दिल्ली विधानसभा में फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' का जिक्र करते हुए बीजेपी ने आप पार्टी पर जमकर हमला बोला. वहीं अपने बचाव में आप पार्टी ने बीजेपी पर कई तरह के आरोप लगाए. दिल्ली विधानसभा में BJP विधायक अजय महावर ने कश्मीर फाइल्स का मुद्दा नियम 280 के तहत उठाया. उन्होंने कहा कि कश्मीर फाइल्स फ़िल्म के जरिए कश्मीरी हिंदुओं पर हुए अत्याचार को उजागर करने का हिम्मती कार्य किया गया है. लेकिन BJP ने जब इस फ़िल्म को टैक्स फ्री करने की मांग की, तो दिल्ली सरकार ने इसे नहीं माना और इसके विपरीत कश्मीरी पंडितों के साथ BJP और हमारे विधायक दल का सदन में उपहास किया.
विधायक अजय महावर ने कहा कि सीएम ने इससे पहले टुकड़े-टुकड़े गैंग की समर्थक स्वरा भास्कर की फ़िल्म नील बट्टे सन्नाटा, तापसी पन्नू की फ़िल्म सांढ की आंख और कबीर खान की फ़िल्म 83 को दिल्ली में टैक्स फ्री किया है और उसका प्रमोशन भी किया गया है. इससे इनकी मानसिकता साफ होती है. स्पीकर के जरिए मेरी मांग है कि दिल्ली सरकार कश्मीर पंडितों का उपहास उड़ाना बंद करे और इस फ़िल्म को टैक्स फ्री करें.
वहीं अपना पक्ष रखते हुए कश्मीरी पंडितों के मुद्दे पर आप के नेता सौरभ भारद्वाज ने सदन में कहा कि जब मैं 2014 में पहली बार विधायक बना, तब पम्पोस कॉलोनी गया था. जहां विस्थापित कश्मीरी परिवार रहते हैं. वहां पीने का पानी नहीं आता था. जबकि लोगों ने बताया कि वे BJP का सपोर्ट करते आए हैं. आसपास की कॉलोनी में पानी आता था. लेकिन उन्हें पानी नहीं दिया जाता था. हमने वहां पानी पहुंचाने का काम किया. वहां मुझे एक महिला मिलीं मिसेज रैना. उन्होंने बताया कि 1990 में टेम्पररी नौकरी दी गई थी. लेकिन 25 साल में भी पक्का नहीं किया गया था. उन्हें लेकर मैं मनीष सिसोदिया के पास गया. हमारी सरकार से पहले एक साल तक दिल्ली का शासन सीधे केंद्र के अधीन था. अरुण जेटली उस कॉलोनी के बिल्कुल करीब रहते थे. लेकिन फिर भी उनका काम नहीं हुआ. उनकी नौकरी को पक्का करने का काम अरविंद केजरीवाल सरकार ने किया.
अरविंद केजरीवाल ने की नौकरियां पक्की
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने इस मुद्दे पर अपनी राय रखते हुए कहा कि इन्हें कश्मीर फाइल्स से प्यार है, हमें कश्मीरियों से प्यार है. अटल जी या जगमोहन जी के समय में जो हुआ, वो बीते समय की बात है. लेकिन 8 साल से केंद्र में BJP की सरकार है, फिर भी कश्मीरी पंडितों को विस्थापित होकर क्यों रहना पड़ रहा है. मनीष सिसोदिया ने आगे कहा कि सौरभ भारद्वाज के प्रस्ताव का मैं पूरा समर्थन करता हूं. इसकी घोर निंदा की जानी चाहिए. जो 8 साल से कश्मीरी पंडितों के विस्थापन के मुद्दे पर राजनीति हो रही है. 32 साल से चल रहा उनका विस्थापन खत्म नहीं हुआ है.
मनीष सिसोदिया ने कहा कि 32 साल में उनकी तीसरी पीढ़ी खड़ी है आज, लेकिन वे अपनी तीसरी पीढ़ी को भी कश्मीर जाकर वो घर नहीं दिखा सकते. जहां वे रहा करते थे. आज दिल्ली के अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों में कश्मीरी पंडित रहते हैं. उनके लिए कैसे काम किया जाता है. ये अरविंद केजरीवाल से सीखिए. 250 कश्मीरी टीचर्स कॉन्ट्रैक्ट पर थे. उनकी समस्या सुनकर तुरन्त अरविंद केजरीवाल के निर्देश पर कैबिनेट में फैसला लेकर उन्हें स्थायी किया गया. बिना सर्टिफिकेट या बिना कुछ पूछे उन सबको परमानेंट किया गया. इस देश की जिम्मेदारी है कि जो जख्म कश्मीरी पंडितों ने सहा है, उन्हें पूरा देश मिलकर भरे. एक कश्मीरी पंडित महिला टीचर की रिटायरमेंट के बाद पेंशन नहीं दी जा रही थी. सर्विस डिपार्टमेंट (जो एलजी के पास है) ने कहा कि सर्टिफिकेट लाओ. हम इस समस्या को लेकर अरविंद केजरीवाल के पास गए. उन्होंने निर्देश दिया कि ये मानकर कि बारापुला में उनके सर्टिफिकेट जल गए थे और उस आधार पर उनका पेंशन बहाल हुआ.
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