आवास के बाहर आत्महत्या कर लेगी.

इससे कुछ ही दिन पहले, पीड़िता के पिता को कुलदीप सिंह सेंगर के भाई अतुल ने पीटा भी था, और पीड़िता के बुरी तरह ज़ख्मी हुए पिता की मदद करने के स्थान पर पुलिस ने उन्हें ही हथियार रखने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया था. पीड़िता के आरोपों को सार्वजनिक करने के अगले ही दिन उसके पिता की पुलिस की हिरासत में ही मौत हो गई थी. इस घटना के जनाक्रोश फैल गया, जिसके बाद अतुल सेंगर को हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया. जनाक्रोश फैल जाने के बाद ही कुलदीप सिंह सेंगर को भी अप्रैल, 2018 में ही गिरफ्तार किया गया था.

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मई, 2018 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई को POCSO कोर्ट से CBI की लखनऊ स्थित विशेष अदालत में स्थानांतरित कर दिया था. दो महीने बाद CBI ने कुलदीप सिंह सेंगर और उसके सहायक शशि सिंह के खिलाफ नाबालिगों के साथ यौन अपराधों के लिए बनाए गए कड़े कानून समेत कई कानूनों के तहत चार्जशीट दाखिल की. CBI अदालत ने जुलाई, 2018 में चार्जशीट पर संज्ञान लिया, लेकिन उसके बाद से केस में कोई प्रगति नहीं हुई है.

जब पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने सांसदों-विधायकों के खिलाफ केसों के लिए फास्ट-ट्रैक अदालतें गठित करने का आदेश दिया, उत्तर प्रदेश सरकार ने 21 अगस्त, 2018 को विशेष अदालत का गठन कर दिया.

लेकिन इस केस में सुनवाई एक साल से भी अधिक समय से शुरू नहीं हो पाई है, क्योंकि यही तय नहीं हो पाया है कि सुनवाई CBI की विशेष अदालत में ही जारी रहे, या केस को सांसदों-विधायकों के खिलाफ सुनवाई के लिए गठित अदालत में स्थानांतरित किया जाना चाहिए.

इसी साल 15 अप्रैल को CBI की विशेष अदालत के जज वत्सल श्रीवास्तव का ट्रांसफर भी गोरखपुर कर दिया गया था, जो इत्तफाक से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का गृहनगर है. इसके बाद पिछले तीन महीने से सुनवाई अदालत में बिना जज के ही लंबित है.

चौंका देने वाला पहलू यह है कि केस की सुनवाई फिलहाल शुरू नहीं हुई है, और कोर्ट में जज भी नहीं है, लेकिन स्वतः संज्ञान लेते हुए CBI जांच का आदेश देने वाली इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एमिकस क्यूरी (कोर्टमित्र) गोपाल चतुर्वेदी का बयान दर्ज किया कि 'जांच पूरी की जा चुकी है, पुलिस रिपोर्ट (चार्जशीट) दाखिल की जा चुकी है, और आरोप भी तय किए जा चुके हैं, और सुनवाई जारी है...'

फिलहाल उन्नाव केस किसी अदालत या जज की गैरमौजूदगी में लंबित है.

NDTV ने इस केस के किसी भी पहलू में हुई देरी पर CBI से जवाब देने का आग्रह किया है, लेकिन जांच एजेंसी की ओर से फिलहाल कोई जवाब हासिल नहीं हुआ है.

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