महाराष्ट्र में सभी दुकानों और प्रतिष्ठानों के साइन बोर्ड मराठी (Marathi) में ही लिखने के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra Governemnt) को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. दरअसल महाराष्ट्र की तत्कालीन सरकार के फैसले को बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी बरकरार रखा था. महाराष्ट्र के फेडरेशन ऑफ रिटेल ट्रेडर्स वेलफेयर एसोसिएशन ( FRTWA) ने बॉम्बे हाईकोर्ट के 23 फरवरी को आए फैसले को Special Leave Petition (SLP) के जरिए सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे रखी है.
जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस कृष्णमुरारी की पीठ के सामने याचिकाकर्ताओं की ओर से दलील दी गई कि महाराष्ट्र शॉप्स एंड एस्टेब्लिशमेंट एक्ट (रेगुलेशन ऑफ इंप्लॉयमेंट एंड कंडीशन ऑफ सर्विसेज) के नियम 35 में बदलाव कर मराठी में बोर्ड लिखने को अनिवार्य कर दिया गया है.
याचिका में कहा गया कि कुछ दुकानों पर इसलिए पथराव किया गया क्योंकि उनके साइनबोर्ड मराठी के अलावा देवनागरी और अन्य भाषाओं और लिपियों में लिखे हुए हैं. पीठ ने टिप्पणी की कि भाषाओं के आधार पर कोई रोक नहीं हो सकती. याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि ऐसा नहीं है कि मुंबई में रहने वाला हर कोई मराठी पढ़ और समझ लेता है.
लेकिन बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) में जस्टिस गौतम पटेल और जस्टिस माधव जामदार की खंडपीठ ने सरकार के फैसले को यह कहते हुए बरकरार रखा था कि साइन बोर्ड पर मराठी के अलावा किसी अन्य भाषा में नाम आदि लिखने पर कोई पाबंदी नहीं लगाई गई है. लिहाजा संवैधानिक रूप से भी सरकार का नियमों में ये संशोधन जायज है