वर्ष 2016 की नोटबंदी से जुड़े कुछ लोगों की तरफ से दाखिल व्यक्तिगत याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस पर फैसला आ चुका है इसलिए सभी व्यक्तिगत मामलों पर सुनवाई को बंद किया जाता है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि वह 12 हफ्ते के भीतर कानून के मुताबिक मामलों का निपटारा करे. SC ने याचिकाकर्ताओं से छूट दी कि वह अधिकारियों से संपर्क करें. सुप्रीम कोर्ट ने नोट बंदी के सरकार के फैसले से जुड़े व्यक्तिगत मामलों में हाईकोर्ट जाने की इजाज़त दी
दरअसल, दो जनवरी 2023 को सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों के संविधान पीठ ने 4:1 के बहुमत से 2016 की नोटबंदी वैध करार दिया था. केंद्र सरकार को बड़ी राहत देते हुए सभी 58 याचिकाएं खारिज कर दी गई थीं. गौरतलब है कि नवंबर 2016 के 1,000 रुपये और 500 रुपये के करेंसी नोटों पर प्रतिबंध लगाने के केंद्र सरकार को फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं को रद्द कर सुप्रीम कोर्ट ने नोटबंदी को वैधानिक करार दिया था. जस्टिस एस. ए. नजीर की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने इस मामले पर इसी वर्ष जनवरी में अपना फैसला सुनाया था.
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने सभी 58 याचिकाओं को खारिज भी कर दिया था. SC ने कहा कि इस फैसले को उलटा नहीं जा सकता. नोटबंदी के फैसले में कोई त्रुटि नहीं है. कोर्ट ने कहा कि रिकॉर्ड की जांच के बाद हमने पाया है कि निर्णय लेने की प्रक्रिया केवल इसलिए त्रुटिपूर्ण नहीं हो सकती है क्योंकि यह केंद्र सरकार से निकली है और हमने माना है कि टर्म सिफ़ारिश को वैधानिक योजना से समझा जाना चाहिए.
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