कोविड-19 के प्रबंधन के मद्देनज़र हिमाचल प्रदेश हर जिले में जिला निगरानी समिति का गठन करने का मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस भी जारी किया है. दरअसल सात जुलाई की हाईकोर्ट ने कोविड-19 के प्रबंधन से संबंधित एक याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को हर जिले में जिला निगरानी समिति के गठन का आदेश दिया था. समिति में जिले के उपायुक्त, जिला विधिक सेवा अथॉरिटी के सचिव और जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष को शामिल किया गया था.
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जस्टिस डीवाई चंद्रचूड की अध्यक्षता वाली पीठ ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ राज्य सरकार की ओर दाखिल याचिका पर हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी. वहीं, जिला निगरानी समिति में बार एसोसिएशन के अध्यक्ष और विधिक सेवा अथॉरिटी के सचिव को शामिल करने पर अदालत ने नाखुशी जाहिर की. जस्टिस चंद्रचूड ने कहा कि कोविड को लेकर हमने भी टास्क फोर्स का गठन किया था लेकिन उसमें अलग-अलग क्षेत्र के विशेषज्ञों को शामिल किया गया था. उन्होंने कहा कि बार एसोसिएशन और विधिक सेवा अथॉरिटी के लोग इस मामले के विशेषज्ञ नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने यह साफ किया है कि उसका यह आदेश हाईकोर्ट को कोविड मामले पर सुनवाई पर रोक नहीं लगाता है.
इससे पहले राज्य सरकार की ओर से पेश एडिशनल एडवोकेट जनरल अभिनव मुखर्जी ने पीठ के समक्ष कहा कि हाईकोर्ट को इस तरह का आदेश नहीं पारित करना चाहिए था. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने पहले से ही कोविड को लेकर हर स्तर पर कमेटी बना रखी है. पंचायत स्तर पर भी समितियां पहले से मौजूद है. बावजूद इसके हाईकोर्ट ने जिला निगरानी समिति का गठन करने का निर्णय लिया और उसमें जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष और जिला विधिक सेवा अथॉरिटी के सचिव को भी शामिल किया जिसकी कतई जरूरत नहीं थी. एएजी मुखर्जी ने पीठ से यह भी कहा कि हिमाचल प्रदेश संभवतः एकमात्र ऐसा राज्य है जहां सभी 'योग्य' व्यक्तियों(18 से अधिक उम्र के लोग) को कोरोना का पहला टीका लग चुका है.
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उन्होंने कहा कि नवंबर तक सभी लोगों को दूसरा टीका लग जाएगा. मुख़र्जी ने यह भी कहा कि राज्य में कोरोना का एक्टिव रेट महज 0.7 है. साफ है कि राज्य सरकार, कोविड को लेकर सकारात्मक और ठोस कदम उठा रही है. पीठ ने एएजी की दलीलों को सुनने के बाद कोर्ट ने जिला निगरानी समिति के गठन के हाईकोर्ट के आदेश ओर रोक लगा दी. साथ ही पीठ ने इस मामले में प्रतिवादियों को नोटिस जारी करते हुए चार हफ्ते में जवाब दाखिल करने के लिए कहा है.