इथोपिया में फटे ज्वालामुखी की राख से भारत नहीं अब चीन के लिए टेंशन, जानें क्यों

Ethiopian Volcanic: राहत की बात यह है कि ज्वालामुखी की राख के बादल से सतह पर कहीं भी कोई खतरा नहीं है. इस राख का एक्यूआई पर भी कोई असर नहीं पड़ा और न पड़ेगा. हिमालयी तराई, नेपाल की पहाड़ियों या उत्तर भारत के मैदानों में एसओ2 का स्तर भी सामान्य हो चुका है. 40,000 फीट से ऊपर सिर्फ एसओ 2 का हल्का निशान बचा है, जो तेजी से फैलकर निष्क्रिय हो जाएगा.

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इथोपिया ज्वालामुखी की राख से बढ़ी चीन की टेंशन.
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  • इथोपिया के ज्वालामुखी से निकली राख का बादल अब पूरी तरह उत्तरी भारत से आगे बढ़ चुका है और खतरा टल गया है.
  • भारत में हवाई संचालन फिलहाल सामान्य है और कुछ फ्लाइट्स का एहतियातन रूट बदला गया है.
  • राख का बादल अब चीन की ओर बढ़ रहा है और ऊपरी वायुमंडल में फैल रहा है जो सतह पर किसी खतरे का कारण नहीं है.
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इथोपिया में फटे ज्वालामुखी की राख से भारत की हवा और कुछ फ्लाइट्स पर असर जरूर देखा जा रहा है, लेकिन हमारे लिए खतरे की कोई बात नहीं है. क्यों कि ज्वालामुखी की ये राख मंगलवार शाम तक चीन की तरफ जाने लगेगी. अब खतरा चीन के लिए ज्यादा माना जा रहा है. IMD ने मंगलवार को राहत भरी खबर देते हुए कहा कि हेली गुब्बी ज्वालामुखी से निकली राख का बादल अब पूरी तरह उत्तरी भारत से आगे बढ़ चुका है और खतरा टल गया है.

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घबराने की कोई जरूरत नहीं, हालात पर रखी जा रही नजर

राख के बादल पूर्व की ओर बढ़ रहे हैं. नागरिक उड्डयन मंत्रालय, एटीसी, मौसम विभाग, एयरलाइंस और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां लगातार हालात पर आपस में तालमेल बनाए हुए हैं. एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने इसके लिए जरूरी NOTAM जारी कर दिया है. जिन उड़ानों पर इसका असर पड़ सकता है, उनको जानकारी दी जा रही है. भारत में हवाई संचालन फिलहाल सामान्य है. सिर्फ कुछ फ्लाइट्स को एहतियातन रूट बदलकर या नीचे की ऊंचाई पर उड़ाया गया है, लेकिन घबराने की कोई जरूरत नहीं है. अधिकारियों ने कहा कि स्थिति पर लगातार नज़र रखी जा रही है और यात्रियों की सुरक्षा के लिए समय-समय पर अपडेट जारी किए जाएंगे.

राख का बादल अब चीन की ओर जा रहा

IMD के मुताबिक, राख का बादल अब चीन की ओर चला गया है और ऊपरी वायुमंडल (स्ट्रैटोस्फीयर) में फैल रहा है. आने वाले कुछ दिनों में यह महीन धूल सबट्रॉपिकल जेट स्ट्रीम के साथ प्रशांत महासागर की ओर बढ़ जाएगी. राहत की सबसे बड़ी बात यह है कि इसका सतह पर कहीं भी कोई खतरा नहीं है. इस राख का एक्यूआई पर भी कोई असर नहीं पड़ा और न पड़ेगा. हिमालयी तराई, नेपाल की पहाड़ियों या उत्तर भारत के मैदानों में एसओ2 का स्तर भी सामान्य हो चुका है. 40,000 फीट से ऊपर सिर्फ एसओ 2 का हल्का निशान बचा है, जो तेजी से फैलकर निष्क्रिय हो जाएगा.

राख की धूल से सूर्योदय और सूर्यास्त बेहद रंगीन दिखेगा

उन्होंने कहा कि जहां-जहां यह महीन धूल ऊपरी वायुमंडल में रहेगी, वहां सूर्योदय और सूर्यास्त बेहद रंगीन और शानदार दिखाई देंगे. लाल, बैंगनी और नारंगी रंगों की छटा आसमान में छा जाएगी, ठीक वैसे ही जैसे बड़े ज्वालामुखी विस्फोट के बाद पूरी दुनिया में देखने को मिलता है. बता दें कि ज्वालामुखी की राख के गुबार ने उत्तरी और पश्चिमी भारत में एयर क्वालिटी और एविएशन सेफ्टी को लेकर चिंताएं बढ़ा दी थीं. इसी वजह से सोमवार और मंगलवार को देश भर में कई फ्लाइट्स बाधित हुई थीं.

12,000 साल फटा ज्वालामुखी, बढ़ी टेंशन

राख का गुबार उत्तरी इथियोपिया में हेली गुब्बी ज्वालामुखी से निकला था, जो 12,000 साल तक शांत रहने के बाद फटा था, जिससे राख का एक बड़ा गुबार बना जो आसमान में लगभग 14 किलोमीटर तक ऊपर उठा. तेज हवाओं ने राख के बादल को लाल सागर के पार, यमन और ओमान के ऊपर, और आगे अरब सागर के पार भारतीय उपमहाद्वीप की ओर आगे बढ़ा दिया था.

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