जजों को निशाना बनाने के बढ़ते ट्रेंड पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)ने चिंता जताई है. कोर्ट ने कहा कि जजों के खिलाफ आरोप लगाना अब फैशन बन गया है. ये महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा है. जज जितने मजबूत होंगे, आरोप उतने ही खराब होंगे. सुप्रीम कोर्ट ने इसके साथ ही अदालत की अवमानना के आरोप में एक वकील को दी गई 15 दिन की कैद की सजा को बरकरार रखा. मद्रास हाईकोर्ट का फैसला बरकरार रखा गया.
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा किदेशभर में ऐसा हो रहा है. जजों पर हमले हो रहे हैं. जिले में जजों की कोई सुरक्षा नहीं है. कभी-कभी तो लाठी वाला पुलिसकर्मी भी नहीं मिलता. वकील कानून से ऊपर नहीं हैं. उनको भी न्याय में बाधा डालने के लिए परिणाम भुगतने पड़ेंगे. ऐसे वकील कानूनी पेशे पर कलंक हैं और इससे सख्ती से निपटा जाना चाहिए. जज ने उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया लेकिन 100 वकीलों ने चाय की दुकान पर वारंट की तामील नहीं करने दिया. जब मामला वापस आया तो उन्होंने जज पर आरोप लगाए. दो सप्ताह की कैद वास्तव में एक बहुत ही उदार अभ्यास है.
उन्होंने कहा कि जब वह दो सप्ताह के लिए जेल जाएगा और जब उसे प्रैक्टिस से रोक दिया जाएगा तो उसे कुछ पछतावा होगा. कुछ हाईकोर्ट में जजों को पूरी तरह से धमकाने की प्रथा बन गई है. कहा जाता है कि मेरे खिलाफ NBW जारी करने की हिम्मत न करें. आप बेबुनियाद आरोप नहीं लगा सकते. वकील भी कानून की प्रक्रिया के अधीन हैं. यह बॉम्बे, यूपी, मद्रास में बड़े पैमाने पर हो रहा है. 'हालांकि वकील का कहना थी कि उन्होंने बिना शर्त माफी मांग ली है लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट के फैसले में दखल देने से इनकार कर दिया.
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