नागपुर: वंचित बहुजन आघाड़ी (वीबीए) के प्रमुख प्रकाश आंबेडकर ने बुधवार को कहा कि संसद नागरिकों पर समान नागरिक संहिता (यूसीसी) नहीं थोप सकती क्योंकि संविधान व्यक्तियों को धार्मिक स्वतंत्रता देता है. संविधान के निर्माता डॉ बी आर आंबेडकर के पोते प्रकाश आंबेडकर ने दावा किया कि यदि उत्तराखंड सरकार राज्य में यूसीसी लागू करती है, तो लोगों के पास विकल्प होगा कि वे यूसीसी के अनुसार रहना चाहते हैं या अपने धर्म (पर्सनल लॉ) के अनुसार रहना चाहते हैं.
आंबेडकर नागपुर में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे. पूरे देश में यूसीसी लागू करने के भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत केंद्र सरकार के इरादे को लेकर एक सवाल के जवाब में, आंबेडकर ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 किसी व्यक्ति को धार्मिक जीवन अपनाने की आजादी देते हैं, जब तक कि इसका किसी भी मौलिक अधिकार के साथ टकराव न हो.
उन्होंने कहा कि इसके अलावा, सरकार यूसीसी को तब तक ‘‘थोप'' नहीं सकती जब तक कि वह संविधान को पूरी तरह से नहीं बदल देती. उन्होंने कहा कि लोगों को अब स्पष्टता होगी कि वे यूसीसी को स्वीकार करना चाहते हैं या अपने ‘पर्सनल लॉ' का पालन करना चाहते हैं.
आंबेडकर ने सवाल उठाते हुए कहा कि क्या उत्तराखंड सरकार को यूसीसी लाने का अधिकार है. उन्होंने कहा कि अगर राज्य इसे लागू भी करता है, तो भी लोगों के पास विकल्प होगा कि वे इसे स्वीकार करें या अपने धर्म के अनुसार रहें. उन्होंने कहा, ‘‘इसके अलावा, सब प्रचार है और कुछ नहीं.''
उत्तराखंड विधानसभा में बुधवार को समान नागरिक संहिता (यूसीसी) विधेयक ध्वनि मत से पारित हो गया. आंबेडकर ने यह भी कहा कि कपास क्षेत्र सिकुड़ रहा है और उन्होंने उत्पादकों के लिए प्रोत्साहन की मांग की. उन्होंने कहा कि वीबीए ने कपास और कपड़ा उद्योग के संबंध में एक दस्तावेज तैयार किया है और इसे सरकार के सामने पेश किया जाएगा.
महा विकास आघाड़ी (एमवीए) के साथ वीबीए के गठबंधन से जुड़े एक प्रश्न के उत्तर में, आंबेडकर ने कहा कि सीट-साझा करने संबंधी वार्ता की दिशा में आगे बढ़ने से पहले न्यूनतम साझा कार्यक्रम पर चर्चा की जाएगी. उन्होंने कहा कि सीट बंटवारे पर अब तक कोई चर्चा नहीं हुई है.