सभी धर्मों में लड़कियों की शादी की उम्र लड़कों के समान करने वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट में खारिज

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये कानून में संशोधन का मामला है. ऐसे में अदालत इस मामले में संसद को कानून लाने के आदेश नहीं दे सकता.

विज्ञापन
Read Time: 6 mins
CJI ने कहा कि संविधान के रक्षक के तौर पर अदालत के पास विशेषाधिकार नहीं.
नई दिल्ली:

सभी धर्मों में लड़कियों की शादी की उम्र लड़कों के समान करने का अनुरोध करने वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी. इस मामले में बड़ी टिप्पणी करते हुए CJI डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि संविधान के रक्षक के तौर पर अदालत के पास विशेषाधिकार नहीं. संविधान की रक्षा के लिए संसद के पास भी उतना ही अधिकार है. संसद के पास अधिकार है कि वो किसी भी कानून में संशोधन कर सकता है.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये कानून में संशोधन का मामला है. ऐसे में अदालत इस मामले में संसद को कानून लाने के आदेश नहीं दे सकता.अगर अदालत शादी की 18 साल की उम्र को रद्द कर देता है तो फिर शादी के लिए कोई न्यूनतम उम्र नहीं रह जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता बीजेपी नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय को कहा कि ये कोई राजनीतिक मंच नहीं है. हमें ये मत सिखाइए कि संविधान के रक्षक के तौर पर हमें क्या करना चाहिए.

इस जनहित याचिकाओं का माखौल मत बनाइए. इस मामले में बीजेपी नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय की तरफ से याचिका दाखिल की गई है. इससे पहले लड़के लड़कियों के विवाह की न्यूनतम उम्र तय करने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने पक्षकारों को नोटिस जारी किया था. कोर्ट में दाखिल जनहित याचिका के मुताबिक कोर्ट को इस बारे में तय करने को कहा गया है कि धार्मिक मान्यताओं से अलग हटकर कानून बने जिसमें विवाह की एक समान उम्र तय हो. विवाह की न्यूनतम उम्र भी तय की जाए जो सभी नागरिकों पर लागू हो.

ये भी पढ़ें : "उद्धव ठाकरे, शिवसेना सिंबल फाइट क्यों हारे...?" जानिए, इस पर असम के CM हिमंत सरमा की गजब थ्योरी

ये भी पढ़ें : भूकंप के बाद पहुंचाई गई मदद के लिए तुर्की के राजदूत ने भारत को यूं किया थैंक्स
 

Featured Video Of The Day
Madhya Pradesh: राजा भोज की धरती पर निवेश का महाकुंभ | Global Investors Summit 2025