"यह मॉडर्न और ग्लोबल बिल" : डेटा बिल को लेकर विपक्ष के विरोध पर केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर

केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि यह कहना सही नहीं होगा की डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटक्शन बिल से RTI कानून डाइल्यूट होगा. RTI कानून राइट टू इनफार्मेशन के लिए है राइट टू पर्सनल इंफॉर्मेशन के लिए नहीं है. 

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नई दिल्ली:

केंद्र सरकार की तरफ से नागरिकों के डिजिटल अधिकारों को मजबूत करने को लेकर संसद में एक डेटा बिल लाया गया है. इस मुद्दे पर विपक्षी दलों की मांग है कि इसे जेपीसी के पास भेजा जाए. इस मुद्दे पर एनडीटीवी से बात करते हुए केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि हमने यह नया बिल देश के करोड़ों डिजिटल नागरिकों के डाटा को और सुरक्षित और उनकी निजता के संरक्षण के लिए लाया है.यह कहना सही नहीं होगा की डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटक्शन बिल से RTI कानून डाइल्यूट होगा. RTI कानून राइट टू इनफार्मेशन के लिए है राइट टू पर्सनल इंफॉर्मेशन के लिए नहीं है. 

"हर डेटा ब्रीच पर 250 करोड़ रुपए तक की पेनल्टी का प्रावधान"

कानून में सरकारी या प्राइवेट कंपनियों की जवाबदेही तय करने के लिए सख्त प्रावधान शामिल किए गए हैं. हर
डेटा ब्रीच पर 250 करोड़ रुपए तक की पेनल्टी का प्रावधान बिल में शामिल किया गया है. मुझे खेद है कि विपक्षी सांसदों ने बिल को ठीक से नहीं पढ़ा है. यह कहना कि इसकी वजह से एक सर्विलेंस स्टेट तैयार होगा या इसमें एक्सेसिव सेंट्रलाइजेशन होगा यह बिल्कुल गलत है. हम डिजिटल नागरिकों के फंडामेंटल राइट को प्रोटेक्ट करना चाहते हैं. बिल बहुत ही स्पष्ट रूप से लोगों के डिजिटल राइट उनके डाटा प्रोटेक्शन के अधिकार को मजबूत करता है.

"यह एक सिंपल, मॉडर्न और ग्लोबल बिल है"

मंत्री ने कहा कि सरकार की इमरजेंसी रिक्वायरमेंट को लेकर जो लेजिटीमेट पर्सनल डाटा एक्सेस की जरूरत है उस को ध्यान में रखकर तैयार किया गया. यह एक सिंपल, मॉडर्न और ग्लोबल बिल है. आज के दिन जो हमारे नागरिकों के पर्सनल डाटा का जो दुरुपयोग या लीक हो रहा है उस पर नकेल कसने में मदद मिलेगी. मैं हैरान हूं कि कई विपक्षी दलों ने बिल के इंट्रोडक्शन स्टेज में ही बिल का विरोध किया है.हम जानते हैं की प्राइवेसी एक फंडामेंटल राइट  है और यह बिल उस अधिकार को और मजबूत करता है.

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"मुझे खेद है कि विपक्षी सांसदों ने इसे ठीक से नहीं पढ़ा है"

मैं कहना चाहता हूं कि विपक्षी सांसदों ने डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटक्शन बिल नहीं पढ़ा है. मनीष तिवारी ने कहा यह मनी बिल है जबकि यह एक आम बिल है... सुप्रिया सुले ने कहा इससे एक्सेसिव सेंट्रलाइजेशन होगा, ओवैसी ने कहा इससे एक सर्विलांस स्टेट बनेगा...विपक्षी सांसदों के यह आरोप बेबुनियाद हैं ... तथ्यहीन है. विपक्षी सांसद डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटक्शन बिल पर फिक्शन क्रिएट कर रहे हैं.

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"स्टैंडिंग कमेटी के पास भेजने को लेकर मुझे कोई एतराज नहीं"

मुझे बिल को स्टैंडिंग कमेटी के पास भेजने को लेकर कोई एतराज नहीं है. सरकार इस बिल पर संसद में चर्चा के लिए तैयार है विपक्ष के सुझावों को सुनने के लिए. ऐसे में बिल्कुल ज्यादा देर नहीं करना चाहिए.अगर कोई कंपनी डाटा लीक करती है उस पर ढाई सौ करोड़ तक की पेनल्टी लगाई जा सकती है. डाटा लीक के लिए जो सख्त प्रावधान शामिल किए गए हैं यह सरकारी और प्राइवेट कंपनियों दोनों पर लागू होंगे. जो भी कंपनी डिजिटल नागरिकों से उनकी डाटा लेती है तो उन्हें उसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी लेनी होगी... जो भी डेटा ब्रीच या डेटा लीक करेगा उस पर पेनल्टी लगेगी. 
 

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