सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले में खनिज वाले राज्यों की बड़ी जीत, कहा- रॉयल्टी टैक्स नहीं

अदालत ने कहा कि सरकार को देय एग्रीमेंट भुगतान को टैक्स नहीं माना जा सकता. मालिक खनिजों को अलग करने के लिए रॉयल्टी लेता है.रॉयल्टी को लीज डीड द्वारा जब्त कर लिया जाता है और टैक्स लगाया जाता है.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
खनिज पर लगाए जाने वाले टैक्स पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला.

सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले में खनिज समृद्ध राज्यों की बड़ी जीत हुई है.कोर्ट ने खनिज-युक्त भूमि पर रॉयल्टी (Supreme Court On Mineral Tax) लगाने के राज्य सरकारों के अधिकार को बरकरार रखा है. ऐतिहासिक 8:1 फैसले में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा कि रॉयल्टी टैक्स के समान नहीं है. वहीं जस्टिस बीवी नागरत्ना ने असहमति वाला फैसला सुनाया.

सुप्रीम कोर्ट की नौ जजों की संविधान पीठ ने खनिज पर लगाए जाने वाले टैक्स को लेकर दाखिल याचिकाओं पर अहम फैसला सुनाया. 9 जजों की बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा कि राज्यों के पास खनिज युक्त भूमि पर टैक्स लगाने की क्षमता और शक्ति है. अदालत ने कहा है कि रॉयल्टी कोई टैक्स नहीं है. 

रॉयल्टी टैक्स के समान नहीं है

CJI की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि रॉयल्टी टैक्स नहीं है. कोर्ट के फैसले से झारखंड, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, असम, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और उत्तर-पूर्व के खनिज समृद्ध राज्यों को फायदा होगा. अदालतने कहा कि रॉयल्टी खनन पट्टे से आती है. यह आम तौर पर यह निकाले गए खनिजों की मात्रा के आधार पर निर्धारित की जाती है. रॉयल्टी की बाध्यता पट्टादाता और पट्टाधारक के बीच एग्रीमेंट की शर्तों पर निर्भर करती है और भुगतान सार्वजनिक उद्देश्यों के लिए नहीं बल्कि विशेष उपयोग शुल्क के लिए होता है.

रॉयल्टी को टैक्स बताना गलत

अदालत ने कहा कि सरकार को देय एग्रीमेंट भुगतान को टैक्स नहीं माना जा सकता. मालिक खनिजों को अलग करने के लिए रॉयल्टी लेता है.रॉयल्टी को लीज डीड द्वारा जब्त कर लिया जाता है और टैक्स लगाया जाता है. अदालत का मानना ​​है कि इंडिया सीमेंट्स के फैसले में रॉयल्टी को टैक्स बताना गलत है.

खनिज समृद्ध राज्यों की बड़ी जीत

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर संसद के पास खनिज अधिकारों पर टैक्स लगाने की कोई विधायी क्षमता नहीं है तो क्या वह उसी पर टैक्स लगाने के लिए अवशिष्ट अधिकारों का उपयोग कर सकती है. इसे नकारात्मक माना जाएगा. अदालत ने कहा कि कराधान का क्षेत्र नियामक कराधान प्रविष्टियों से प्राप्त नहीं किया जा सकता. चूंकि सूची 1 की प्रविष्टि 54 एक सामान्य प्रविष्टि है, इसलिए इसमें कराधान की शक्ति शामिल नहीं होगी.अदालत का फैसला राज्यों के हित में आया है.
 

Featured Video Of The Day
Saharanpur Loot Video: CCTV में क़ैद 4 बदमाशों में 3 की पहचान, जल्द गिरफ़्त में लेंगे: Police
Topics mentioned in this article