आयकर विभाग ने विदेशी फंड से चलने वाले पांच नामी एनजीओ की पोलपट्टी खोली है. ये एनजीओ देश में विकास के कामों में अड़ंगा लगाने में जुटे थे. अदाणी ग्रुप समेत देश के विकास को नई रफ्तार देने वाली नामी कंपनियों के प्रोजेक्ट्स इनके निशाने पर थे. राजनीतिक विश्लेषक तहसीन पूनावाला ने एनडीटीवी से खास बातचीत ने इसे आर्थिक आतंकवाद बताते हुए ऐसे एनजीओ पर सख्त कार्रवाई की बात कही है.
पूनावाल ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा कि यह बहुत चिंता की बात है. देश की नामचीन कंपनियों जैसे कि अदाणी ग्रुप और अन्य को निशाना बनाने के लिए एनजीओ ने विदेश फंड का इस्तेमाल किया, यह हैरान करता है. उन्होंने कहा, 'मैं एनजीओ के खिलाफ नहीं हूं, लेकिन एनजीओ की फंडिंग किसलिए होती है. वह पैसा हमारे देश में किसलिए आ रहा है. क्या वह उस फंडिंग से अपने उद्देश्य को पूरा कर रहा है या फिर उसका मकसद भारत को अस्थिर करना है, यह देखने वाली बात है.'
पूनावाला ने कहा कि भारत की जब न्यूक्लियर डील हुई थी, तब भी बहुत सारे एनजीओ ने उसे डिरेल करने की कोशिश की. उस वक्त की यूपीए सरकार ने इन एनजीओ पर सख्त कार्रवाई नहीं की. मेरा मानना है कि उनकी रिपोर्ट बननी चाहिए.अगर किसी भी एनजीओ का मकसद है कि भारत में आर्थिक आतंकवाद फैलाए, तो उसे देश में काम नहीं करने देना चाहिए.
पढ़ें: इनकम टैक्स रेड से कैसे खुला 5 NGO का काला चिट्ठा, NDTV की रिपोर्ट से पूरा मामला समझिए
पूनावाला ने कहा कि अदाणी ग्रुप का भारत के बारे में एक विजन है. यह देश की कंपनी है.क्या हमें इस बात को सहन करना चाहिए कि हमारे देश की किसी कंपनी को विदेशी फंड वाला एनजीओ अस्थिर करने की कोशिश करे. यह दरअसल भारत में आर्थिक अस्थिरता फैलाने की कोशिश है.
पूनावाला ने कहा कि खासकर जब अदाणी ग्रुप पोर्ट्स में जा रहा है और पोर्ट्स से भारत को काफी रणनीतिक बढ़त मिलेगी, ऐसे में कंपनी को अस्थिर करने की कोशिश भारत को अस्थिर करने की कोशिश है.