अशोक लीलैंड ने प्रदूषण मानदंडों के खिलाफ जाकर बेची ट्रकें, ED करेगी जांच

प्रवर्तन निदेशालय का कहना है कि उन फर्मों ने 2018 में नागालैंड, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में रजिस्टर्ड होने के लिए इनवॉइस पर तारीखें दर्ज कीं. ईडी का कहना है कि ये कंपनियां पूर्व विधायक जेसी प्रभाकर रेड्डी द्वारा नियंत्रित हैं. इसके अलावा इनमें रेड्डी के करीबी सहयोगी गोपाल रेड्डी, आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले के एक सिविल ठेकेदार और उनके परिवार के सदस्यों का भी शेयर है.

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नई दिल्ली:

कॉमर्शियल व्हीकल मैन्यूफैक्चरिंग दिग्गज कंपनी अशोक लीलैंड (Commercial Vehicle Manufacturer Ashok Leyland)38 करोड़ रुपये के कथित घोटाले में केंद्रीय एजेंसी ईडी की जांच के दायरे में आ गई है. अशोक लीलैंड पर आरोप है कि इसने सुप्रीम कोर्ट द्वारा अनिवार्य प्रदूषण विरोधी मानदंडों का उल्लंघन किया था. एजेंसी ने इस मामले में आंध्र प्रदेश में तेलुगू देशम पार्टी के एक पूर्व विधायक जेसी प्रभाकर रेड्डी और उनके परिवार के सदस्यों से पिछले कुछ महीनों में कई बार पूछताछ भी की है.

कंपनी पर मुख्य आरोप यह है कि 1 अप्रैल 2017 से तत्कालीन नवीनतम बीएस-4 मानदंडों को पूरा नहीं करने वाले वाहनों की बिक्री/रजिस्ट्रेशन पर बैन के बाद भी दो कंपनियों- दिवाकर रोड लाइन्स और जटाधारा इंडस्ट्रीज ने अशोक लीलैंड से स्क्रैप के रूप में कुछ बीएस-3 ट्रक खरीदे. 

प्रवर्तन निदेशालय का कहना है कि उन फर्मों ने 2018 में नागालैंड, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में रजिस्टर्ड होने के लिए इनवॉइस पर तारीखें दर्ज कीं. ईडी का कहना है कि ये कंपनियां पूर्व विधायक जेसी प्रभाकर रेड्डी द्वारा नियंत्रित हैं. इसके अलावा इनमें रेड्डी के करीबी सहयोगी गोपाल रेड्डी, आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले के एक सिविल ठेकेदार और उनके परिवार के सदस्यों का भी शेयर है. एजेंसी ने कहा, "पूरे घोटाले में मैसर्स अशोक लीलैंड की भूमिका सहित आगे की जांच जारी है." 

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने मार्च 2017 में आदेश दिया था कि 1 अप्रैल, 2017 से किसी भी निर्माता या डीलर द्वारा बीएस-4 मानदंडों का पालन नहीं करने वाले वाहनों को भारत में नहीं बेचा जा सकता है. रजिस्ट्रेशन अधिकारियों को ऐसे वाहनों को पास करने से भी प्रतिबंधित किया गया था. 

ईडी की एक विज्ञप्ति में कहा गया है, "हमने नागालैंड में अधिकारियों से नकली चालान के रूप में सबूत इकट्ठा किए हैं. अशोक लीलैंड द्वारा जारी किए गए मूल चालान को 'स्क्रैप' के रूप में जारी किया है और ये अपराध है. इन वाहनों के मालिक होने, चलाने और / या बेचने से उत्पन्न अपराध आय को 38.36 करोड़ रुपये के रूप में निर्धारित किया गया है." कंपनी ने अभी तक इस मामले में कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.

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