'व्यापार चौपट हो जाएगा...', फेस्टिव सीजन में डीजल वाहनों की दिल्ली में 'नो एंट्री' के आदेश से व्यापारी नाराज

व्यापारी नेताओं ने कहा कि बेशक सरकार ने इस प्रतिबंध से आवश्यक वस्तुओं को छूट दी है. लेकिन आवश्यक वस्तुएं दिल्ली के व्यापार का केवल 10 प्रतिशत हैं. बाकी के प्रतिशत सामान अन्य वस्तु हैं.

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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:

वायु प्रदूषण को ध्यान में रखते हुए दिल्ली की आप सरकार ने एक अक्टूबर, 2022 से 28 फरवरी, 2023 तक राष्ट्रीय राजधानी में बाहरी डीजल वाहन की एंट्री पर रोक लगाई है. हालांकि, अब दिल्ली के व्यापारी सरकार के इस फैसले का विरोध करते दिख रहे हैं. व्यापारियों का कहना है कि सरकार के इस फैसले का व्यापार पर विपरीत असर पड़ेगा. उनका कहना है कि सरकार का यह निर्णय दिल्ली के व्यापार को ऐसे समय में बंद कर देगा जब त्योहार और शादी का सीजन होने के कारण व्यापार बहुत ही अच्छा होता है.  सरकारी आदेश की निंदा करते हुए कन्फ़ेडरेशन ऑफ़ ऑल इंडिया ट्रेडर्ज़ ( कैट) के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल और दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष विपिन आहूजा ने  कहा कि इस फैसले से इन पांच महीनों में दिल्ली का व्यापार पूरी तरह चौपट हो जाएगा. 

ट्रक इलेक्ट्रिक या सीएनजी से नहीं चल सकते

इस मुद्दे पर भविष्य की रणनीति तय करने के लिए कैट ने दिल्ली के प्रमुख व्यापारिक संगठनों की एक मीटिंग 29 जून को बुलाई है. खंडेलवाल और आहूजा ने कहा कि पर्यावरण की रक्षा करना बेहद जरूरी है. लेकिन इसके साथ यह भी देखा जाना चाहिए कि सरकार के किसी भी निर्णय से किसी भी व्यापार पर प्रतिकूल प्रभाव न पड़े. उन्होंने कहा कि इस निर्णय से पांच महीने तक दिल्ली में कोई भी सामान नहीं आ पाएगा क्योंकि दिल्ली में सारा माल अन्य राज्यों से ट्रकों में आता है और ट्रक डीजल से चलते हैं. लंबी दूरी होने के कारण कोई भी ट्रक इलेक्ट्रिक या सीएनजी से नहीं चल सकते. इस दृष्टि से सरकार का यह निर्णय बेमानी है और इसे परिणाम को सोचे समझे बिना लिया गया है. 

माल की ढुलाई पर बड़ा रोड़ा बन जाएगा

उन्होंने कहा कि कैट इस मामले में जल्द ही दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना से मिलेगा और इस निर्णय को रोके जाने का आग्रह करेगा. अगर, आवश्यकता पड़ी तो केंद्र सरकार के दखल दिए जाने का भी प्रयास करेगा. इधर, कैट के प्रदेश महामंत्री देवराज बवेज़ा और आशीष ग्रोवर ने कहा कि सरकार का ये निर्णय मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के व्यापारी विरोधी रवैये को दर्शाता है. उल्लेखनीय है कि दिल्ली देश का सबसे बड़ा वितरण केंद्र है और दिल्ली सरकार का राजस्व काफी हद तक व्यापारिक गतिविधियों पर निर्भर है. अगर ये आदेश लागू होता है तो दिल्ली में दूसरे राज्यों से और दिल्ली से दूसरे राज्यों में माल की ढुलाई पर बड़ा रोड़ा बन जाएगा. 

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व्यापारी नेताओं ने कहा कि बेशक सरकार ने इस प्रतिबंध से आवश्यक वस्तुओं को छूट दी है. लेकिन आवश्यक वस्तुएं दिल्ली के व्यापार का केवल 10 प्रतिशत हैं. बाकी के प्रतिशत सामान अन्य वस्तु हैं, जो दिल्ली में ट्रकों के जरिए अन्य राज्यों से आती हैं. ऐसे में सरकार फैसले पर विचार करें. 

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