“पीएम के राज्य गुजरात में भी ऐसा ही हुआ”: तमिलनाडु में राज्यपाल की शक्ति कम करने पर बोले सीएम स्टालिन

तमिलनाडु सरकार ने विधानसभा ने वीसी की नियुक्ति का अधिकार राज्यपाल की बजाय राज्य को देने वाले विधेयक को सोमवार को पारित कर दिया. इसे सीधे तौर पर मामले में राज्यपाल की शक्तियां कम करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है.

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विपक्षी दलों ने जताया ऐतराज
चेन्नई:

तमिलनाडु सरकार ने आज विधानसभा में एक विधेयक पेश किया जो विश्वविद्यालयों में वाइस चांसलर नियुक्त करने के लिए राज्यपाल की शक्ति को अपने हाथ में लेने का प्रयास करता है. मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने इस मामले में गुजरात का भी जिक्र किया. दरअसल यह कानून उस दिन पेश किया गया जब राज्यपाल आर एन रवि ने ऊटी में राज्य, केंद्रीय और निजी विश्वविद्यालयों के वाइस चांसलर के दो दिवसीय सम्मेलन का उद्घाटन किया.

इस कानून पर बोलते हुए, मुख्यमंत्री स्टालिन ने कहा कि राज्य सरकार की कुलपति नियुक्त करने की शक्ति की कमी राज्य में उच्च शिक्षा को प्रभावित करती है. उन्होंने कहा, "परंपरा के अनुसार, राज्यपाल राज्य सरकार के परामर्श से कुलपतियों की नियुक्ति करता है, लेकिन पिछले चार वर्षों में, एक नया चलन आया है - राज्यपालों का कार्य करना जैसे कि यह उनका विशेषाधिकार है," उन्होंने कहा ये  सरकार और लोगों के शासन के खिलाफ है.

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मुख्यमंत्री ने कहा कि मौजूदा प्रथा विश्वविद्यालयों के प्रशासन में 'भ्रम' पैदा करती है. केंद्र-राज्य संबंधों पर पूर्व मुख्य न्यायाधीश मदन मोहन पुंछी की अध्यक्षता में एक आयोग की रिपोर्ट की ओर भी इशारा किया . साल 2010 की रिपोर्ट में विश्वविद्यालयों के कुलपति के पद से राज्यपाल को हटाने की सिफारिश की गई थी. स्टालिन ने कहा, "यहां तक कि गुजरात राज्य में भी सरकार की सर्च कमेटी द्वारा अनुशंसित तीन उम्मीदवारों में से एक को वीसी नियुक्त किया गया है."विपक्षी दलों अन्नाद्रमुक और भाजपा ने इस कानून का विरोध किया है.

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