तमिलनाडु में एक स्कूली छात्रा की मौत को लेकर हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बीच सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को आज ही होने जा रहे दूसरे पोस्टमॉर्टम पर रोक लगाने से इकार कर दिया है. हाईकोर्ट द्वारा दूसरे पोस्टमॉर्टम में परिवार की पसंद का डॉक्टर शामिल किए जाने से इंकार करने के बाद 12वीं कक्षा की छात्रा के पिता ने सुप्रीम कोर्ट से डॉक्टरों के पैनल में पसंद का डॉक्टर शामिल करने अथवा अटॉप्सी को रोक देने की गुहार की थी. छात्रा के परिवार ने सोमवार को मामले की जल्द सुनवाई किए जाने की मांग भी की थी, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को ही मामला सुनने पर सहमति जताई थी.
मद्रास हाईकोर्ट ने सोमवार को फिर पोस्टमार्टम का आदेश दिया था, लेकिन मेडिकल पैनल में अपनी पसंद के डॉक्टर को शामिल करने के माता-पिता के अनुरोध को ठुकरा दिया था. लड़की ने चेन्नई से लगभग 260 किलोमीटर दूर कल्लाकुरिची में 13 जुलाई को स्कूल के कैंपस में अपने हॉस्टल की तीसरी मंजिल से कथित तौर पर छलांग लगा दी थी. पुलिस ने कहा कि उसके कमरे से मिले एक नोट में लिखा था कि वह कई विषयों में संघर्ष कर रही थी और उसके शिक्षकों ने उसे अपमानित किया था.
लड़की के परिवार का आरोप है कि शिक्षकों ने उसे मानसिक रूप से प्रताड़ित किया. उन्होंने यह भी आरोप लगाया है कि जिस स्थान पर वह मृत पाई गई थी, उसके पास एक दीवार पर खून से लथपथ हथेली का निशान था जो कि हाथापाई या संघर्ष की ओर इशारा करता है. पुलिस ने दो शिक्षकों, प्राचार्य, सचिव समेत स्कूल के कई कर्मचारियों को हिरासत में लिया है.
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शीर्ष अदालत में इस मामले पर बहस करते हुए लड़की के पिता के वकील ने कहा कि राज्य में बहुत हिंसा हो रही है, पोस्टमॉर्टम आज से शुरू होना है, कृपया इस पर रोक लगाने का आदेश दें. टीम में हमारी पसंद के डॉक्टर को इसमें शामिल किया जाना चाहिए. इस पर मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने जवाब दिया, "हाईकोर्ट पहले ही मामले को देख रहा है. क्या आपको HC पर भरोसा नहीं है?"
लड़की की मौत को लेकर भारी विरोध प्रदर्शन हो रहा है. रविवार को स्कूल परिसर के बाहर प्रदर्शन हिंसक हो गया था, क्योंकि प्रदर्शनकारियों ने कक्षाओं में तोड़फोड़ की और स्कूल बसों में आग लगा दी. हाईकोर्ट ने पुलिस से दंगाइयों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने को कहा है. दंगा करने के आरोप में 100 से अधिक संदिग्धों को हिरासत में लिया गया है. मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने शांति का आह्वान किया है.
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