भारत के तीनों सेनाओं की महिलाओं ने रचा इतिहास, वापस लौटी अंतरराष्‍ट्रीय ऑल-वुमन सेलिंग टीम

इस साहसिक यात्रा में भारतीय सेना की तीनों शाखाओं, थलसेना, नौसेना और वायुसेना की 11 महिला अफसरों ने हिस्सा लिया था.

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नई दिल्‍ली:

भारत की रक्षा सेवाओं के इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ गया है. देश की पहली ‘ट्राई-सेवा' यानी थलसेना, नौसेना और वायुसेना की महिला अधिकारियों की एक अंतरराष्ट्रीय सेलिंग टीम ने 55 दिन तक समंदर में रहते हुए 3,600 नॉटिकल मील की चुनौतीपूर्ण यात्रा पूरी की और आज मुंबई लौट आई.

सेना की तीनों शाखाओं की वीरता

इस साहसिक यात्रा में भारतीय सेना की तीनों शाखाओं, थलसेना, नौसेना और वायुसेना की 11 महिला अफसरों ने हिस्सा लिया. इस तरह की अंतरराष्ट्रीय समुद्री यात्रा को पूरी तरह महिलाओं द्वारा करना अपने आप में पहली घटना है. मिशन का उद्देश्य सिर्फ सेलिंग तक सीमित नहीं था, बल्कि इससे यह भी दिखाया गया कि आज की भारतीय महिला अधिकारी नेतृत्व, धैर्य और साहस में किसी से कम नहीं. 

IASV 'त्रिवेणी' भारतीय तकनीक की मिसाल

टीम ने यात्रा की शुरुआत और समाप्ति 50 फीट लंबी भारतीय स्वदेशी नौका 'त्रिवेणी' से की. यह नौका फाइबर रिइन्फोर्स्ड प्लास्टिक (FRP) से बनी है और इसमें अत्याधुनिक जीपीएस, सैटेलाइट कम्युनिकेशन और AIS सिस्टम लगे हैं. इसकी खासियत है कि यह बिना रुके करीब 60 दिनों तक समंदर में चल सकती है. इस नौका को भारतीय नौसेना के विशेषज्ञों ने डिजाइन और तैयार किया है. 

मुश्किल हालात, लेकिन मजबूत हौसला

यात्रा के दौरान टीम को कई समुद्री कठिनाइयों का सामना करना पड़ा कभी तेज़ हवाएं, कभी मानसूनी तूफान, तो कभी नेविगेशन उपकरणों में गड़बड़ी. लेकिन इन अफसरों ने कभी हार नहीं मानी. दिन-रात बदलते मौसम में भी उन्होंने टीम भावना और तकनीकी समझदारी से इस कठिन अभियान को अंजाम दिया. यह दिखाता है कि सेना की महिलाएं न केवल मानसिक रूप से सशक्त हैं, बल्कि समुद्री चुनौतियों से भी लड़ सकती हैं.

सेशेल्स में भारत की सॉफ्ट पावर

टीम जब सेशेल्स पहुंची तो वहां उनका बेहद सम्मानजनक स्वागत हुआ. टीम ने वहां विदेश मंत्री, सेशेल्स के संयुक्त रक्षा प्रमुख और भारत के उच्चायुक्त से मुलाकात की. ये मुलाकातें भारत और सेशेल्स के बीच सामरिक और समुद्री सहयोग को और मजबूत करने के लिहाज़ से बेहद अहम रहीं. यह मिशन केवल सैन्य नहीं बल्कि राजनयिक (डिप्लोमैटिक) स्तर पर भी एक बड़ी उपलब्धि बन गया. 

ऐसे हुआ टीम का चयन

टीम में शामिल अफसरों का चयन एक सख्त प्रक्रिया के तहत हुआ. कुल 41 महिला अधिकारियों में से 11 को चयनित किया गया. इनका चयन शारीरिक क्षमता, मानसिक स्थिरता, नेतृत्व कौशल और सेलिंग के अनुभव के आधार पर किया गया. इस प्रक्रिया में सेना के अडवेंचर विंग, नेवी के ओशन सेलिंग नोड और एयरफोर्स अडवेंचर सेल की संयुक्त भागीदारी थी.

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टीम के सदस्य – महिलाओं की असली तस्वीर

टीम में थलसेना से थीं - लेफ्टिनेंट कर्नल अनुजा, मेजर करमजीत, मेजर तन्या, कैप्टन ओमिता, कैप्टन दौली, और कैप्टन प्राजक्ता. नौसेना की ओर से लेफ्टिनेंट कमांडर प्रियांका थीं. वायुसेना का प्रतिनिधित्व कर रही थीं - स्क्वाड्रन लीडर विभा, श्रद्धा, अरुवी, और वैशाली. टीम की ट्रेनिंग लेफ्टिनेंट कर्नल आर. वेंणु और अनुभवी ऑफशोर सेलर्स लेफ्टिनेंट कर्नल एम.के. सिंह और सुरेंद्र सिंह के मार्गदर्शन में हुई.

‘नारी शक्ति' का एक नया अध्याय

यह मिशन सिर्फ सेलिंग तक सीमित नहीं था, यह था एक प्रेरक उदाहरण ‘नारी शक्ति' का, जिसमें दिखाया गया कि महिला अफसर आज सिर्फ सहायक भूमिकाओं में नहीं, बल्कि ऑपरेशनल कमान में भी आगे हैं. यह मिशन भारतीय सेनाओं के जॉइंटनेस (एक साथ मिलकर काम करने की रणनीति) को भी दर्शाता है, जिसमें तीनों सेनाएं एक ही टीम के रूप में एक साथ खड़ी रहीं. 

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महिलाओं का बढ़ता योगदान

भारत अब वैश्विक मंच पर एक समुद्री शक्ति बनने की दिशा में अग्रसर है. ऐसे अभियानों से यह संदेश जाता है कि देश की महिलाएं भी इस समुद्री यात्रा में कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं. यह यात्रा आने वाले समय में भारतीय सेना में महिला नेतृत्व की संभावनाओं को और मजबूती देगी. 

प्रेरणा, नेतृत्व और गौरव

यह अभियान सिर्फ एक समुंदरी यात्रा नहीं, बल्कि एक राष्ट्र के आत्मविश्वास, महिलाओं की नेतृत्व क्षमता और सेना की एकजुटता का प्रतीक है. इन अफसरों ने दिखा दिया कि जब इरादा मजबूत हो और प्रशिक्षण सटीक, तो महिलाएं किसी भी मोर्चे पर पीछे नहीं.यह मिशन आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देगा. विशेष रूप से उन लड़कियों को जो देश की रक्षा सेवाओं में अपना भविष्य देखती हैं. 

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