मध्यप्रदेश: सीवेज टैंक में उतरने से दो लोगों की मौत, सरकार ने 24 घंटे में मांगी रिपोर्ट

भोपाल नगर निगम के जोन नंबर-1 के लाऊखेड़ी में एक निजी कंपनी सीवेज का काम कर रही है, सीवेज लाइन अभी बंद है, लेकिन उसमें बारिश और घरों से निकलने वाला गंदा पानी भर गया

विज्ञापन
Read Time: 25 mins
13 दिसंबर को भोपाल में जो हुआ वो सुप्रीम कोर्ट के आदेश का साफ तौर पर उल्लंघन है
भोपाल:

मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल (Bhopal) में करीब 20 फीट गहरे सीवेज टैंक (Sewage Tank) में उतरने पर दो लोगों की मौत हो गई. पुलिस ने रस्सी से बांधकर लाशों को बाहर निकाला. सरकार ने इस मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं. 24 घंटे में रिपोर्ट मांगी गई है. एक मृतक 18 साल का छात्र है, जो झाबुआ से पिता के पास भोपाल आया था. 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि दुनिया के किसी भी देश में लोगों को गैस चैंबर में मरने के लिये नहीं भेजा जाता है. लोग रोज मर रहे हैं. इंसानों को इस तरह मरने के लिए छोड़ा नहीं जा सकता. उनके जीवन की रक्षा के लिए सरकारों ने क्या किया है? उनके पास सुरक्षात्मक गियर, मास्क, ऑक्सीजन सिलेंडर भी नहीं हैं. दुनिया के किसी अन्य हिस्से में ऐसा नहीं होता है.

सीवर में गिरी बच्ची को बचाने के लिए लोगों ने दिखाई गजब की हिम्मत, सोशल मीडिया पर वायरल हुआ वीडियो

Advertisement

13 दिसंबर को भोपाल में जो हुआ वो सर्वोच्च अदालत के आदेश का साफ तौर पर उल्लंघन था. भोपाल नगर निगम के जोन नंबर-1 के लाऊखेड़ी में एक निजी कंपनी सीवेज का काम कर रही है, सीवेज लाइन अभी बंद है, लेकिन उसमें बारिश और घरों से निकलने वाला गंदा पानी भर गया. सोमवार को कंपनी के इंजीनियर दीपक सिंह और एक अन्य मजदूर जांच करने के लिए गए थे, बाहर उनकी लाश ही आई. थाना प्रभारी अरूण शर्मा ने कहा मर्ग कायम कर जांच कर रहे हैं.

Advertisement
Advertisement

परिजनों के मुताबिक इंजीनियर के साथ जिस मजदूर की मौत हुई वो 18 साल का था और अफसर बनना चाहता था. झाबुआ से कुछ किताबें खरीदने पिता के पास आया. पिता पर बोझ ना पड़े, इसलिये वो 13 दिसंबर को चैंबर के काम के लिए चला गया. रोते बिलखते पिता शैतान सिंह सिर्फ इतना कह पाए काम कर रहे थे. इस कंपनी में खाना खाकर सुपरवाइजर उसे लेकर गया. 

Advertisement

सरकार ने मामले में जांच के आदेश दिये हैं. मंत्री कह रहे हैं कि आपराधिक मामला दर्ज होगा. वहीं कांग्रेस चाहती है कि फौरन कार्रवाई हो. नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेन्द्र सिंह ने कहा कि प्रथम दृष्टया लापरवाही है. पुलिस 304 में मामला दर्ज करेगी. विभागीय स्तर पर एजेंसी के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई करेंगे. पीड़ित परिवार के लिये अधिकतम मदद का प्रयास करेंगे. वहीं पूर्व कानून मंत्री और कांग्रेस विधायक पीसी शर्मा ने कहा ये केवल मुख्यमंत्री हेल्पलाइन से गरीबों के दुकान-मकान तोड़ते हैं. सरकार को संज्ञान लेना चाहिये, कबतक जांच होगी तुरंत एक्शन लेना चाहिये.

मध्‍यप्रदेश में पीएम आवास योजना की हकीकत, कच्‍चे मकानों के लिए भी ली गई रिश्‍वत...

गौरतलब है कि मध्यप्रदेश में लापरवाही और लेटलतीफी कदमताल कर रहे हैं. अक्टूबर में अमृत योजना का दूसरा चरण लॉन्च हो चुका है, लेकिन पहले चरण के ही 12 बड़े काम अधूरे हैं. अमृत फेज-1 की 24 बड़ी सीवरेज योजनाओं में से आधी ही पूरी हुई हैं. ये सारे काम करीब 2200 करोड़ रुपए के हैं. भोपाल में 200 किलोमीटर की लाइन बिछाई गई है. 450 करोड़ रु में से 300 करोड़ का भुगतान भी हो गया. फिर भी कर्मचारियों को चैंबर में उतारकर सफाई करवाई जा रही है. ये सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवेहलना है. जनता परेशान है और कंपनियां मनमानी कर रही हैं. वर्षों से सड़कों को गड्‌ढों में तब्दील करने और पैसे लेने के बावजूद सड़कों की मरम्मत नहीं हुई है.  

शादी की रस्म का विरोध करते हुए मारी गोली, एक व्यक्ति की मौत

Featured Video Of The Day
Adani Group पर आरोप पूरी तरह अमेरिकी चालबाजी : Former Norwegian inister Erik Solheim
Topics mentioned in this article