सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से गैर सरकारी संगठनों को मिलने वाली धनराशि के बारे में जानकारी मांगी

सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे के खिलाफ एमएल शर्मा की जनहित याचिका, ट्रस्ट में 'वित्तीय अनियमितताओं' की जांच के लिए सीबीआई को निर्देश देने की मांग

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प्रतीकात्मक फोटो.
नई दिल्ली:

गैर-सरकारी संगठनों में आने वाले पैसे की निगरानी को लेकर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से गैर सरकारी संगठनों (NGO) को मिलने वाले पैसे पर पॉलिसी मांगी. कोर्ट ने केंद्र को नियामक ढांचे, नीतिगत ढांचे के बारे में सूचित करने को कहा. दरअसल सुप्रीम कोर्ट सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे के खिलाफ एमएल शर्मा की एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिसमें उनके ट्रस्ट में 'वित्तीय अनियमितताओं' की जांच के लिए सीबीआई को निर्देश देने की मांग की गई है. 

भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि इन आरोपों में नहीं जाना चाहिए, लेकिन यह अनिवार्य रूप से एनजीओ में आने वाले पैसे के बारे में है. केंद्र नियामक ढांचे, नीतिगत ढांचे के बारे में सूचित करे. सुप्रीम कोर्ट चार हफ्ते बाद मामले की सुनवाई करेगा. 

इस दौरान एमएल शर्मा ने कहा कि  31,000 एनजीओ ने सरकार से पैसा लिया है. सावंत समिति ने अभियोजन की सिफारिश की है. चीफ जस्टिस ने कहा कि हमें नीतिगत ढांचे के बारे में सूचित किया जाए. केंद्र हमें बताए कि वह क्या करने का प्रस्ताव रखता है. 

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ मामले की सुनवाई कर रही थी. शर्मा ने कहा कि यह मामला 2011 से लंबित है. मैंने यह जनहित याचिका अन्ना हजारे के खिलाफ सरकार से पैसा लेने और अपने लिए इस्तेमाल करने के लिए दायर की थी.  

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने सरकार से जवाब मांगते हुए कहा कि केंद्र सरकार को एक विस्तृत योजना पेश करनी चाहिए कि वह किस तरह इसे काबू करने का प्रस्ताव करती है. 

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