उज्जैन की तकिया मस्जिद गिराने का मामला: जानिए सुप्रीम कोर्ट ने याचिका क्यों खारिज कर दी

याचिकाकर्ताओं का दावा है कि मस्जिद 1985 में वक्फ संपत्ति घोषित की गई थी और जनवरी 2024 तक सक्रिय रूप से उपयोग में थी.  उन्होंने कहा कि विध्वंस से प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991, वक्फ एक्ट, 1995 और भूमि अधिग्रहण एवं पुनर्विकास एक्ट, 2013 का उल्लंघन हुआ है.  

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  • सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के तकिया मस्जिद गिराने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज किया
  • याचिकाकर्ताओं का दावा था कि मस्जिद 200 साल पुरानी और 2024 तक सक्रिय रूप से नमाज अदा की जाती थी
  • कोर्ट ने कहा कि मस्जिद का विध्वंस भूमि अधिग्रहण कानून के तहत हुआ और मुआवजा भी प्रदान किया गया था
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सुप्रीम कोर्ट ने च उस याचिका को खारिज किया, जिसमें मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के तकिया मस्जिद गिराने के फैसले को चुनौती दी गई थी. यह याचिका उज्जैन के 13 निवासियों ने दायर की थी, जो दावा करते हैं कि वे 200 साल पुरानी तकिया मस्जिद में नमाज अदा करते थे. उनका आरोप था कि राज्य सरकार ने महाकाल मंदिर परिसर की पार्किंग बढ़ाने के लिए मस्जिद को गिरा दिया. 

पीठ ने क्या कहा

जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने कहा कि विध्वंस और भूमि अधिग्रहण कानून के तहत हुआ और इसके लिए क्षतिपूर्ति (मुआवजा) भी दी गई. पीठ ने कहा कि यह वैधानिक योजना के तहत आवश्यक था, मुआवजा दिया गया है. अदालत ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता पहले ही इस मामले पर हाईकोर्ट में दायर याचिका वापस ले चुके थे, इसलिए अब वे दोबारा उसी मुद्दे पर राहत नहीं मांग सकते.

याचिकाकर्ताओं के वकील की दलील

याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ वकील एम.आर. शमशाद ने दलील दी कि हाईकोर्ट का निर्णय गलत था और कहा कि हाईकोर्ट ने कहा कि व्यक्ति अपने घर या कहीं और नमाज पढ़ सकता है. यह तर्क बेहद अनुचित है. कोर्ट ने जवाब में कहा कि हाईकोर्ट ने सही फैसला दिया. याचिका वापस ली गई थी और मुआवजा भी दिया गया. जब शमशाद ने कहा कि मुआवजा अनधिकृत लोगों को दिया गया, तो कोर्ट ने कहा कि इसके लिए आपके पास अधिनियम के तहत उपाय उपलब्ध हैं. 

प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट का दिया हवाला

शमशाद ने यह भी कहा कि यह गंभीर मामला है, एक धार्मिक स्थल की पार्किंग के लिए दूसरी मस्जिद गिरा दी गई, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अपील को खारिज कर दिया. याचिकाकर्ताओं का दावा है कि मस्जिद 1985 में वक्फ संपत्ति घोषित की गई थी और जनवरी 2024 तक सक्रिय रूप से उपयोग में थी.  उन्होंने कहा कि विध्वंस से प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991, वक्फ एक्ट, 1995 और भूमि अधिग्रहण एवं पुनर्विकास एक्ट, 2013 का उल्लंघन हुआ है.  यह याचिका वकील वैभव चौधरी के माध्यम से दायर की गई थी और इसे सीनियर एडवोकेट एम.आर. शमशाद ने तैयार किया था.

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