मध्यप्रदेश के दमोह में दूषित पानी पीने से दो लोगों की मौत हो गई और दर्जन भर से ज्यादा लोग बीमार हैं. ये इलाका केंद्र सरकार के जलशक्ति राज्यमंत्री प्रहलाद पटेल का संसदीय क्षेत्र भी है. जिले के खंचारी पटी गांव में 35 से ज्यादा लोग कुंए का पानी पीने से बीमार हो गए. उल्टी-दस्त से परेशान लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया. जहां बुधवार को एक बुजुर्ग और एक महिला ने दम तोड़ दिया.
पीड़ित गीता ने बताया कि पानी पीने से तबीयत खराब हुई, उल्टी-दस्त हो रही है. वहीं दो लोगों की मौत हो गई. वहीं एक अन्य पीड़ित सुरेंद्र सिंह ने कहा कि हम 6-7 लोग सीरियस हैं. सुबह उठे तभी से दस्त होने लगे. बरसात होने के बाद पानी गंदा हो जाता है. हमने सिर्फ पानी पिया था.
बुधवार देर शाम जब खंचारी गांव में स्वास्थ्य विभाग की टीम पहुंची तो बड़ी तादाद में लोग बीमार मिले, उन्हें फिलहाल जिला अस्पताल के अलग वॉर्ड में भर्ती किया गया है.
उप जिला चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ सचिन मलैया ने बताया कि दूषित पानी का मामला समझ में आता है. गांव के लोग एक कुंआ है उसके आसपास गंदगी थी. बरसात होने की वजह से आसपास पानी सही से उपलब्ध नहीं हो पा रहा है. इस कारण संभावना बनती है.
दूषित पानी से मौत उस राज्य में हुई है जहां हाल में ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुरहानपुर को 100 फीसदी नलजल से जुड़ा घोषित किया है. जहां 30,600 करोड़ रुपये से अधिक की नल जल योजनाएं स्वीकृत करने का दावा है. वहीं 2 साल में 6000 करोड़ रुपये खर्च कर 40 फीसदी घरों तक नल जल पहुंचाने की बात कही जा रही है. साथ ही 4274 से अधिक गांवों के शत-प्रतिशत घरों में नल का जल पहुंचाने और 48,75,000 से अधिक घरों में नल कनेक्शन देने का भी दावा है.
उसी राज्य में खुद केंद्रीय जलशक्ति मंत्रालय की रिपोर्ट कहती है 52 में से 43 जिलों के पानी में फ्लोराइड की मौजूदगी पाई गई है. जिसमें से 16 ज़िलों में ये खतरनाक स्तर पर है. जहां खुद मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का कहना है कि जीवनदायिनी नर्मदा का पानी कई जगहों पर डी ग्रेड में पहुंच चुका है.
सीजीडब्लूबी के आंकड़े कहते हैं कि मध्यप्रदेश सर्वाधिक नाइट्रेट प्रदूषित राज्यों में शुमार है. जहां कृषि क्षेत्र में करीब 70 फीसदी रसायनों का इस्तेमाल होता है.
दमोह से जलशक्ति मंत्री प्रहलाद पटेल आते हैं और उनके अपने ही घर में लोग पानी पीने से बीमार पड़ जाते हैं. मध्यप्रदेश में नर्मदा को जीवित इकाई का दर्जा मिला है, नेता हर मंच से नर्मदा का सियासी इस्तेमाल भी करते हैं वो खुद प्रदूषण से मुक्त नहीं है. कहते हैं नर्मदा को देखने से ही उतना पुण्य मिलता है जितना गंगा स्नान से, लेकिन हमारे हुक्मरान नर्मदा तो छोड़िए अपने गांव घर के कुंए-तालाब भी शायद ठीक से नहीं देखते.