सरकारी बैंकों की धोखाधड़ी में फंसी रकम में तेज गिरावट आई है. रिजर्व बैंक (RBI) ने कहा है कि मार्च, 2022 में समाप्त हुए वित्त वर्ष में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का धोखाधड़ी में फंसा धन 51 प्रतिशत घटकर 40,295.25 करोड़ रुपये रह गया है. आरटीआई से मिली जानकारी में आरबीआई ने कहा कि 2020-21 के दौरान 12 सरकारी बैंकों का 81,921.54 करोड़ रुपया धोखाधड़ी में फंसा था. मध्य प्रदेश के आरटीआई कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ की आरटीआई के जवाब में आरबीआई ने कहा कि इन बैंकों में 2021-22 में धोखाधड़ी के 7,940 मामले सामने आए, 2020-21 में यह संख्या 9,933 थी.
वर्ष 2021-22 के दौरान, इन बैंकों में सामने आए धोखाधड़ी के मामलों में सर्वाधिक 9,528.95 करोड़ रुपये पंजाब नेशनल बैंक के फंसे हैं. बैंक में इस तरह के 431 मामले सामने आए हैं. स्टेट बैंक में धोखाधड़ी के 4,192 मामले आए हैं, जिनमें बैंक के 6,932.37 करोड़ रुपये फंसे है. इसका मतलब है कि बैंक में धोखाधड़ी के ऐसे मामले ज्यादा हैं जिनमें गबन छोटी रकम का किया गया है. बैंक ऑफ इंडिया के धोखाधड़ी के मामलों में 5,923.99 करोड़ रुपये फंसे हैं (209 केस), बैंक ऑफ बड़ौदा के 3,989.36 करोड़ रुपये (280 केस); यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के 3,939 करोड़ रुपये (627 केस) जबकि केनरा बैंक के 3,230.18 करोड़ रुपये महज 90 मामलों में फंसे हैं.
इंडियन बैंक के 211 मामलों में 2,038.28 करोड़ रुपये; इंडियन ओवरसीज बैंक के 312 मामलों में 1,733.80 करोड़ रुपये; बैंक ऑफ महाराष्ट्र के 72 मामलों में 1,139.36 करोड़ रुपये; सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के धोखाधड़ी के मामलों में 773.37 करोड़ रुपये; यूको बैंक के 114 मामलों में 611.54 करोड़ रुपये और पंजाब एंड सिंध बैंक के धोखाधड़ी के 159 मामलों में 455.04 करोड़ रुपये फंसे हैं.