सुप्रीम कोर्ट में दो नए जज शुक्रवार को शपथ लेंगे, समारोह की लाइव स्ट्रीमिंग होगी

आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा और वरिष्ठ वकील केवी विश्वनाथन 19 मई को सुप्रीम कोर्ट के जज के तौर पर शपथ लेंगे

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सुप्रीम कोर्ट.
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट में दो नए जज शुक्रवार को शपथ लेंगे. आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा और वरिष्ठ वकील केवी विश्वनाथन सुप्रीम कोर्ट जज के तौर पर शपथ लेंगे. केवी विश्वनाथन अगस्त 2030 में देश के चीफ जस्टिस (CJI) बनेंगे. वे बार से सीधे CJI बनने वाले चौथे जज होंगे. सुप्रीम कोर्ट के नोटिस के मुताबिक शपथ ग्रहण की लाइव स्ट्रीमिंग होगी. 

दलअसल मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील केवी विश्वनाथन को सुप्रीम कोर्ट जज के रूप में नियुक्त करने के लिए केंद्र से सिफारिश की थी. 

जस्टिस मिश्रा अपने मूल हाईकोर्ट छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट के जज बनने वाले पहले व्यक्ति होंगे. वहीं केवी विश्वनाथन अगस्त 2030 में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बनने की कतार में होंगे.  

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चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस केएम जोसेफ के कॉलेजियम ने केंद्र को भेजी अपनी सिफारिश में कहा है कि, सुप्रीम कोर्ट में 34  न्यायाधीशों की स्वीकृत क्षमता है और वर्तमान में यह 32 न्यायाधीशों के साथ काम कर रहा है. जुलाई के दूसरे सप्ताह तक चार और रिक्तियों के साथ न्यायाधीशों की कार्य शक्ति 28  हो जाएगी. 

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हालांकि, कॉलेजियम ने सर्वसम्मति से वर्तमान में दो मौजूदा रिक्तियों को भरने के लिए नामों की सिफारिश करने का प्रस्ताव किया है.  कॉलेजियम ने सर्वोच्च न्यायालय में नियुक्ति के लिए योग्य उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों और वरिष्ठ  न्यायाधीशों के नामों पर विचार-विमर्श किया और चर्चा की.  

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सर्वोच्च न्यायालय में नियुक्तियों की सिफारिश करते समय कॉलेजियम ने निम्नलिखित पहलुओं पर विचार किया :

1. अपने मूल उच्च न्यायालयों में मुख्य न्यायाधीशों और वरिष्ठ  न्यायाधीशों की वरिष्ठता के साथ-साथ उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की समग्र वरिष्ठता.
2.  विचाराधीन न्यायाधीशों की योग्यता, प्रदर्शन और सत्यनिष्ठा.
3. सर्वोच्च न्यायालय में विविधता और समावेश सुनिश्चित करने की आवश्यकता.
(i) उच्च न्यायालयों का प्रतिनिधित्व जिनका सर्वोच्च न्यायालय में प्रतिनिधित्व नहीं है या अपर्याप्त प्रतिनिधित्व है.
(ii) समाज के सीमांत और पिछड़े वर्गों के व्यक्तियों की नियुक्ति.
(iii) लिंग विविधता.
(iv) अल्पसंख्यकों का प्रतिनिधित्व.
  
उच्च न्यायालयों के योग्य मुख्य न्यायाधीशों और वरिष्ठ न्यायाधीशों की योग्यता, सत्यनिष्ठा और क्षमता का सावधानीपूर्वक मूल्यांकन करने और विचारों की बहुलता को समायोजित करने के बाद कॉलेजियम ने जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा, मुख्य न्यायाधीश, आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ( मूल हाईकोर्ट: छत्तीसगढ़) की खोज की. भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त होने के लिए सभी तरह से अधिक योग्य और उपयुक्त हैं. 

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जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा को 10 दिसंबर 2009 को छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था. उन्हें 13 अक्टूबर 2021 को आंध्र प्रदेश के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था. छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय का सुप्रीम कोर्ट में  कोई प्रतिनिधित्व नहीं है. जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा ने 13 सालों से अधिक समय तक उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में कार्य किया है. वे उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की अखिल भारतीय वरिष्ठता सूची में क्रम संख्या 21 पर हैं.

छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में अपने लगभग 12  वर्षों के कार्यकाल के दौरान जस्टिस मिश्रा ने कानून के विविध क्षेत्रों में महत्वपूर्ण अनुभव प्राप्त किया है. उनके निर्णय कानून और न्याय से संबंधित व्यापक मुद्दों को कवर करते हैं. छत्तीसगढ़ राज्य को प्रतिनिधित्व के अलावा, जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की नियुक्ति उनके अर्जित ज्ञान और अनुभव के संदर्भ में एक मूल्यवर्धन प्रदान करेगी. जस्टिस मिश्रा ईमानदार जज हैं. 

कॉलेजियम इस तथ्य से अवगत है कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के वर्तमान मुख्य न्यायाधीश जिन्हें 31 मार्च 2009 को न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था, छत्तीसगढ़ के मूल उच्च न्यायालय से हैं और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा से वरिष्ठ हैं. हालांकि, सभी प्रासंगिक कारकों पर विचार करने के बाद, कॉलेजियम का विचार है कि जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के योग्य हैं. 

इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि वर्तमान में बार से केवल एक सदस्य को सीधे सुप्रीम कोर्ट की बेंच में नियुक्त किया गया है, कॉलेजियम ने बार के प्रतिष्ठित सदस्यों के नामों पर भी विचार किया है. उनकी राय में केवी विश्वनाथन, वरिष्ठ वकील सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त होने के लिए उपयुक्त हैं.

केवी विश्वनाथन की नियुक्ति सर्वोच्च न्यायालय की संरचना में बार में प्रतिनिधित्व को बढ़ाएगी. विश्वनाथन सर्वोच्च न्यायालय के बार के विशिष्ट सदस्य हैं. उनका व्यापक अनुभव और गहरा ज्ञान सर्वोच्च न्यायालय के लिए एक महत्वपूर्ण मूल्यवर्धन प्रदान करेगा.  

केवी विश्वनाथन ने कोयम्बटूर लॉ कॉलेज, भरथियार विश्वविद्यालय से पांच साल की एकीकृत कानून की डिग्री पूरी की और 1988 में बार काउंसिल ऑफ तमिलनाडु के साथ नामांकित हुए. दो दशकों से अधिक समय तक सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अभ्यास करने के बाद, उन्हें 2009 में एक वरिष्ठ वकील के रूप में नामित किया गया. 

विश्वनाथन संवैधानिक कानून, आपराधिक कानून, वाणिज्यिक कानून, दिवाला कानून और मध्यस्थता सहित विभिन्न विषयों पर मामलों की एक विस्तृत श्रृंखला में पेश हुए हैं. बार के एक प्रतिष्ठित सदस्य के रूप में उनके कद को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा कई मामलों में मान्यता दी गई है जहां उन्हें एमिकस क्यूरी के रूप में न्यायालय की सहायता के लिए नियुक्त किया गया था. 

विश्वनाथन को कानून की अच्छी समझ है और कानूनी बिरादरी में उनकी सत्यनिष्ठा और बार के ईमानदार वरिष्ठ सदस्य के रूप में जाने जाते हैं. केवी विश्वनाथन का जन्म 26 मई 1966 को हुआ था और सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में उनकी नियुक्ति पर 25 मई 2031 तक उस क्षमता में सेवा करेंगे. 

11 अगस्त 2030 को जस्टिस जेबी पारदीवाला की सेवानिवृत्ति पर विश्वनाथन 25 मई 2031 को अपनी सेवानिवृत्ति तक भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में पदभार ग्रहण करेंगे. 

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