मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को जमानत देने के हाई कोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को ‘बेहद तर्कपूर्ण' बताया है. ये तर्क देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की याचिका को खारिज कर दिया. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जमानत देने के हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई थी.
हाई कोर्ट का फैसला तर्कसंगत
सुप्रीम कोर्ट ने याचिका की सुनवाई के दौरान कहा, "हाई कोर्ट के द्वारा दिया गया, ये अच्छा योग्य फैसला है, जज ने तर्कसंगत फैसला सुनाया है. हम आदेश में दखल देने के इच्छुक नहीं हैं. हालांकि, हाईकोर्ट की टिप्पणियों का ट्रायल पर कोई असर नहीं होगा." जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस के वी विश्वनाथन की बेंच का ये फैसला है.
...तो आप मुश्किल में पड़ सकते हैं!
सुनवाई के दौरान जस्टिस गवई ने कहा, "हाई कोर्ट ने सभी बयानों पर सही तरीके से विचार किया है. हम और कुछ नहीं कहना चाहते. अगर हम कहेंगे तो आप मुश्किल में पड़ सकते हैं. जज ने बहुत ही तर्कसंगत फैसला सुनाया है. माननीय सीजेआई ने बेंगलुरु में एक बयान दिया कि जब जमानत देने का सवाल आता है, तो ट्रायल कोर्ट सुरक्षित स्थान पर होते हैं.
ED ने रखा था ये तर्क
झारखंड के मुख्य मंत्री हेमन्त सोरेन को हाई कोर्ट से मिली जमानत पर रिहाई के खिलाफ दाखिल ED की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की. ईडी ने हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए कहा है कि हाई कोर्ट का आदेश गैर कानूनी है यानी जमानत के लिए पीएमएलए एक्ट के प्रावधानों के खिलाफ है. साथ ही जमानत के आदेश में हाईकोर्ट की टिप्पणियां अवांछित और पूर्वाग्रह वाली हैं. हाई कोर्ट का ये कहना गलत है कि इस मामले में प्रथम दृष्टया हेमंत सोरेन के खिलाफ कोई मामला बनता ही नहीं है. इसके अलावा हाई कोर्ट के आदेश में कई प्रक्रियागत चूक और अनदेखी हुई है. ईडी ने कहा कि हाई कोर्ट की टिप्पणियां पक्षपातपूर्ण हैं.
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