व्हाट्सएप यह प्रचार करे, लोग उसकी 2021 की पॉलिसी मानने को बाध्‍य नहीं : सुप्रीम कोर्ट

Whatsapp Privacy Policy: पांच जजों के संविधान पीठ ने आदेश दिया है कि इस मामले में पांच राष्ट्रीय अखबारों में कम से कम दो बार फुल पेज विज्ञापन दिया जाए. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि संसद के अगले सत्र में डेटा प्रोटक्शन को लेकर एक नया विधेयक पेश किया जाएगा.

विज्ञापन
Read Time: 17 mins
प्रतीकात्मक फोटो.
नई दिल्ली:

वाट्सएप की प्राइवेसी पॉलिसी 2021 के खिलाफ याचिका पर SC ने व्हाट्सएप से इस अंडरटेकिंग का व्यापक प्रचार करने को कहा कि लोग उसकी 2021 की पॉलिसी मानने को फिलहाल बाध्य नहीं हैं.  वाट्सएप ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि लोग उसकी 2021 की प्राइवेसी पॉलिसी से बाध्य नहीं हैं, ना ही नए डेटा कानून आने तक एप का काम प्रभावित होगा. वहीं SC ने सरकार के इस आश्वासन को नोट किया कि मार्च में संसद में नया  डेटा प्रोटक्शन बिल लाया जाएगा.

पांच जजों के संविधान पीठ ने आदेश दिया कि पांच नेशनल अखबारों  में कम से कम दो बार फुल पेज विज्ञापन दिया जाए. सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार  की ओर से  कहा कि सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि संसद के अगले सत्र में एक नया विधेयक पेश किया जाएगा. तब तक इंतजार किया जाना चाहिए. यह मामला जस्टिस के एम जोसेफ, जस्टिस अजय रस्तोगी, जस्टिस अनिरुद्ध बोस, जस्टिस हृषिकेश रॉय और जस्टिस  सी टी रवि कुमार की बेंच में सुना जा रहा है. 2018 में हुई सुनवाई में  सुप्रीम कोर्ट ने फेसबुक और वाट्सएप्प कंपनियों से पूछा था कि वो क्या क्या जानकारियां आपस में और तीसरे पक्ष से साझा करते हैं. मामले की सुनवाई के दौरान वाट्स एप्प की तरफ से कोर्ट को बताया गया था कि वो मोबाइल नंबर, व्हाट्स एप्प में कब रजिस्टर्ड हुए और किस तरह का मोबाईल एप ऑपरेटर करते है. इसके अलावा और कोई जानकारी साझा नही करते. सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने कहा था कि 31 जुलाई को उन्होंने श्री कृष्णा कमेटी बनाई है. कमिटी की रिपोर्ट आने के बाद तय करेंगे कि कानून लाना है या नहीं. भारत के नागरिकों के साथ दूसरे देशों के नागरिकों से भेदभाव नहीं किया जा सकता. देश में भी वही प्राइवेसी पॉलिसी हो जो दूसरे देशों में है.  इस मामले में न्यायिक हस्तक्षेप की जरूरत नहीं बल्कि विधायिका के हस्तक्षेप की जरूरत है.  निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार बताने के नौ जजों के संविधान पीठ के फैसले के बाद वाटसअप का डाटा फेसबुक को शेयर करने के खिलाफ दाखिल याचिका पर पांच जजों के संविधान पीठ में सुनवाई हुई थी.

इससे पहले सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने निजी कंपनियों के लोगों के पर्सनल डाटा शेयर करने का विरोध किया था. केंद्र ने कहा कि डाटा शेयर करना जीने के अधिकार के खिलाफ है.पर्सनल डेटा संविधान के आर्टिकल 21 राइट टू लाइफ  यानी जीने के अधिकार का अभिन्न टेलीकाम कंपनियां या सोशल नेटवर्किंग कंपनियां आसानी से किसी उपभोक्ता का डेटा तीसरे पक्ष शेयर नहीं कर सकती और अगर कंपनियां उपभोक्ता के करार का उल्लंघन करती हैं तो सरकार को दखल देना होगा और कानून बनाना होगा. केंद्र वाटसएप, फेसबुक और अन्य एपस में लोगों के डेटा को प्रोटेक्ट करने के लिए कानून बनाने पर गंभीरता से विचार कर रही है और वो डेटा प्रोटेक्शन कानून लाएगी. दरअसल सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में कहा गया है कि ये निजता के अधिकार का उल्लंघन करता है. सुप्रीम कोर्ट में इसके लिए संविधान पीठ का गठन किया गया है. 

Advertisement

जनवरी 2018 में वाटस एप के डाटा को फेसबुक से जोडने का मामले में निजी डेटा और निजता के लिए दायर याचिका की सुनवाई करते हुए  सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र, ट्राई, वाटसएप और फेसबुक को नोटिस जारी कर दो हफ्ते में जवाब मांगा था. याचिका में कहा गया है कि हर व्यक्ति की निजता का मामला है और केंद्र सरकार को इसके लिए कोई नियम बनाना चाहिए. वाटसएप के फेसबुक से डेटा शेयर करने का मामला सीधे सीधे निजता के अधिकार का उल्लंघन है, इसलिए ट्राई द्वारा कोई नियम बनाया जाना चाहिए ये मामला 155 मिलियन लोगों के डेटा से जुडा है. 

Advertisement

ये भी पढ़ें:-

WhatsApp Feature : जिसे चाहेंगे उसी को दिखेंगे ऑनलाइन, ऐसे करें इस्तेमाल

Whatsapp Privacy Policy : वॉट्सऐप की नीति को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई अब 17 जनवरी को

Featured Video Of The Day
RSS Chief Mohan Bhagwat और BJP के अलग-अलग बयानों की पीछे की Politics क्या है?