लौंगेवाला युद्ध स्थल पर 108 फीट ऊंचे खंभे पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया

सन 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान लौंगेवाला में भारतीय सैनिकों ने असाधारण बहादुरी और पराक्रम का परिचय दिया था

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लौंगोवाला युद्ध स्थल पर समारोह आयोजित किया गया.
नई दिल्ली:

सन 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान भारतीय सैनिकों की असाधारण बहादुरी और पराक्रम को नमन करने के लिए 7 दिसंबर को लौंगेवाला युद्ध स्थल पर 108 फीट ऊंचे खंभे पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया. इस ध्वज की स्थापना भारतीय सेना और फ्लैग फाउंडेशन ऑफ इंडिया ने संयुक्त रूप से की है.

इस कार्यक्रम में 23-पंजाब के युद्ध के दिग्गज नायक जगदेव सिंह और हवलदार मुख्तियार सिंह शामिल हुए. उन्होंने 53 साल पहले इस युद्ध में हिस्सा लिया था. उनके साथ जैसलमेर जिले के 1971 के युद्ध के आठ अन्य दिग्गज भी शामिल हुए. 

समारोह में भारतीय वायु सेना, सीमा सुरक्षा बल, नागरिक प्रशासन के अधिकारी, प्रमुख हस्तियां और स्थानीय समुदाय के लोग मौजूद थे. इस मौके पर एक सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किया गया जिसमें स्कूली छात्रों ने देशभक्ति के गीत पेश किए. इन प्रदर्शनों के जरिए वीरों के साहस को सम्मानित किया गया.

दिसंबर 1971 में लड़ी गई लौंगेवाला की लड़ाई हमारे सशस्त्र बलों की वीरता और बलिदान का प्रमाण है. लौंगेवाला की पवित्र भूमि हमें 5 से 7 दिसंबर 1971 तक यहां लड़ी गई भीषण लड़ाई की याद दिलाती है, जहां कुछ लोगों के साहस ने कई लोगों की ताकत पर विजय प्राप्त की थी. 

लौंगेवाला के वास्तविक युद्ध स्थल पर एक युद्ध स्मारक एक प्रमुख पर्यटन स्थल बन गया है, जो हमारे सैनिकों को श्रद्धांजलि देने के लिए लाखों आगंतुकों को आकर्षित करता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 14 नवंबर 2020 को अपनी यात्रा के दौरान राष्ट्रीय गौरव के स्थल के रूप में इसके विकास और इस विरासत को संरक्षित करने के महत्व पर जोर दिया था.

उसके बाद से भारतीय सेना के ठोस प्रयासों से लौंगेवाला युद्ध स्थल में व्यापक परिवर्तन हुआ है. इस परिवर्तन के हिस्से के रूप में अब 108 फीट ऊंचा राष्ट्रीय ध्वज स्थापित किया गया है, जो इस ऐतिहासिक स्थल को स्मरण और गौरव के स्थान के रूप में और मजबूत करता है.

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इस पहल की व्यापक रूप से सराहना की गई है. ध्वज की स्थापना लौंगेवाला आने वाले सभी लोगों को राष्ट्र की वीरता और देशभक्ति की समृद्ध विरासत को लेकर प्रेरणा देगी. यह ऊंचा ध्वज भारतीय सेना की अदम्य भावना और राष्ट्र के प्रति उसकी प्रतिबद्धता की एक शक्तिशाली याद के रूप में खड़ा रहेगा.

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