"हम ठीक हैं, लेकिन सबकुछ ठीक नहीं" : दिल्ली में रह रहे तुर्की के लोग अपने देश में विनाशकारी भूकंप आने के बाद से चिंतित

सोमवार को आए 7.8 तीव्रता का भूकंप और इसके बाद आए कई हल्के झटकों के कारण 5,000 से अधिक लोगों की मौत हुई है तथा तुर्की में और पड़ोसी देश सीरिया में हजारों मकान ढह गए. भूकंप के झटके काहिरा तक महसूस किए गए. 

विज्ञापन
Read Time: 24 mins
तुर्की के कुछ लोग देश में भूकंप आने के बाद वहां के लिए रवाना भी हुए हैं.
नई दिल्‍ली:

दिल्ली में रह रहे तुर्की मूल के शख्‍स सेरकैन ऊंसल भूकंप प्रभावित देश में हर कुछ मिनट पर अपने रिश्तेदारों एवं दोस्तों को फोन करके पूछते हैं कि ‘हैलो, क्या आप सुरक्षित हैं' और दूसरी ओर से जवाब ‘हां' में सुनने के बाद तुरंत फोन रख देते हैं. यहां एक तुर्क रेस्तरां संचालित कर रहे ऊंसल (45) ने कहा, ‘‘चूंकि बचाव कार्य जारी है, मैं फोन लाइन को व्यस्त नहीं रखना चाहता. वहां बिजली नहीं है और लोग नेटवर्क की समस्या का सामना कर रहे हैं. हम बस यह जानना चाहते हैं कि क्या वे ठीक हैं. मैं उनसे पूछता हूं ‘क्या आप सुरक्षित हैं.' यदि वे ‘हां' में जवाब देते हैं तो मैं फोन रख देता हूं.''

सोमवार को आए 7.8 तीव्रता का भूकंप और इसके बाद आए कई हल्के झटकों के कारण 5,000 से अधिक लोगों की मौत हुई है तथा तुर्की में और पड़ोसी देश सीरिया में हजारों मकान ढह गए. भूकंप के झटके काहिरा तक महसूस किए गए. 

भारत में रह रहे तुर्की मूल के लोग भी यह जान रहे हैं कि उनके देश को इस विनाश से उबरने में कई वर्ष लग जाएंगे. 

Advertisement

ऊंसल ने कहा कि तुर्की मूल के कुछ लोगों की जब अपने परिवार के सदस्यों से फोन पर बातचीत नहीं हो पाई, तो वे अपने देश के लिए रवाना हो गए. 

Advertisement

ऊंसल 25 साल पहले दिल्ली आ गए थे, जबकि उनके परिवार के ज्यादातर लोग तुर्की में रह रहे हैं. भूकंप की खबर मिलने के तुरंत बाद उन्होंने अपने परिवार के सदस्यों को फोन किया था. 

Advertisement

यहां अपने बेटे के साथ रह रहे ऊंसल ने कहा, ‘‘अपने परिवार और ससुराल के लोगों के सुरक्षित होने के बारे में जानकर मुझे राहत मिली. हम ठीक हैं, लेकिन सबकुछ ठीक नहीं है.''

Advertisement

उन्होंने कहा, ‘‘हम यहां सुरक्षित हैं, लेकिन हजारों मील दूर...हमारे परिवार के सदस्यों के पास सर्द रात बिताने के लिए जगह नहीं है और उनके कई दोस्त अब भी लापता हैं. ''

उन्होंने बताया कि उनके तीन दोस्त तुर्की रवाना हो गए हैं क्योंकि उनका अपने परिवार के सदस्यों से संपर्क नहीं हो पाया था. 

दिल्ली में रह रही तुर्की मूल की फिदान दुमन ने अपने देश से आ रही दुखद खबरों के कारण बहुत भावुक होते हुए कहा, ‘‘हालांकि मेरा परिवार सुरक्षित है लेकिन मेरे दोस्त और अन्य परिचित लोगों का अब भी कुछ पता नहीं चल सका है.''

दुमन एक सिविल इंजीनियर हैं और अपने दो बच्चों तथा पति के साथ यहां रह रही हैं. 

ये भी पढ़ें :

* तुर्की में आए भूकंप के बाद सोशल मीडिया पर 'पैनिक' फैलाने के आरोप में चार हिरासत में
* "दोस्त वही, जो ज़रूरत में काम आए..." : भीषण भूकंप से तबाही के बाद राहत भेजने के लिए तुर्की ने भारत का शुक्रिया अदा किया
* इमारतों के नीचे दबे अपनों को ढूंढते लोग, जमा देने वाली बारिश के बीच रात बिताने के लिए आश्रय की तलाश...तुर्की भूकंप की पीड़ा

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
Featured Video Of The Day
Jantar Mantar Protest: SSC Exam पर क्या है छात्रों का दर्द, समझे Neetu Ma'am से | SSC Protest